5 लोकप्रिय कप्तान जो अपने एकदिवसीय डेब्यू में हुए थे शून्य पर आउट

कुछ खिलाड़ी अपने पदार्पण मैच में ही शतक या दोहरा शतक लगाते हुए अपनी क्षमता से सभी को परिचित करा देते हैं। जहाँ कुछ खिलाड़ी एक अच्छी शुरुआत कर लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहते हैं, वहीं कुछ क्रिकेटर ऐसे भी रहे हैं जो कि अपने एकदिवसीय पदार्पण पर बिना कोई स्कोर बनाये ही आउट हुए हैं, लेकिन आगे चल कर महान खिलाड़ी बनने में सफल रहे हैं, और अपनी टीमों का नेतृत्व भी किया है। यहां, हम ऐसे ही 5 लोकप्रिय क्रिकेटरों पर नज़र डाल रहे हैं जिन्होंने शून्य के स्कोर पर आउट हो, अपने एक दिवसीय करियर की ख़राब शुरुआत की लेकिन आगे जा के अपने देश की टीम के कप्तान बन गए।

# 5 एंजेलो मैथ्यूज़

एंजेलो मैथ्यूज वर्तमान श्रीलंकाई टीम का आधार हैं और श्रीलंका को कुछ सबसे प्रसिद्ध जीतों को दिलाने में योगदान भी दिया है, सबसे हालिया उदाहरण आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2017 का है जहां मैथ्यूज ने 322 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत के खिलाफ सफलतापूर्वक टीम का नेतृत्व किया। श्रीलंका के लिए ऐसी ही कई जीतों के वो नायक रहे हैं। बल्लेबाज के रूप में, उन्हें एक पावर हिटर के रूप में जाना जाता है जो आसानी से मैदान के बाहर पहुँचा सकता है। अपने दिन पर, वह दुनिया के बेहतरीन से बेहतरीन गेंदबाजों के लिए भी एक दुःस्वप्न होते हैं। मैथ्यूज ने 28 नवंबर, 2008 को जिम्बाब्वे के खिलाफ अपना पहला एकदिवसीय मैच खेला था। श्रीलंकाई टीम ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया और ज़िम्बाब्वे को 46.3 ओवरों में केवल 146 रनों पर आउट किया, जिसमें मेंडिस ने 29 रन देकर 6 विकेट लिए थे। 101-6 के स्कोर पर बल्लेबाजी करने आये मैथ्यूज को 8 गेंदों का सामना करने के बाद, नौवीं गेंद पर रे प्राइस ने आउट किया। श्रीलंका ने जेहान मुबारक की 98 गेंदों पर 60 रन की पारी के चलते मैच जीत लिया। मेंडिस को उनके 6 विकेट लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया था। जब भारत ने 2012 में 5 मैचों की श्रृंखला के लिए श्रीलंका का दौरा किया, तब अंततः एंजेलो मैथ्यूज एकदिवसीय प्रारूप में श्रीलंका के कप्तान बने। हालाँकि वह श्रृंखला भारत 4-1 से जीतने में सफल रहा।

# 4 शोएब मलिक

शोएब मलिक एक वास्तविक ऑलराउंडर हैं। एक उत्कृष्ट क्षेत्ररक्षक, और एक अच्छे बल्लेबाज होने के साथ ही, उनके पास बीच के ओवरों में गेंदबाजी करते हुए साझेदारी तोड़ने और सेट बल्लेबाजों को आउट कर टीम को महत्वपूर्ण ब्रेक दिलाने की भी कला है। वह किसी भी स्थिति में बल्लेबाजी कर सकते हैं और पारी को संभाल सकते हैं। अपनी बेहतरीन टाइमिंग के साथ, वह बिना किसी समस्या के गेंदों को सीमा रेखा के पार पहुँचा सकते हैं। पाकिस्तान के लिए 261 ओडीआई में शामिल हो चुके इस अनुभवी खिलाड़ी ने 35.23 के औसत से 6975 रन बनाए हैं। शोएब ने कोका-कोला चैंपियन ट्रॉफी में श्रीलंका के खिलाफ 15 अक्टूबर 1999 को अपने करियर की शुरुआत की। पाकिस्तान ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। यह एक बहुत कम स्कोर वाला रोमांचक मैच था जो टाई पर समाप्त हुआ। पहले बल्लेबाजी करते हुए, श्रीलंका ने 49.4 ओवर में 196 रन बनाये। 197 के छोटे लक्ष्य का पीछा करते हुए, पाकिस्तान ने नियमित अंतराल पर विकेट गंवाए। उनके तीन बल्लेबाज़ रन आउट हो गए और शोएब मलिक जो कि उस मैच में 10 वें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए आये थे जयसूर्या के ओवर में कॉट एंड बोल्ड हो गये। रसेल अर्नोल्ड ने अरशद खान का विकेट लिया और इस तरह पाकिस्तान की पारी 196 पर समाप्त हो गयी और मैच टाई हो गया। आगे चलकर शोएब मलिक पाकिस्तान के सबसे विश्वसनीय बल्लेबाजों में से एक बन गये, जिन्होंने टीम के लिए किसी भी स्थिति और क्रम पर बल्लेबाजी की। वह बाद में कप्तान भी बने और 66.6 के जीत प्रतिशत के साथ उनके नेतृत्व में पाकिस्तान ने कुछ बेहतरीन जीत भी हासिल की।

