श्रीसंत की क्रिकेट में वापसी नहीं होनी चाहिए, ये रहे 5 कारण

श्रीसंत अपने जमाने के आक्रामक तेज गेंदबाज़ रह चुके हैं, लेकिन जब वह अपने करियर के पीक पर थे तभी उनकी एक बड़ी गलती ने उनके पूरे करियर को बर्बाद करके रख दिया। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग की वजह से श्रीसंत के ऊपर क्रिकेट खेलने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया। उसके बाद उन्होंने एक राजकुमारी से शादी की और खुद को राजनीति व अभिनय क्षेत्र में हाथ अजमाया। कोर्ट से बरी होने के बाद श्रीसंत भारत के लिए अब दोबारा खेलना चाहते हैं। लेकिन इस विवादित तेज गेंदबाज़ को बीसीसीआई अनुमति नहीं देना चाहती है। जबकि केरल हाईकोर्ट ने उनके खेलने से प्रतिबंध हटा लिया है। इसके बावजूद इस 35 वर्षीय तेज गेंदबाज़ के लिए दोबारा से क्रिकेट में वापसी करना बेहद मुश्किल लग रहा है। क्योंकि खेलों में भरोसा खोना खिलाड़ी पर भारी पड़ता है। श्रीसंत ने अपना आखिरी वनडे व टेस्ट 2011 में खेला था। कोर्ट से केस खत्म हो चुका है और श्रीसंत कई बार मीडिया में आकर अपनी क्रिकेट की वापसी की बात कह चुके हैं, जिससे बीसीसीआई उन्हें रोकने के लिए कानूनी सलाह ले रहा है, ऐसे में श्रीसंत की वापसी में ये 5 अड़चने आ सकती हैं: मैच फिक्सिंग व स्पॉट फिक्सिंग को लेकर भारत को जीरो टॉलरेंस नीति अपनानी होगी श्रीसंत का स्पॉट फिक्सिंग मामला जितना बड़ा है, उसके सामने उन्हें जो सजा मिली है। वह बेहद कम है। बीसीसीआई उन्हें ऐसी सजा देना चाहता है, जो भविष्य में युवा खिलाड़ियों के लिए नजीर साबित हो। साथ ही फिक्सिंग के खिलाफ भारतीय क्रिकेट में जीरो टॉलरेंस की नीति से कोई समझौता न करने का सन्देश भी जाए। अगर बीसीसीआई की गवर्निंग बॉडी अपनी इस नीति में सफल रही तो श्रीसंत का ये मामला भविष्य में किसी केस स्टडी से कम नहीं होगा। जिससे आरोपी खिलाड़ी को किसी भी तरह की कोई छूट न मिल सके। बीसीसीआई की अनुशानात्मक समिति को श्रीसंत की गलती मिली थी भारत में खेलों में धोखाधड़ी करने पर कोई सख्त नियम नहीं है। जिसकी वजह से खिलाड़ियों आरोप तो साबित हो जाते हैं, लेकिन उसके बाद दोषी खिलाड़ियों को सजा नहीं मिल पाती है। वहीं दूसरे धोखाधड़ी मामलों में मकोका व आईपीसी के तहत मामले दर्ज होते हैं। ऐसे में भारत में खेलों के लिए भी एक ऐसा कड़ा कानून बनना चाहिए। हालांकि बीसीसीआई ने दिल्ली के पूर्व पुलिस प्रमुख से जो जाँच करवाया था उसमें श्रीसंत दोषी पाए गये थे। भारतीय कानून में कहीं भी मैच फिक्सिंग को अपराध नहीं माना गया है, जिसकी वजह से श्रीसंत को कोई सजा नहीं हो पायी। बीसीसीआई की अनुशानात्मक समिति उन्हें दोषी मानती है, तो वहीं कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। और ऐसा न हो कि हम उस स्पॉट फिक्सिंग करने वाले को वास्तव में भूल जाएं आप कई क़ानून के हिसाब से श्रीसंत को दोषमुक्त करार दे सकते हैं। लेकिन उन जांचों को कैसे झुठला सकते हैं, जिसमें में उन्हें दोषी माना गया है। इसलिए की कोर्ट ने उन्हें दोषमुक्त करार दिया है। आप एक क्षण में कैसे किसी के चेहरे पर ईमानदारी को पेंट कर सकते हैं। यदि केरल हाईकोर्ट के आदेश को माना जाए तो बीसीसीआई को श्रीसंत के आजीवन प्रतिबंध को हटा लिया जाना चाहिए। अदालत ने ऐसा फैसला सिर्फ पुलिस की जाँच पर संदेह जताते हुए दिया है। जिसके बाद श्रीसंत के स्पॉट फिक्सिंग या सट्टा में किसी भी तरह के लिंक को ख़ारिज कर दिया गया है। किसी भी खेल में भरोसे का टूट जाना अस्वीकार्य है यदि आप श्रीसंत के कट्टर फैन हैं, तब भी आप उनके ऊपर शक जरूर करेंगे। भारत को विश्वकप दिलाने में श्रीसंत की भूमिका अहम रही है, लेकिन इसके बावजूद भी जिस तरह से उन्होंने क्रिकेट को बदनाम किया उसे देखते हुए कोई भी क्रिकेट फैन ने दोबारा मौका दिए जाने के पक्ष में नहीं होगा। वहीं कोर्ट ने उन्हें बरी करते हुए ये कहा कि वह अपनी सजा भुगत चुके हैं, ऐसे में उन्हें अब क्रिकेट खेलने दिया जाना चाहिए। जो बोर्ड अधिकारीयों के लिए सिरदर्द बन गया है। वह भारतीय टीम में अब फिट नहीं बैठेंगे विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम जिस तरह से प्रदर्शन कर रही है, उसे देखते हुए श्रीसंत अब इस टीम में फिट नहीं बैठेंगे। साल 2019 के विश्वकप में उनकी उम्र 37 वर्ष हो जाएगी जिससे उनका फिटनेस लेवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी की तरह नहीं होगा। जबकि मौजूदा समय में भारतीय गेंदबाज़ी आक्रमण दुनिया में सर्वश्रेष्ठ श्रेणी में आता है। साथ ही ये भारत का अबतक का सबसे बेहतरीन गेंदबाज़ी कॉम्बिनेशन है। इसके अलावा श्रीसंत ने साल 2011 में आखिरी बार अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला है। ऐसे में एकाएक उन्हें भारतीय टीम में जगह मिलना आसान काम नहीं होगा। ऐसे में उनकी अगर क्रिकेट में वापसी हो भी जाती है तो वह उनके लिए खुशगवार नहीं होगा। लेखक- उरबैन, अनुवादक- जितेंद्र तिवारी