#3 मंसूर अली खान पटौदी
जब एक अलग धर्म को अपनाने के कारण यूसुफ और दिलशान को अपने नाम में बदलाव करना पड़ा तो वहीं पटौदी के नवाब जूनियर को संवैधानिक कारणों की वजह से अपने नाम में बदलाव करना पड़ा। मंसूर अली खान पटौदी अपने पिता इफ्तिखार अली खान जो कि पटौदी के नवाब सीनियर के नाम से भी जाने जाते थे, उनकी मृत्यू के बाद पटौदी के छठे नवाब बने। मंसूर अली खान पटौदी ने 1961 में अपना पहला टेस्ट मैच खेला और 1962 में भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी करते हुए भारत के सबसे कम उम्र के टेस्ट कप्तान भी बने। पटौदी साल 1971 तक अपने पुराने नाम के साथ खेलते रहे। इसके बाद भारत सरकार ने औपचारिक रूप से रियासतों के नाम को पहचान के तौर पर इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा दी। 1971 के बाद उन्होंने भारत के लिए कम मुकाबले खेले और 1971 के बाद से ही उनको मंसूर अली खान पटौदी के नाम से जाना गया। नाम में बदलाव के बाद पटौदी ने सिर्फ 7 मुकाबले खेले। इन मैचों में उनकी फॉर्म भी कुछ खास नहीं रही। उन्होंने 1971 से पहले 36.98 की औसत से 2552 टेस्ट रन बनाए थे। भारतीय क्रिकेट में पटौदी को साहस और आत्म विश्वास के भरपूर चरित्र के लिए याद किया जाता है।