आईपीएल का सीजन जल्द ही शुरू होने वाला है। जिसमें दुनिया और भारत के शीर्ष खिलाड़ी भाग लेंगे। इस लीग में ये लीग दुनिया भर सबसे लोकप्रिय लीग है। जहाँ नीलामी में खिलाड़ी फ्रैंचाइज़ी टीमों का हिस्सा बनते हैं। हालांकि आईपीएल में विदेशी खिलाड़ियों भारतीय बोर्ड खेलने का मौका देता है, लेकिन अपने खिलाड़ियों को विदेशी लीग में खेलने का मौका नहीं देता है। बीते दिनों युसूफ पठान को पहले बीसीसीआई ने हांगकांग लीग में खेलने की अनुमति देने के बाद निरस्त कर दी थी। लेकिन अगर भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी लीग में खेलने का मौका बीसीसीआई देती है, तो इससे राष्ट्रीय टीम को फायदा ही होगा। प्रतिभावान और उदीयमान खिलाड़ियों को विदेशी पिचों पर खेलने का लाभ होगा, जिसका असर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय टीम में खेलने वाले खिलाड़ियों में दिखेगा। बीसीसीआई ने महिला क्रिकेटर हरमनप्रीत को हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई बिग बैश लीग में खेलने का मौका मिला जिसमें उनका प्रदर्शन भी शानदार रहा। इससे उन्हें विदेशी परिस्थिति में खेलने का अनुभव मिला है। इस लेख के माध्यम से हम आपको भारत के 5 ऐसे खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें विदेशी लीग में खेलने दिया जाना चाहिए: संजू सैमसन राहुल द्रविड़ के दिशा-निर्देश में केरल के इस विकेटकीपर बल्लेबाज़ को एक समय पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का उत्तराधिकारी माना जाता था। बेहद कम उम्र में संजू ने आईपीएल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। लेकिन प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव और केरल क्रिकेट एसोसिएशन से मतभेदों के चलते ये 22 वर्षीय खिलाड़ी रिधिमान साहा और पार्थिव पटेल से थोड़ा पीछे चल रहा है। इसके अलावा सीमित ओवर में युवा ऋषभ पन्त के उदय से भी सैमसन की उम्मीदों को झटका लगा है। सैमसन आईपीएल में चमके लेकिन उनके खेल स्तर ऊपर नहीं बढ़ा। ऐसे में इस खिलाड़ी को बीसीसीआई को बाहर की लीगों में खेलने का मौका देना चाहिए। जिससे खेल में सुधार तो होता है, साथ ही ये खिलाड़ी अनुशासन में भी बेहतर होता। विदेशी लीगों में बेहतर प्रदर्शन का इनाम संजू को राष्ट्रीय टीम में जगह दिलाने में भी अहम होता। मनीष पाण्डेय आईपीएल में मनीष पाण्डेय पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी थे, जिन्होंने शतक ठोंका था। लेकिन इस प्रतिभावान बल्लेबाज़ पर चयनकर्ताओं ने मेहरबानी बहुत देरी से दिखाई। वहीं जब पाण्डेय को टीम इंडिया में मौका मिला तो वह खुद को स्थापित करने में भी असफल रहे हैं। आईपीएल की केकेआर फ्रैंचाइज़ी में अभिन्न सदस्य मनीष पाण्डेय (साल 2014 के आईपीएल फाइनल में 94 रन की पारी खेली थी) को भी बीसीसीआई को विदेशी लीग में खेलने की अनुमति देनी चाहिए थी। जिससे इस 27 वर्षीय बल्लेबाज़ को विदेशी धरती पर खेलने का अनुभव बढ़ता और राष्ट्रीय टीम में खुद को साबित करने का अवसर भी मिलता। रोबिन उथप्पा साल 2006 में रोबिन उथप्पा ने भारतीय टीम में 20 वर्ष की उम्र में जगह बनाई थी। लेकिन वह कभी भी भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की करने में सफल नहीं हो पाए। हालाँकि वह साल 2007 में टी-20 वर्ल्डकप की विजेता भारतीय टीम के सदस्य थे। इसके अलावा वह आईपीएल की केकेआर और घरेलू क्रिकेट में कर्नाटक के अहम सदस्य बने हुए हैं। क्रिकेट के छोटे प्रारूप में उथप्पा का रिकॉर्ड शानदार रहा है। ऐसे में उन्हें विदेशी लीग में खेलने का मौका दिया जाना चाहिए। क्योंकि उनकी उम्र भी धोनी से 4 से चार साल कम है। ऐसे में वह निकट भविष्य में टीम इंडिया में धोनी की कमी को पूरा कर सकते हैं।
बरिंदर सरन
बाएं हाथ के तेज गेंदबाज़ बरिंदर सरन विदेशी लीग में अगर मिचेल स्टार्क, ट्रेंट बौल्ट और वहाब रियाज के साथ खेलते हैं। तो उन्हें बहुत सारी चीजें सीखने को मिलेगा। जिससे वह भारत के लिए और प्रभावी साबित हो सकते हैं। हालाँकि टीम में अभी बहुत से दाहिने हाथ के गेंदबाज़ हैं। जो अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में सरन को विदेशी लीग में खेलने की अनुमति दी जानी चाहिए। जिससे वह आने वाले समय में नेहरा जी की जगह पर टीम का हिस्सा बन सकते हैं। सरन पिछली बार आईपीएल की विजेता टीम सनराइजर्स हैदराबाद के अहम हिस्सा थे। ऐसे में आने वाले समय में वह राष्ट्रीय टीम में बाएं हाथ के गेंदबाज़ की भूमिका में बिलकुल फिट बैठ सकते हैं। इसके अलावा सरन अगर विदेशी लीग में खेलेंगे तो उन्हें बेहतर अनुभव भी होगा। जिसका फायदा उन्हें भारतीय टीम के लिए खेलने पर मिलेगा। जो कप्तान कोहली के लिए भी उम्दा साबित होगा।
इरफ़ान पठान
तेज गेंदबाज़+बल्लेबाजी ऑलराउंडर के तौर पर इरफ़ान पठान की जगह भारत ने स्टुअर्ट बिन्नी और मौजूदा समय में हार्दिक पांड्या को आजमाया है। ऐसे में टीम में उनकी जगह बन नहीं पा रही है। इरफ़ान पठान की उम्र 32 वर्ष की है, उनका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रारूप में बढ़िया रिकॉर्ड है। उनके नाम टेस्ट में हैट्रिक और शतक दोनों दर्ज है। उन्होंने टीम के लिए कई मैच जिताऊ प्रदर्शन किया है। इसके बावजूद उन्हें टीम में जगह नहीं मिल पा रही है। चोट की वजह से इरफ़ान पठान को टीम से बाहर होना पड़ा और उसके बाद वह टीम में वापसी के करीब आकर भी बाहर होते रहे हैं। ऐसे में उन्हें विदेशी लीगों में खेलने की अनुमति बीसीसीआई को देनी चाहिए। जिससे वह दोबारा से टीम में वापसी का दावा पेश कर सकें।