विलियम शेक्सपियर ने कहा था 'नाम में क्या रखा है, गुलाब को चाहे जिस नाम से पुकारो गुलाब ही रहेगा।' क्रिकेट के खेल में भी शेक्सपियर की ये बात कुछ हद तक सटीक बैठती है। क्रिकेट जगत में कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने अपने प्रदर्शन के बूते इस खेल में अपनी छाप छोड़ी है और अपना नाम कमाया है। लोकप्रियता के मामले में दुनिया में क्रिकेटर्स भी किसी से पीछे नहीं रहते हैं। हालांकि क्रिकेट जगत में ऐसे कई लोकप्रिय क्रिकेटर भी हुए हैं जिन्होंने अपने शुरुआती नाम में बदलाव किया है। उन क्रिकेटर्स की अपने नाम में बदलाव करने की पीछे की कहानी भी कमाल की है। आइए, यहां उन पांच क्रिकेटर्स पर नजर डालें जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने संबंधित देशों का प्रतिनिधित्व किया और अपने नाम में भी बदलाव किया।
#5 मोहम्मद यूसुफ
यह गलत धारणा है कि मोहम्मद यूसुफ कप्तानी के लिए इस्लाम में परिवर्तित हुए हैं। क्रिकेट प्रशंसक जो कि पिछले एक दशक से क्रिकेट को फॉलो कर रहे हैं, उनके दिमाग में यूसुफ के नाम ने जरूर हलचल मचाई होगी। पाकिस्तान के यूसुफ योहाना ने इस्लाम को अपनाया और मोहम्मद यूसुफ के नाम से पहचाने जाने लगे। मोहम्मद यूसुफ ऐसे केवल पांचवें गैर-मुस्लिम खिलाड़ी हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान क्रिकेट का प्रतिनिधित्व किया है। यूसुफ ने साल 2005 में ईसाई धर्म से इस्लाम धर्म अपना लिया। उनके फैसले पर टीम के साथी सईद अनवर का काफी प्रभाव रहा। बहुत से लोग मानते हैं कि उन्होंने केवल पाकिस्तान टीम का नेतृत्व करने के लिए इस्लाम धर्म अपनाया। हालांकि, उन्होंने धर्म परिवर्तन से पहले साल 2004 से ही कप्तानी की शुरुआत कर दी थी। जो भी कारण हो, यूसुफ के नाम बदलने के बाद उनकी बल्लेबाजी में भी काफी बदलाव देखने को मिला। 2006 वह साल था जब उन्होंने अपनी बल्लेबाजी के दम पर अपनी छाप छोड़ी। इस साल उन्होंने विस्फोटक बल्लेबाजी करते हुए 99.33 की औसत से 1788 रन बनाए। इसके साथ ही यूसुफ ने कई रिकॉर्ड भी तोड़ दिए, इसमें एक कैलेंडर वर्ष में सबसे ज्यादा रनों का रिकॉर्ड भी शामिल था।
#4 तिलकरत्ने दिलशान
श्रीलंकाई क्रिकेट टीम में शानदार बल्लेबाजों में तिलकरत्ने दिलशान का नाम आज भी याद किया जाता है। तिलकरत्ने दिलशान अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी के दम पर विरोधी गेंदबाजों की नाक में दम करने में माहिर थे। तिलकरत्ने दिलशान मैदान के हर कोने में बेहतरीन टाइमिंग के साथ शॉट खेलने के लिए जाने जाते हैं। तिलकरत्ने दिलशान ने बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद अपना नाम बदल दिया था। तिलकरत्ने दिलशान ने एक ऐसे परिवार में जन्म लिया था जहां उनके पिता इस्लाम धर्म को मानते थे। जन्म के समय तिलकरत्ने दिलशान का नाम तुवान मुहम्मद दिलशान था। 16 साल की उम्र में अपने माता-पिता के अलग होने के बाद श्रीलंका के इस अनुभवी बल्लेबाज ने अपनी मां के जरिए अपनाए गए धर्म, बौद्ध धर्म को अपना लिया। तब से वे तिलकरत्ने मुदियानसेलेज के नाम से पहचाने जाने लगे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तिलकरत्ने दिलशान ने अपनी बल्लेबाजी से सभी को प्रभावित किया और श्रीलंकाई टीम में सलामी बल्लेबाज के तौर पर अपनी जगह बनाई। आक्रामक बल्लेबाज तिलकरत्ने दिलशान ने अपने करियर में 10290 रनों में से 7367 रन और अपने 22 वनडे शतकों में 21 शतक टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करते हुए बनाए। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दिलशान 35 बार मैन ऑफ द मैच पुरस्कार विजेता भी रहे।
