रॉबिन पीटरसन के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उनके एक लंबे क्रिकेट करियर का अंत हो गया | उनके पक्ष में जो सबसे बड़ी बात जाती थी वो ये थे कि दक्षिण अफ्रीका के पास अच्छे स्पिनर नहीं थे, ऐसे में उनके जैसा लेफ्ट ऑर्म स्पिनर जो स्पिन बॉलिंग के साथ निचले क्रम में आक्रामक बल्लेबाजी भी करे , प्रोटियाज के लिए हीरे की तरह था | पीटरसन ने 1998 में दक्षिण अफ्रीका के लिए अंडर-19 वर्ल्ड कप खेला, जल्द ही वो दक्षिण अफ्रीका के नेशनल टीम में भी चुन लिए गए | साउथ अफ्रीका की टीम मैनेजमेंट निकी बोए का विकल्प ढूंढ रही थी, ऐसे में पीटरसन उनको सबसे ज्यादा मुफीद लगे, उनकी फील्डिंग उनके लिए प्लस प्वाइंट थी | हालांकि वो टेस्ट टीम में नियमित जगह नहीं बना सके, लेकिन छोटे फॉर्मेट में वो नियमित सदस्य रहे | 2004 में उन्होंने वॉरियर के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया 5 साल तक टीम से जुड़े रहने के बाद उन्होंने 2009 में उन्होंने केप कोबराज को ज्वॉइन कर लिया | इसी साल उन्होंने नाइट्स की टीम को ज्वॉइन किया और सन फ्वॉइल सीरीज के पांचों मैच उन्होंने खेले | लेकिन बुधवार को अचानक उन्होंने संन्यास का फैसला कर सबको चौंका दिया | उन्होंने ट्विटर पर लिखा -
" आप सभी के सहयोग के लिए शुक्रिया, मैंने अपने करियर के हर पल का खूब आनंद उठाया और आगे के लिए इससे ज्यादा की उम्मीद करता हूं ' उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लिए 15 टेस्ट मैचों में 38, 79 वनडे मैचों में 75 और 21 टी-20 मैच में 24 विकेट लिए | वहीं निचले क्रम में उन्होंने कुछ उपयोगी पारियां भी खेली | उन्होंने कोल्पक के साथ कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए नेशनल टीम के चयन के लिए खुद को अनुपलब्ध बताया | हालांकि 2011 वर्ल्ड कप में विवादास्पद चयन के बाद उन्होंने अपना इरादा बदल दिया और 2014 तक टीम के लिए खेले |उनके करियर में काफी उतार-चढ़ाव आए | आइए जानते हैं उनके करियर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें: 5. IPL में धमाकेदार प्रदर्शन 2012 में इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस ने उन्हें नीलामी में खरीदा | आईपीएल में ये उनका पहला और आखिरी साल था | हालांकि उन्होंने इस सीजन में धमाकेदार प्रदर्शन किया, किंग्स इलेवन के खिलाफ मैच में मुंबई इंडियंस को 2 ओवर में जीत के लिए 32 रन चाहिए थे, पीटरसन ने अंबाती रायडू के साथ मिलकर आईपीएल के सफल गेंदबाजों में से एक पीयूष चावला पर आक्रामक रुख अख्तियार किया | पीयूष चावला के उस ओवर में 27 रन बने, पीटरसन ने पहले 4 गेंदों पर 15 रन बनाए, वहीं अगली 2 गेदों पर रायडू ने 2 शानदार छक्के जड़े | मुंबई को उस मैच में अप्रत्याशित रुप से जीत मिली | 4. टेस्ट क्रिकेट इतिहास का सबसे महंगा ओवर
2003-04 में जोहानिसबर्ग में क्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज के टेस्ट मुकाबला खेला जा रहा था | गेंद रॉबिन पीटरसन के हाथ में थी और सामने थे वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज ब्रायन चार्ल्स लारा | लारा ने पीटरसन के उस ओवर में हर गेंद को सीमा रेखा के पार पहुंचाया | उन्होंने उस ओवर में 4 चौके और 2 छक्कों की मदद से 28 रन बनाए | ये टेस्ट क्रिकेट इतिहास में एक ओवर में रनों के मामले में सबसे बड़ा ओवर था | बाद