5 भारतीय ऑल राउंडर जो अच्छी शुरुआत के बाद खो गये

परिवर्तनों के दौर से गुजरने के दौरान भारतीय क्रिकेट में नए टेलीविजन सौदों के साथ तेजी से बदलाव आते देखा गया और टीम में अनुभवी बुजुर्गों को उत्साहित करने के लिए युवा खिलाड़ियों को शामिल कर एक नये मॉडल की खोज की गयी। क्रिकेट के विकास का भारत का मॉडल दुनिया भर में चमकदार उदाहरण रहा है, लेकिन 2000 के दशक के शुरूआती दौर में जब राष्ट्रीय टीम मे गहराई नहीं थी,शुरुआत से ही क्रिकेट में एक ऑलराउंडर की भूमिका महत्वपूर्ण थी और भारत हमेशा उस विभाग में कमजोर दिख रहा था, सिवाय वीनू मांकड, कपिल देव और मनोज प्रभाकर जैसे कुछ सितारों के अलावा। उस दौर में भारतीय चयनकर्ताओं ने निम्न पांच खिलाड़ियों को विभिन्न अवसरों पर बदल-बदल कर प्रयोग किया और ऑल राउंडर की कमी को भरने की कोशिश कर रही थी, जो कि भारतीय टीम की कमी थी। इस सूची में उन भारतीय ऑल राउंडर्स के नाम शामिल हैं जो एक महत्वपूर्ण प्रभाव बनाने में नाकाम रहे और इसलिए राष्ट्रीय टीम में उनकी जगह नही बन पायी।

