भारत ने 3-2 से न्यूजीलैंड को वन-डे सीरीज में मात दी और विशाखापत्तनम में खेले गए आखिरी मैच में 190 रन के बड़े अंतर से शानदार जीत हासिल की। इस सीरीज में कड़ी टक्कर देखने को मिली, लेकिन विराट कोहली और अमित मिश्रा की कम्पनी ने सीरीज को जीत में तबदील करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस सीरीज में हमने दोनों टीमों में काफी भिन्नता देखी और जिस तरह से उप-महाद्वीप पर मुकाबले होते हैं उसमें भी काफी कुछ अलग था, पांच वनडे मैचों की सीरीज में जहां सारे बैटिंग फ्रेंडली ट्रैक हैं वहां इस बार बाजी गेंदबाजों ने मार ली। हमने इस सीरीज से भारतीय टीम को मिले 5 सकारात्मक पिरणाम निकाले हैं:
5 हार्दिक पांड्या – अगर हार्दिक मेहनत जारी रखेंगे, तो भारत के लिए ये एक उपयोगी ऑलराउंडर साबित हो सकते हैं लम्बे समय से भारत को एक ऐसे ऑलराउंडर की तलाश थी जो मीडियम पेस गेंदबाजी करने में भी सक्षम हो। इरफान पठान ने कुछ वर्ष शानदार प्रदर्शन किया लेकिन वो भी अपनी लय भूल गए, जिसके बाद स्टूअर्ट बिन्नी को मौका मिला लेकिन वो भी प्रभावशानी छाप छोड़ने में नाकाम साबित हुए। इस सीरीज ने हार्दिक पांड्या को उभरते हुए देखा, ऑस्ट्रेलिया में इंडिया ए की ओर से खेलते हुए हार्दिक ने प्रभावशाली प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया था, जिसके बाद धर्मशाला में खेले गए सीरीज के पहले मैच में हार्दिक पांड्या ने वनडे में डेब्यू किया। बड़ौदा के इस ऑलराउंडर को इस वर्ष हुए वर्ल्ड टी20 में अपने प्रदर्शन के लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी, लेकिन अपने पहले वनडे मैच में ही मैन ऑफ द मैच का खिताब अपने नाम कर इस खिलाड़ी ने अपनी योग्यता साबित कर दी। धर्मशाला में नई गेंद से उन्होंने काफी शानदार खेल दिखाया, अपने अद्धुत लय, 140 के शानदार पेस से गेंदबाजी कर उन्होंने इस मैच में 3 विकेट झटके थे। दिल्ली में खेले गए दूसरे वनडे में, वो गेंद से नाकाम साबित हुए लेकिन लोउर ऑर्डर में उन्होंने अपनी बल्लेबाजी दिखाई। हालांकि जिस तरह से सीरीज बढ़ती गई प्रदर्शन की मांग भी उठती गई, टीम मैनेजमैंट को इस खिलाड़ी पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अगले वर्ष होने वाली आईसीसी चैंपिंयस ट्रॉफी के लिए वो टीम के लिए एक्स-फेक्टर साबित हो सकते हैं। केदार जाधव – सर्प्राइज पैकेज पिछले कुछ समय से केदार जाधव भारतीय टीम के किनारे पर रहे हैं, लेकिन उन्हें मौका सिर्फ ज़िम्बाब्वे के खिलाफ ही मिल पाया था। जिस वजह से ये सीरीज केदार के लिए काफी अहम थी। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई चतुष्कोणीय वनडे सीरीज में टीम ए की ओर से उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की और 63.50 की औसत से 254रन बनाए, इसी प्रदर्शन के तर्ज पर न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में चयन हुआ। लेकिन ये शायद किसी ने भी नहीं सोचा था कि इस सीरीज में वो न्यूजीलैंड के खिलाफ चौथे सबसे ज्यादा विकेट चटकाने वाले खिलाड़ी साबित होंगे, इससे पहले जाधव के नाम लिस्ट ए में सिर्फ एक विकेट ही दर्ज थी। केदार साफ तौर पर धोनी के तुरुप के इक्के साबित हुए, उन्होंने अपनी ऑफ-स्पिन गेंदबाजी से न सिर्फ कई महत्वपूर्ण साझेदारी तोड़ी और कीवी बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई, बल्कि वो रन देने के मामले में भी काफी किफायती साबित हुए। इस सीरीज में उन्होंने 6 विकेट झटके, जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 18 रहा जबकि उनकी इकॉनमी 4 रन प्रति ओवर रही। हालांकि वो अपनी बल्लेबाजी के लिए ज्यादा चर्चित हैं और उन्होंने कहीं कहीं उसकी झलक भी दिखाई, लेकिन उनकी गेंदबाजी इस सीरीज में एक सर्प्राइज पैकेज साबित हुई। दूसरे दर्जे के गेंदबाजो ने अपना काम बखूबी किया टेस्ट सीरीज को देखते हुए चयनकर्ताओं ने वनडे सीरीज के लिए शीर्ष गेंदबाज जैसे आर. अश्विन, शमी, भुवनेश्वर, रवींद्र जडेजा को आराम दिया था। ये मौका था उमेश यादव, अक्सर पटेल जैसे गेंदबाजों को अपनी प्रतिभा से अपनी जगह पक्की करने का। और इस मौके को इन