में 2013 में ऑस्ट्रेलियाी बल्लेबाज जॉर्ज बेली ने एंडरसन के एक ओवर में 28 रन बनाकर रिकॉर्ड की बराबरी की | 3. वनडे क्रिकेट के इतिहास में दूसरा सबसे महंगा ओवर लगभग 10 साल बाद श्रीलंका के खिलाफ मैच में पीटरसन के साथ वैसा ही हुआ जैसा वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में हुआ था | 2013 में पल्लीकेल में श्रीलंका और साउथ अफ्रीका के बीच तीसरा वनडे मैच खेला जा रहा था | श्रीलंका महज 94 रनों पर अपने 7 विकेट गंवा चुकी थी और उसे जीत के लिए 130 रनों की और दरकार थी | क्रीज पर बल्लेबाज थे थिसारा परेरा और रंगना हेराथ और सामने गेंदबाज थे रॉबिन पीटरसन | परेरा उसक समय 14 गेंदों पर 5 रन बनाकर खेल रहे थे | लेकिन पीटरसन के उस ओवर में 5 ताबड़तोड़ छक्के और 1 चौका जड़ डाला | उस ओवर में कुल 35 रन बने | परेरा ने उस मैच में 49 गेंदों पर 65 रन बनाए, लेकिन फिर भी श्रीलंका वो मैच बड़े अंतर से हार गया | 2. रिकी पोंटिंग को आउट करना पर्थ की पिच को हमेशा से ही तेज गेंदबाजी के लिए मुफीद माना जाता रहा है, लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने उस मैच तेज गेंदबाज की जगह स्पिनर रॉबिन पीटरसन को टीम में शामिल किया | य़े रिकी पोंटिंग का आखिरी टेस्ट मैच भी था | दक्षिण अफ्रीका के इस फैसले पर सभी ने सवाल उठाए | लेकिन पीटरसन ने अपने खेल से सबके सवालों का करारा जवाब दिया | सभी को लगा रहा था कि अपने आखिरी मैच में पोंटिंग बड़ा स्कोर बनाएंगे, लेकिन पीटरसन के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था | महज 8 रनों पर ही उन्होंने पोंटिंग को आउट कर खलबली मचा दी | गेंद पोंटिंग के बल्ले का किनार लेकर स्लिप में खड़े जैक कैलिस के हाथों में समा गई | उस टेस्ट मैच में पीटरसन ने 6 विकेट चटकाए और दक्षिण अफ्रीका की टीम ने 309 रनों के बड़े अंतर से वो मैच जीता | शायद उस मैच में पीटरसन की सफलता को ध्यान में रखते हुए तीन साल बाद ठीक उसी जगह पर एक और लेफ्ट ऑर्म स्पिनर केशव महाराज को मौका दिया गया | 2011 वर्ल्ड कप जीत में भारत पर एकमात्र दाग 2011 में भारत ने घरेलू सरजमीं पर 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीता | उस पूरे टूर्नामेंट में केवल दक्षिण अफ्रीका के हाथों उसे हार मिली और ये हुआ आखिरी के ओवरो में रॉबिन पीटरसन की आक्रामक बल्लेबाजी के कारण | नागपुर में खेले गए उस रोमांचक मैच में दक्षिण अफ्रीका को जीतने के लिए आखिरी ओवर में 13 रन चाहिए थे, बल्लेबाज थे रॉबिन पीटरसन और उनके सामने थे भारत के अनुभवी गेंदबाज आशीष नेहरा | लेकिन पीटरसन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा | उन्होंने चौके के साथ ओवर की शुरुआत की और अगली ही गेंद पर एक शानदार छक्का जड़ दिया | पूरे स्टेडियम में सन्नाटा छा गया, साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 4 गेंदों पर महज 3 रन चाहिए थे | अगली 2 गेंदों पर एक डबल और चौके के साथ साउथ अफ्रीका ने भारत से वो मैच छीन लिया | पीटरसन के लिए ये वर्ल्ड कप काफी शानदार रहा वो दक्षिण अफ्रीका की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे | टूर्नामेंट में उनका सबसे बढ़िया बॉलिंग प्रदर्शन बांग्लादेश के खिलाफ था | बांग्लादेश के खिलाफ उस मैच में उन्होंने 12 रन देकर 4 विकेट चटकाए जिसकी वजह से बांग्लादेश की टीम मात्र 78 रनों पर सिमट गई |