जब किसी टीम के पास मध्यक्रम में राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली जैसा बल्लेबाज हो तो अन्य खिलाड़ी को मौका मिलना लगभग नामुमकिन हो जाता है। घरेलू मैचों में तमिलनाडु के लिए रनों का अम्बर लगाने वाले बद्रीनाथ को अंतरराष्ट्रीय मैचों में ना के बराबर मौका मिला। अपने करियर में उन्हें सिर्फ 2 टेस्ट, 7 वनडे और 1 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का मौका मिला। घरेलू मैचों में लगातार रन बनाने के बाद भी बद्रीनाथ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आप को सबित करने का पूरा मौका नहीं मिला। जब सौरव गांगुली के संन्यास के बाद उन्हें मौका मिला तो उनकी उम्र 30 के करीब थी। ऐसे भी चयनकर्ताओं ने उनकी जगह युवा खिलाड़ियों पर दांव लगाना ज्यादा सही समझा। इसी वजह से चेन्नई सुपरकिंग्स के इस पूर्व बल्लेबाज को भारतीय टीम में दोबारा मौका नहीं मिला।