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जेपी यादव

जयप्रकाश यादव का जन्म भोपाल मध्य प्रदेश में हुआ, वह पूर्व राष्ट्रीय ऑलराउंडर हैं, जिनहें 2002 में वेस्टइंडीज के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय टीम के साथ अपना पहला प्रदर्शन करने का मौका मिला था। कैरेबियन राष्ट्र के खिलाफ केवल दो मैचों में खेल पाये यादव ने आगे अच्छी तरह से खेलना जारी रखा और घरेलू सर्किट में अच्छा प्रदर्शन किया। यादव को 2005 में जिम्बाब्वे और न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम में बुलाया गया था, लेकिन गेंद और बल्ले से असर नहीं दिखा पाये। उस वर्ष बाद में जब श्रीलंका ने भारत का दौरा किया, तब उन्हें भारतीय टीम में भी शामिल किया गया था। और यह आखिरी बार रहा होगा कि जय प्रकाश यादव भारत के लिए खेलेंगे। रणजी ट्रॉफी में रेलवे और मध्य प्रदेश के लिए अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद, 7000 से अधिक रन बनाने और 296 विकेट लेने के बाद भी सेलेक्टर्स ने यादव को भविष्य के दौरों में नज़रंदाज़ किया। जोगिन्दर शर्मा 8c5c6-1507195439-800 भारत के लिये 2007 टी -20 विश्वकप जीतने वाले नायक जोगिन्दर शर्मा को दक्षिण अफ्रीका में विश्व टी -20 का पहला खिताब जीतने वाली टीम में एक आश्चर्यजनक शामिल किया गया था। घरेलू सर्किट के अनुभवी और राष्ट्रीय टीम के बल्लेबाजों के खिलाफ कुछ अच्छी गेंदबाजी के बाद, शर्मा ने चयनकर्ताओं की आंखें पकड़ीं और उन्हें 2007 टी -20 वर्ल्डकप टीम में शामिल किया गया। फाइनल में उन्होंने नायक की भूमिका अदा करते हुए मिस्बाह को आउट तो किया था, लेकिन इसके बाद में वह राष्ट्रीय टीम के लिए खेलते नही दिखे। दायें हाथ के बल्लेबाज़ और चतुर मध्यम तेज गति गेंदबाज शर्मा घरेलू क्रिकेट में 15 से ज्यादा वर्षों तक खेले हैं और आईपीएल में भी खेल रहे हैं। भले ही वह जितनी तेज़ी से उभरे उतनी ही तेज़ गति से पटल से गायब भी हुए हों, मगर भारतीय क्रिकेट के इतिहास में वे हमेशा उस खिलाड़ी के रूप में जाने जायेंगे जिसने भारत के लिये पहला ट्वेंटी -20 वर्ल्ड कप जीतने वाला विकेट गिराया था। रितेंदर सिंह सोढ़ी 7e901-1507195352-800 पूर्व भारतीय अंडर -15 और अंडर -19 विश्वकप विजेता रितेंदर सिंह सोढ़ी का आरंभ से ही भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिये बतौर ऑलराउंडर खेलना लगभग तय था। एक क्रूर बल्लेबाज और तेज गेंदबाज को, 2000 के अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में मैन ऑफ द मैच पुरस्कार के बाद, भारत के जिम्बाब्वे दौरे के दौरान, सोढ़ी ने राष्ट्रीय टीम में अपना पहला कॉल अर्जित किया। सोढ़ी ने अपनी पहली सीरीज़ के आखिरी मैच में एक तेज़ अर्धशतक बनाते हुए दो विकेट भी लिए थे, जिससे उन्हें टीम में अपनी जगह बनाए रखने में मदद मिली। 2001 के सत्र के दौरान, भारत के पास स्थिर आलराउंडर की कमी के कारण, सोढ़ी ऐसे युवा खिलाड़ियों में से रहे जिसकी ओर चयनकर्ताओं ने देखा। वो भारत के लिए 18 बार खेले, लेकिन उन्होंने केवल 280 रन और 5 विकेट हासिल किए। एक ऐसा खिलाड़ी जो अपनी क्षमता को पूरा नहीं कर सका इसलिए कभी एक और मौका नही मिला, लेकिन घरेलू क्रिकेट खेलना जारी रखा और आईपीएल में पंजाब के लिए एक छोटी सी अवधि के लिये खेले। लक्ष्मी रतन शुक्ला lrs-1451486733-800 लक्ष्मी रतन शुक्ला का जन्म बंगाल में हुआ था, वो एक दायें हाथ के ऑलराउंडर हैं, जिन्होंने अंडर 19 खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनायी थी। उन्हें तुरंत राष्ट्रीय टीम में शामिल किया गया, और श्रीलंका के खिलाफ खेलने का अवसर दिया गया। बाद में इस युवा ऑलराउंडर का चयन राष्ट्रीय क्रिकेट शिविर में शामिल होने के लिए किया गया, लेकिन चोट के चलते वह अवसर छोड़ना पड़ा और उनका मौका चला गया। उन्होंने घरेलू सर्किट में बंगाल के लिए खेलना जारी रखा, और 08-09 में बंगाल के कप्तान की भूमिका भी निभाई। शुक्ला आईपीएल में भी ऑलराउंडर के रूप में खेले हैं और केकेआर के साथ 2012 में प्रतियोगिता जीतने वाली टीम के सदस्य के रूप में शामिल रहे। संजय बांगड़ 7268b-1507195218-800 महाराष्ट्र में जन्मे ऑलराउंडर संजय बांगड़ ने 2001 में इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली में अपने अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैचों के करियर की शुरुआत की। बांगड़ ने 12 टेस्ट मैच खेले, जिनमे सिर्फ दो ही हारे, वेस्टइंडीज, जिम्बाब्वे और इंग्लैंड के खिलाफ़ सीरीज जीतने वाली टीमों के हिस्सा भी रहे। बांगड़ घरेलू क्रिकेट में रेलवे के लिए खेले हैं और रणजी सर्किट पर सबसे ज्यादा बड़े कामयाब ऑलराउंडरों में से एक है, उन्होंने रणजी क्रिकेट में 7000 से ज्यादा रन बनाए हैं और 300 से ज्यादा विकेट लिए हैं। बांगड़ ने 15 एकदिवसीय मैचों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया जिसमें उन्होंने काफी प्रभाव नहीं डाला और जिम्बाब्वे के खिलाफ अंतिम बार खेलने के बाद फिर चयन नहीं किया गया। बांगर 20 साल के लंबे करियर को समाप्त करने के पहले कई टीमों के लिए आईपीएल में भी खेले।

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