खिलाड़ियों ने ठीक तरीके से भुनाया। फ्लैट पिच जो कि बल्लेबाजों के लिए काफी आसान दिख रही थी, भारतीय गेंदबाजों ने उन पिचों पर कीवी बल्लेबाजों की हालत खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन पांच मुकाबलों में, गेंदबाजों ने कीवी टीम को बड़े स्कोर स्थापित करने से पहले ही अपना शिकार बना दिया, अगर ऐसा नहीं होता तो भारत ये सीरीज पहले ही गवां चुका होता। उमेश यादव ने नई गेंद से काफी प्रभावित किया, जबकि जसप्रीत बुमराह शानदार गेंदबाजी दिखाई। लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने इस सीरीज में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाया, इस दौरान उन्हें अक्सर पटेल का बखूबी साथ मिला। सीरीज के आखिरी मुकाबले में जयंत यादव ने अपने डेब्यू मैच में बेहतरीन प्रदर्शन किया और अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हुए। इंग्लैंड में होने वाले चैंपियंस ट्रॉफी को अब ज्यादा समय नहीं बचा है, ऐसे में इन गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम काफी मजबूत दिख रही है। विराट कोहली की शानदार बल्लेबाजी ने एक बार फिर लोगों का दिल जीत लिया
विराट कोहली आज भारतीय टीम का दूसरा नाम बन चुके हैं। जब ये खिलाड़ी बल्ला लेकर मैदान पर उतरता है तो एक भरोसे का एहसास होता है। आपको ये मालूम होता है कि जब विराट कोहली खेलेंगे तो वो रन बनाएंगे, ऐसा ही इस सीरीज में हुआ और भारत ये सीरीज 3-2 से जीत गया। इस सीरीज में भारत को मिली तीन जीत में विराट अहम भूमिका में थे। पहले वनडे मैच में उन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए नाबाद 85 रन बनाए जबकि मोहाली में खेले गए तीसरे वनडे में 286 के टारगेट का पीछा करते हुए विराट ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 154 रन की बेहतरीन पारी खेली और सीरीज के आखिरी मैच में उन्होंने 65 रन बनाए। इस सीरीज के टॉप स्कोरर रहे विराट कोहली ने358 रन बनाए जिसमें उनका औसत 119.3 जबकि स्ट्राइक रेट 100.84 रहा। वर्ष 2016 भारतीय टेस्ट कप्तान के लिए काफी अच्छा रहा है, इस वर्ष उन्होंने अभी तक कुल 10 वनडे मैचों में 739 रन बनाए हैं और इस दौरान उनका औसत 92.37 रहा। हालांकि विरोट कोहली पर पूरी टीम की निर्भर करती है, जिस वजह से टीम के बाकि खिलाड़ी सवालों के निशाने पर रहते हैं, चैंपियंस ट्रॉफी से पहले विराट कोहली अच्छी फॉर्म में हैं, ये भारतीय टीम के लिए अच्छा संकेत है। अमित मिश्रा का शानदार प्रदर्शन अमित मिश्रा उन भारतीय खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने अपने करियर का सबसे ज्यादा समय टीम के किनारे गुजारा है। वर्ष 2003 में वनडे में डेब्यू करने वाले, अमित मिश्रा को मजह 37 वनडे मुकाबले खेलने का मौका मिला है, जो कि ऐसे प्रतिभाशाली स्पिनर के लिए काफी कम मैच हैं। इस सीरीज में भी उन्हें इसलिए मौका मिला क्योंकि भारतीय टीम के मेन स्पिनर्स को आराम दिया गया है, अमित मिश्रा ने अपने मौके पर चौका मारते हुए शानदार प्रदर्शन किया। उनकी गुगली को समझना कीवी टीम के लिए मुश्किल चुनौती साबित हुई। इस सीरीज में, उन्होंने हर मैच में 2 या उससे ज्यादा विकेट हासिल किए, लेकिन सबसे बेहतरीन प्रदर्शन विशाखापट्टनम में हुए सीरीज के फाइनल मुकाबले में देखने को मिला। जहां उन्होंने कीवी टीम की हालत खराब कर दी और पांच विकेट हासिल कर 79 रन पर ही न्यूजीलैंड को ऑलआउट कर दिया और भारत ने 190 के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। लेग स्पिनर ने इस सीरीज में 15 विरेट झटके और पहली बार मैन ऑफ द सीरीज का खिताब अपने नाम किया। इस 33 वर्षीय लेग स्पिनर को जिस वक्त टीम में मौका मिला था उस वक्त उन्हें ये बताया गया था कि इस सीरीज में उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिलेंगे क्योंकि टीम के नियमित स्पिनर्स आखिरी के मैचों में वापसी कर सकते हैं। लेकिन अमित मिश्रा ने इस बात का पूरा ध्यान रखा की चयन समीति को उन्हें टीम से बाहर करने में काफी मुश्किल हो ताकि अश्विन और जड़ेजा जैसे नियमित स्पिनर्स को आसानी से वापसी करने का मौका न मिल सके।