टेस्ट क्रिकेट का क्रेज़ धीरे-धीरे कम हो रहा है और टी 20 जैसे क्रिकेट के छोटे प्रारूप को क्रिकेट प्रशंसकों का भरपूर प्यार मिला है। क्रिकेट के सबसे बड़े और सबसे छोटे प्रारूप के बीच वनडे क्रिकेट धीरे-धीरे अपनी प्रमुखता खो रहा है। हालांकि, अपने गौरवशाली अतीत में कुछ वनडे सीरीज़ बेहद लोकप्रिय रही है। द्विपक्षीय और बहुराष्ट्रीय वनडे सीरीज़ के बीच, त्रिकोणी सीरीज़ के लिए प्रशंसकों का क्रेज़ सबसे ज़्यादा होता है। ऑस्ट्रेलिया की कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज़ और इंग्लैंड की नेटवेस्ट सीरीज़ श्रृंखला पूरी दुनिया में देखी जाती है। तो आइए यहां इस लेख में ऐसी पांच त्रिकोणीय श्रृंखलायों पर एक नज़र हैं जिन्हें शायद आप ना जानते हों।
कोका-कोला त्रिकोणी श्रृंखला, 1998 (भारत - बांग्लादेश - केन्या)
भारत द्वारा खेले गए कुल 939 वनडे मैचों में, यह श्रृंखला कहीं खो कर रह गई है। 1998 में, भारत ने दो गैर-टेस्ट टीमों के साथ त्रिकोणीय श्रृंखला में हिस्सा लिया था। हालाँकि आज यह बात हैरान करने वाली लगती है। यह त्रिकोणीय श्रृंखला मई के महीने में खेली गई थी। इससे भी आश्चर्यजनक बात यह है कि सभी सात वनडे (लीग मैचों और फाइनल के दो राउंड) पूरे भारत में अलग-अलग मैदानों में खेले गए थे। फाइनल कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेला गया था। भारतीय टीम को तो फाइनल में पहुंचना ही था लेकिन फाइनल तक का सफर सुगम नहीं था। मेज़बान टीम को ग्वालियर में केन्या के हाथों हार का सामना करना पड़ा। मॉरीस ओडुम्बे के 83 रन और 3/14 के आंकड़े ने भारत को जीत के लिए मिले 266 रनों के लक्ष्य तक भी पहुंचने नहीं दिया। फाइनल में, केन्या की पूरी टीम 196 रनों पर ऑल-आउट हो गई, इसमें वेंकटेश प्रसाद ने 23 रन देकर 4 विकेट लिए थे। जवाब में, सचिन तेंदुलकर ने 103 गेंदों में 100 रन बनाए और भारत ने यह मैच 9 विकेट से जीता। स्टीव टिकोलो को उनके पूरे दौर के प्रदर्शन को देखते हुए 'मैन ऑफ द सीरीज़' चुना गया था।
बेन्सन और हेजेस त्रिकोणीय श्रृंखला, 1994-95 (ऑस्ट्रेलिया-ए, इंग्लैंड, जिम्बाब्वे)
ऑस्ट्रेलिया में वनडे त्रिकोणीय श्रृंखला की अवधारणा विवादास्पद व्यवसायी केरी पैकर की वजह से शुरू हुई थी। यह त्रिकोणीय श्रृंखला सालाना 1978-79 से 2014-15 तक खेली गई थीं। उनमें से सबसे असाधारण थी- 1994-95 की श्रृंखला। दो मेहमान टीमों (इंग्लैंड और जिम्बाब्वे) के साथ क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने एकदम युवा और अनुभवहीन 'ऑस्ट्रेलिया ए' नामक टीम को भी इस श्रृंखला में खिलाया। इसमें कप्तान डेमियन मार्टिन के अलावा रिकी पॉन्टिंग, जस्टिन लैंगर, माइकल बेवन और मैथ्यू हेडन को शामिल किया गया। नई टीम होने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया ए ने ज़िम्बाब्वे को दो बार और इंग्लैंड को एक बार हराकर अंक तालिका में दूसरा स्थान हासिल किया। अंततः त्रिकोणीय श्रृंखला के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और ऑस्ट्रेलिया ए का सामना हुआ और ऑस्ट्रेलिया ने लगातार दो फाइनल में ए टीम को हरा कर यह श्रृंखला जीत ली।
मोरक्को कप, 2002 (पाकिस्तान, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका)
पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका जैसी टीमों के बीच एक त्रिकोणीय श्रृंखला में कुछ असाधारण तो नहीं था। फिर भी इस श्रृंखला को विशेष बनाती है इस श्रृंखला की जगह, जी हाँ यह श्रृंखला टेंजीर, मोरक्को में खेली गई थी। उत्तरी अफ्रीका में यह पहली अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट श्रृंखला थी। टूर्नामेंट का आयोजन अब्दुल रहमान बुखातीर नामक संयुक्त अरब अमीरात के एक धनी व्यापारी के सहयोग से किया गया था और मोरक्को का राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम विशेष रूप से इस टूर्नामेंट के लिए तैयार किया गया था। पाकिस्तान अपने चार मैचों में से केवल एक जीतने में कामयाब रहा जबकि श्रीलंका ने ग्रुप टेबल में अपने मुकाबलों में तीन जीत दर्ज की। फाइनल श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया था। जयसूर्या के 71 रनों की बदौलत श्रीलंका ने 235 रन बनाए और वास और मुरलीधरन की अनुशासित गेंदबाजी की बदौलत 27 रनों से जीत दर्ज की थी। पांच मैचों में 292 रनों के साथ सनथ जयसूर्या टूर्नामेंट के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने, जबकि पाकिस्तानी कप्तान वकार यूनिस ने अपनी घातक तेज गेंदबाजी के साथ 11 विकेट लिए थे।
सिंगापुर चैलेंज, 1999 (भारत, वेस्टइंडीज, जिम्बाब्वे)
1999 में एक क्रिकेट से बिलकुल अनजान देश में तीन टेस्ट-प्लेइंग टीमों के बीच एक और वनडे त्रिकोणीय श्रृंखला खेली गई। कलाँग ग्राउंड, सिंगापुर में भारत, वेस्टइंडीज और जिम्बाब्वे के बीच चार वनडे मैचों की एक छोटी सी श्रृंखला खेली गई थी। हालाँकि भारत के लिए यह दौरा अच्छा नहीं रहा और वेस्टइंडीज ने दोनों टीमों को आराम से हरा दिया। भारत और जिम्बाब्वे के बीच एक मैच में 30 ओवर के मुकाबले में भारत ने ज़िम्बावे को 117 रनों के बड़े अंतर से हराया था। उस मैच में सचिन तेंदुलकर के 85 (72) और अजय जडेजा के धमाकेदार 88 (61) रनों की बदौलत भारत ने 30 ओवरों में 6 विकेट के नुक्सान पर 245 रन बना डाले और रही सही कसर भारतीय गेंदबाज़ों ने पूरी कर दी। भारत और वेस्टइंडीज के बीच फाइनल पहले दिन बारिश की वजह से टालना पड़ा और अगले दिन फिर से फाइनल खेला गया। भारतीय टीम की ओर से राहुल द्रविड़ के नाबाद 103 * रनों की बदौलत भारत ने 6 विकेटों के नुकसान पर 254 रन बनाए लेकिन विंडीज़ बल्लेबाज़ रिडले जैकब्स ने धमाकेदार बल्लेबाज़ी करते हुए 93 गेंदों पर 124 रनों की पारी खेली और अपनी टीम की ख़िताबी जीत में अहम भूमिका निभाई। इसी तरह की श्रृंखला 2000 में भी दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच खेली गयी थी। दक्षिण अफ्रीका ने यह श्रृंखला जीती थी और इस श्रृंखला के बाद सिंगापुर चैलेंज को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था।
त्रिकोणीय टेस्ट श्रृंखला, 1912 (इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया)
उसी वर्ष टाइटैनिक जहाज़ अटलांटिक महासागर में डूब गया था, जिस वर्ष यह त्रिकोणीय टेस्ट श्रृंखला खेली गयी थी। इंपीरियल क्रिकेट काउंसिल की 1909 में हुई बैठक में तीनों टेस्ट खेलने वाले राष्ट्रों के बीच एक त्रिकोणीय श्रृंखला पर विचार किया गया था। 19 12 में, इंग्लैंड ने छह टेस्ट मैचों वाली श्रृंखला में ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को आमंत्रित किया। विक्टर ट्रम्पर और क्लेम हिल जैसे ऑस्ट्रेलियाई स्टार खिलाड़ियों की अनुपस्थिति ने टीम को कमज़ोर किया। जिसकी वजह से श्रृंखला इंग्लैंड ने जीती थी, जिन्होंने छह टेस्ट मैचों में से चार जीते जबकि ऑस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर रहा। टूर्नामेंट की सबसे यादगार घटना ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज जिमी मैथ्यूज द्वारा एक ही मैच में दो बार बनाई गयी हैट्रिक थी। यह किसी भी गेंदबाज़ की सबसे बड़ी उपलब्धि थी और यह रिकार्ड आज भी कायम है। ग़ौरतलब है कि 1999 और 2001-02 में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच इसी तरह से एक टेस्ट सीरीज़ खेली गई थी, जिसे 'एशियाई टेस्ट चैंपियनशिप' के नाम से जाना जाता है लेकिन दुर्भाग्यवश इसमें क्रिकेट प्रशंसकों ने ज़्यादा रूची नहीं दिखाई। लेखक: ओमकार मनकामे अनुवादक: आशीष कुमार