#3 मंसूर अली खान पटौदी
जब एक अलग धर्म को अपनाने के कारण यूसुफ और दिलशान को अपने नाम में बदलाव करना पड़ा तो वहीं पटौदी के नवाब जूनियर को संवैधानिक कारणों की वजह से अपने नाम में बदलाव करना पड़ा। मंसूर अली खान पटौदी अपने पिता इफ्तिखार अली खान जो कि पटौदी के नवाब सीनियर के नाम से भी जाने जाते थे, उनकी मृत्यू के बाद पटौदी के छठे नवाब बने। मंसूर अली खान पटौदी ने 1961 में अपना पहला टेस्ट मैच खेला और 1962 में भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी करते हुए भारत के सबसे कम उम्र के टेस्ट कप्तान भी बने। पटौदी साल 1971 तक अपने पुराने नाम के साथ खेलते रहे। इसके बाद भारत सरकार ने औपचारिक रूप से रियासतों के नाम को पहचान के तौर पर इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा दी। 1971 के बाद उन्होंने भारत के लिए कम मुकाबले खेले और 1971 के बाद से ही उनको मंसूर अली खान पटौदी के नाम से जाना गया। नाम में बदलाव के बाद पटौदी ने सिर्फ 7 मुकाबले खेले। इन मैचों में उनकी फॉर्म भी कुछ खास नहीं रही। उन्होंने 1971 से पहले 36.98 की औसत से 2552 टेस्ट रन बनाए थे। भारतीय क्रिकेट में पटौदी को साहस और आत्म विश्वास के भरपूर चरित्र के लिए याद किया जाता है।
#2 बॉब विलिस डेलन
रॉबर्ट जॉर्ज विलिस, जिन्हें बॉब विलिस के नाम से भी जाना जाता है, वे इंग्लैंड इतिहास के सबसे सफल तेज गेंदबाजों में से एक थे। बॉब विलिस अपनी गेंदबाजी से विरोधी बल्लेबाजों में खौफ पैदा कर देते थे। उनकी घातक गेंदबाजी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बॉब विलिस के नाम प्रथम श्रेणी में 899 विकेट और लिस्ट ए में 421 विकेट दर्ज हैं। हालांकि, अपने लम्बी गेंदबाजी रन-अप की तुलना में उनके नाम बॉब विलिस डेलन के पीछ की कहानी ज्यादा रोचक है। दरअसल, 1960 के अमेरिकी संगीतकार बॉब डेलन के गायन से विलिस काफी प्रभावित थे। जिसके कारण उन्होंने संगीतकार के दूसरे नाम डेलन को अपना लिया। 1965 में उन्होंने अपने नाम को कानूनी मान्यता भी दिलवा ली। विलिस को इंग्लिश क्रिकेट का प्रतिनिधित्व करने वाला सबसे साहसी खिलाड़ियों के रूप में याद किया जाएगा। 26 साल की उम्र में घुटनों के दो ऑपरेशन के बाद उन्होंने 35 की उम्र तक अपने करियर को आगे बढ़ाया और दृढ़ संकल्प के साथ लंबे समय तक क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया।
#1 सूरज रणदीव
सूरज रणदीव मुस्लिम परिवार में पैदा हुए थे लेकिन उन्होंने बाद में बौद्ध धर्म अपना लिया था। श्रीलंका के स्पिन गेंदबाज सूरज रणदीव को अपनी नॉ बॉल के लिए भी याद किया जाता है, जिसके चलते उन्होंने वीरेंदर सहवाग को एकदिवसीय शतक लगाने से रोक दिया गया था। इसके कारण उन पर एक मैच का प्रतिबंध भी लगा था। अपने साथी दिलशान की तरह ही रणदीव ने साल 2010 में बौद्ध धर्म अपना लिया। इससे पहले 1985 में इस्लाम परिवार में जन्में रणदीव का नाम मोहम्मद मार्शुक मोहम्मद सूरज था। लेकिन धर्म परिवर्तित करने के बाद से उन्हें सूरज रणदीव के रूप में पहचाना जाने लगा। मुथैया मुरलीधरन के संन्यास के बाद खाली हुई जगह को भरने के लिए श्रीलंका की टीम में रणदीव सफल गेंदबाज साबित नहीं हो सके। उन्होंने 31 वनडे, 12 टेस्ट और 7 टी20 मुकाबलों में सिर्फ क्रमश: 36, 43 और 7 विकेट अपने नाम किए। लेखक: कुशग्रा अग्रवाल अनुवादक: हिमांशु कोठरी