सचिन के बल्ले ने ऐसा कहर बरपाया, कि उन्होंने हजारों रन बनाए, शतकों का शतक जड़ा और विश्व के तमाम दिग्गज गेंदबाजों की क्लास लगाई। उनका बल्ला काफी भारी और बड़े किनारों वाला था। सचिन के बल्ले के किनारे बेहद बड़े होते थे क्योंकि वो काफी मोटी लकड़ी के बनाए जाते थे, जिससे उनके बल्ले काफी वजनी होते थे। 1996 वर्ल्ड कप की शुरुआत तक सचिन का बल्ला किसी भी कंपनी द्वारा प्रायोजित नहीं था। हालांकि टूर्नामेंट खत्म होने के बाद टायर की मशहूर कंपनी MRF ने सचिन के साथ बल्ले का करार किया। अपने बैट के साथ विरोधी के खिलाफ कहर बरसाने की वजह से गेंदबाज उनके बल्ले के लम्बे चौड़े आकार को लेकर शिकायत किया करते थे। 2010 अक्टूबर में उनका बैट एक प्रसिद्ध खेल नीलामी में 42 लाख रुपये में बेचा गया था। सचिन का बल्ला उनके शानदार खेल का असली साथी था। लेखक: मुकुल मैसूर, अनुवादक: अनुराधा तंवर