पूर्व भारतीय अंडर -15 और अंडर -19 विश्वकप विजेता रितेंदर सिंह सोढ़ी का आरंभ से ही भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिये बतौर ऑलराउंडर खेलना लगभग तय था। एक क्रूर बल्लेबाज और तेज गेंदबाज को, 2000 के अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में मैन ऑफ द मैच पुरस्कार के बाद, भारत के जिम्बाब्वे दौरे के दौरान, सोढ़ी ने राष्ट्रीय टीम में अपना पहला कॉल अर्जित किया। सोढ़ी ने अपनी पहली सीरीज़ के आखिरी मैच में एक तेज़ अर्धशतक बनाते हुए दो विकेट भी लिए थे, जिससे उन्हें टीम में अपनी जगह बनाए रखने में मदद मिली। 2001 के सत्र के दौरान, भारत के पास स्थिर आलराउंडर की कमी के कारण, सोढ़ी ऐसे युवा खिलाड़ियों में से रहे जिसकी ओर चयनकर्ताओं ने देखा। वो भारत के लिए 18 बार खेले, लेकिन उन्होंने केवल 280 रन और 5 विकेट हासिल किए। एक ऐसा खिलाड़ी जो अपनी क्षमता को पूरा नहीं कर सका इसलिए कभी एक और मौका नही मिला, लेकिन घरेलू क्रिकेट खेलना जारी रखा और आईपीएल में पंजाब के लिए एक छोटी सी अवधि के लिये खेले।