रविवार का दिन भारतीय क्रिकेट टीम के लिए एक और मायूसी लेकर आया जब इंग्लैंड के ख़िलाफ़ चौथे टेस्ट में हार के साथ ही भारत ने एक और सीरीज़ गंवा दी। साउथैम्पटन में कोहली एंड कंपनी को 60 रनों से हार का सामना करना पड़ा, यानी इंग्लिश सरज़मीं पर भारत की ये लगातार तीसरी टेस्ट सीरीज़ हार है। इसमें कोई शक नहीं है कि भारत की इस टेस्ट टीम ने अब तक इंग्लैंड को कड़ी टक्कर दी है और 3 में से दो मुक़ाबलों में नतीजा मेज़बान की बजाए मेहमान टीम के पक्ष में भी जा सकता था। बर्मिंघम में जहां विराट सेना लक्ष्य से 31 रन दूर रह गई थी तो साउथैम्पटन में भी मंज़िल से भारत 60 रन ही पीछे रहा। ट्रेंटब्रिज में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में शानदार जीत के बाद सभी को उम्मीद थी कि भारतीय टीम साउथैम्पटन में भी जीत का डंका बजाएगी और सीरीज़ को रोमांचक मोड़ पर ले आएगी। टीम इंडिया ने इसकी शुरुआत भी बेहतरीन की लेकिन फिर मौक़ा गंवा दिया, चलिए एक नज़र डालते हैं उन पांच कड़ियों पर जहां कोहली एंड कंपनी से चूक हुई।
#5 अनफ़िट अश्विन को अंतिम-11 में शामिल करना
विराट कोहली ने अपनी कप्तानी में पहली बार 38 मैचों के बाद लगातार दो टेस्ट में एक ही टीम उतारी। जिसे क्रिकेट के जानकारों ने भी सही माना क्योंकि उन्हीं 11 खिलाड़ियों ने ट्रेंटब्रिज में भी जीत दिलाई थी। लेकिन क्रिकेट फ़ैंस या विशेषज्ञों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि आर अश्विन चोट से पूरी तरह उबरे नहीं थे। ट्रेंटब्रिज में अश्विन के पीठ में उठा दर्द साउथैम्पटन में भी पीछा नहीं छोड़ रहा था, जिसका असर उनकी गेंदबाज़ी पर साफ़ दिख रहा था। दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी के दौरान तो अश्विन की ये चोट सभी के सामने तब उजागर हो गई जब उन्हें बल्लेबाज़ी करने में दिक़्क़त आ रही थी और उन्हें बेल्ट लगाकर खेलना पड़ा। अगर कोहली और कोच रवि शास्त्री ये जानते थे कि अश्विन पूरी तरह स्वस्थ्य नहीं हैं तो फिर उन्हें अंतिम-11 में क्यों खिलाया गया ?
#4 हार्दिक पांड्या का ग़लत इस्तेमाल
साउथैम्पटन में मिली हार का एक और बड़ा कारण ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या का सही तौर पर इस्तेमाल न करना भी है। ट्रेंटब्रिज में आधा दर्जन विकेट लेने वाले तेज़ गेंदबाज़ पांड्या ने चौथे टेस्ट की पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में सिर्फ़ 9 ओवर की गेंदबाज़ी की। दूसरी पारी में तो पांड्या से जो 9 ओवर कोहली ने कराए वह नई गेंद का इंतज़ार करने के लिए थे। यानी पांड्या के हाथों में दूसरी पारी में नई गेंद मिली ही नहीं, उन्हें आक्रमण पर 66वें ओवर में लगाया गया था। जबकि ट्रेंटब्रिज में पांड्या ने नई गेंद का शानदार इस्तेमाल करते हुए 5 विकेट निकाले थे, कोहली ने अनफ़िट अश्विन पर ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल की वजह से पांड्या को भूल गए।
#3 ऋषभ पंत का ज़रूरत से ज़्यादा आक्रामक होना
ऋषभ पंत जब क्रीज़ पर आए थे तो टीम इंडिया को 100 रनों के आस पास रन बनाने थे, और उनका काम था सेट बल्लेबाज़ अजिंक्य रहाणे का साथ निभाना। ये सही था कि मोईन अली की गेंदबाज़ी पर आक्रमण करते हुए उन्हें दिशाहीन करना, जिसमें पंत क़ामयाब भी हुए थे। लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा आक्रामकता भी भारी पड़ जाती है, पंत के साथ भी यही हुआ। रहाणे के रहते हुए वह हर गेंद पर छक्का लगाने की कोशिश कर रहे थे, जहां मोईन अली ने उन्हें अपना शिकार बना ही लिया। पंत का विकेट गिरते ही दबाव पूरी तरह से रहाणे और टीम इंडिया पर आ गया था जिसमें भारत ढह गया। पंत अभी युवा हैं और उन्हें अपनी इस शैली में परिवर्तन की ज़रूरत है, आक्रामकता कब और किस मौक़े पर किस तरह दिखानी है इसे सीखने की उन्हें अभी ज़रूरत है।
#2 सैम करन के ख़िलाफ़ प्लानिंग की कमी
टीम इंडिया की हार की सबसे बड़ी वजहों में से एक सैम करन भी थे, वही करन जिन्होंने पहले टेस्ट में भी इंग्लैंड की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। चौथे टेस्ट में करन ने पहली पारी में नाज़ुक मौक़े पर 78 रन बनाए और दूसरी पारी में भी उनके 46 रन इंग्लैंड के लिए काफ़ी अहम साबित हुए। भारत ने सैम करन को पहले टेस्ट में भी एक साधारण पुछल्ला बल्लेबाज़ समझने की ग़लती की थी और उसी ग़लती को साउथैम्पटन में भी दोहराया। नतीजा ये हुआ कि 20 वर्षीय युवा ऑलराउंडर एक बार फिर टीम इंडिया की हार का बड़ा कारण बना।
#1 पहले दिन 34.5 से लेकर 59.2 ओवर के बीच में ही हार गई थी टीम इंडिया !
पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर आधारित बॉलीवुड में एक फ़िल्म आई थी ‘’एम एस धोनी’’ जिस फ़िल्म की एक लाइन थी, ‘’मैच तो हम बास्केटबॉल कोर्ट में ही हार गए थे’’। इसी तरह टीम इंडिया भी ये मैच चौथे दिन तो बाद में हारी है, बल्कि असली हार तो पहले ही दिन 34.5 ओवर से लेकर 59.2 ओवर के बीच हो गई थी। दरअसल, कोहली के गेंदबाज़ों ने पहले दिन 34.4 ओवर में इंग्लैंड के 6 विकेट 86 रनों पर गिरा दिए थे और यहां से इंग्लैंड को 125 से 150 के अंदर ऑलआउट करने की संभावना प्रबल थी। लेकिन मोहम्मद शमी के बेन स्टोक्स का विकेट लेने के दो ओवर ही बाद उन्हें आक्रमण से हटा दिया गया और फिर सैम करन और मोईन अली के बीच हुई 81 रनों की साझेदारी ने मैच में इंग्लैंड की वापसी करा दी। मेज़बान टीम को दिया गया ये छोटा सा मौक़ा भारत को भारी पड़ा और यही टीम इंडिया की हार का सबसे बड़ा कारण बना।