# 3 केन विलियमसन

वर्तमान में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में से एक केन विलियमसन एक ऐसा नाम है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। न्यूज़ीलैंड के इस खिलाड़ी ने हाल ही में संपन्न आईपीएल 2018 के फाइनल में अपनी टीम सनराइजर्स हैदराबाद का नेतृत्व किया। उन्होंने ऑरेंज कैप भी जीती, जिसे टूर्नामेंट में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी को दिया जाता है। उनकी कप्तानी की सभी ने सराहना की। विलियमसन के एकदिवसीय करियर की शुरुआत भूला देने वाली रही। 10 अगस्त, 2010 को डंबुला में भारत के खिलाफ मैच से उनके करियर की शुरुआत हुई। न्यूजीलैंड ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। 27-2 के स्कोर पर इंग्राम के आउट होने के बाद नंबर 4 पर उतरने वाले विलियमसन को प्रवीण कुमार ने 9 वीं डिलीवरी पर आउट कर दिया। हालाँकि न्यूजीलैंड इस मैच को बाद में आराम से जीतने में सफल रहा, लेकिन विलियमसन के अपने करियर के लिए यह एक भयावाह शुरुआत थी। उसके बाद वह न्यूजीलैंड क्रिकेट के साथ ही विश्व क्रिकेट के भी एक सितारे बन गये, और कुछ लोग तो उन्हें अभी से ही न्यूजीलैंड के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक मानने लगे हैं। 121 पारी में 46.8 की औसत के साथ, विलियमसन अब शब्द स्थिरता का पर्याय बन गये है। उन्होंने ब्रेंडन मैकुलम से कप्तानी संभाली थी और अब लगातार सफलतापूर्वक टीम को जीत दिला रहे हैं और यही वजह है कि आज न्यूजीलैंड उनकी कप्तानी में विश्व क्रिकेट की सबसे घातक टीमों से एक बन गयी है।

# 2 सचिन तेंदुलकर

सचिन तेंदुलकर विश्व क्रिकेट के इतिहास के महानतम क्रिकेटरों में से एक माने जाते हैं। उनके एकदिवसीय और टेस्ट क्रिकेट दोनों में सर्वाधिक रन हैं। वह 100 शतक लगाने वाले एकमात्र अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर भी हैं। सचिन तेंदुलकर ने अपना पहला एकदिवसीय शतक अपने 79 वें एकदिवसीय मैच में बनाया और इससे पहले कई बार अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में बदलने में सफल नही हुए। 1989 में तेंदुलकर ने पाकिस्तान के खिलाफ 16 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी। भारत ने टॉस जीता और जिन्ना स्टेडियम, गुजरनवाला में पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। मैच को घटाकर 16 ओवरों का कर दिया गया और पाकिस्तान ने 9 विकेट खोकर 87 रन बनाए। 88 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए, भारत ने कुछ शुरुआती विकेट गंवाए और 34 पर 3 विकेट गवां कर संघर्ष कर रहा था। 5 वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने उतरे सचिन बिना खता खोले आउट हो गये और वकार यूनिस की गेंद पर वसीम अकरम द्वारा लपक लिए गये गया था। अंत में भारत यह मैच 7 रन से हार गया था। पाकिस्तान ने श्रृंखला 2-0 से जीती। आगे चलकर सचिन तेंदुलकर भारतीय टीम के कप्तान बने और 73 एकदिवसीय मैचों में कप्तानी की, मगर उनका जीत का प्रतिशत मात्र 35.07 का रहा और अंततः 2000 में उन्होंने कप्तानी छोड़ दी।

# 1 एमएस धोनी

एमएस धोनी भारत के सबसे सफल एकदिवसीय कप्तान है। उन्हें इस खेल के सबसे महान फिनिशरों में से एक माना जाता है। उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने 2007 में टी -20 विश्वकप, 2011 में विश्व कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीती। धोनी ने अपने एकदिवसीय करियर में ज्यादातर नंबर 6 पर बल्लेबाजी की है वह लगातार सफल और भरोसेमंद रहे हैं। उन्हें अक्सर अंतिम ओवेरों में या फिर निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ बल्लेबाज़ी करनी पड़ती है। 318 एकदिवसीय मैचों में 9967 रनों के साथ, एमएस धोनी का 51.4 का बेहतरीन औसत है। हालांकि, वह उनके एकदिवसीय करियर की शुरुआत अच्छी नही रही। 2004 में बांग्लादेश दौरे पर चिटगांव में पहले मैच में धोनी बिना खाता खोले रन आउट आउट हो गये। बांग्लादेश ने टॉस जीता और भारत को बल्लेबाजी के लिए बुलाया। श्रीराम के आउट होने के बाद धोनी नंबर 7 पर आए। धोनी ने एक तेज सिंगल के लिए शॉर्ट फाइन लेग की तरफ खेलने की कोशिश की लेकिन कैफ ने उन्हें वापस भेज दिया क्योंकि वहां सिंगल नहीं था और क्षेत्ररक्षक ने गेंद सीधे विकेटकीपर के दस्तानों में फेंक दी जो कि गिल्लियां उखाड़ने के लिए पर्याप्त था। हालांकि, भारत ने 11 रनों से मैच जीता और आगे चलकर एमएस धोनी अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट के सबसे सफल भारतीय कप्तान बन गये। लेखक: कौशिक तुलरापति अनुवादक: राहुल पांडे

Edited by Staff Editor
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