एक बहुत ही मशहूर मुहावरा है, 'जो गलती करे वो मनुष्य है जो गलती ना करे वो ईश्वर है।' ये मुहावरा खेलों में भी लागू होता है। खेल के मैदान पर कई बार खिलाड़ी ऐसी गलती कर जाते हैं, जिनकी वजह से उन्हें पछताना पड़ता है। खेल के मैदान पर हमेशा ये देखा गया है कि आखिर में जो टीम कम गलतियां करती हैं, वो ही विजेता बनती है। हालांकि अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर गलतियों का अंतर बहुत कम होता है और खिलाड़ी हमेशा के खेल के ऊंचे स्तर को बरकरार रखते हैं। आइए नजर डालते है क्रिकेट जगत की उन गलतियों पर, जो जीत और हार का अंतर बनी और उन गलितयों का कभी माफ नहीं किया जा सकता :
#1 स्पिनर ने की नो बॉल
एक बॉल को तभी नो बॉल करार दिया जाता है, जब गेंदबादज क्रीज के बाहर अपना पैर निकाल देता है। अपने लंबे रनअप और तेज गेंद फेंकने के चक्कर में तेज गेंदबाज अक्सर ये गलती कर जाते हैं। मगर स्पिनर्स के साथ आमतौर पर ऐसा नहीं होता है। छोटे रनअप के चलते स्पिनर्स से उम्मीद की जाती है कि वो ओवर स्टेप ना करें और नो बॉल ना डालें। भारतीय क्रिकेट फैंस वो नो बॉल कभी नहीं भूलेंगे, जब वर्ल्ड टी 20 के सेमीफाइनल मुकाबले में आर अश्विन की गेंद पर लेंडल सिमंस का कैच शॉट थर्डमैन पर खड़े जसप्रीत बुमराह ने पकड़ा था। मगर वो गेंद नो बॉल थी और सिमंस ने सेमीफाइनल मुकाबले में 82 रनों की मैच विजयी पारी खेली थी। हालांकि पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने कहा था कि वर्ल्ड टी 20 में भारत की हार का ठिकरा सिर्फ अश्विन के सिर पर नहीं फोड़ा जा सकता। मगर स्पिनर्स नो बॉल की गलती नहीं कर सकते और इस मुकाबले में नो बॉल का खामियाजा भारतीय टीम को वर्ल्ड टी20 से बाहर होकर उठाना पड़ा। #2 फील्डर के बैकअप नहीं करने पर ओवर थ्रो
फील्डिंग में सबसे जरूरी होता है बैकअप करना। अगर एक फील्डर गेंद को विकेटों की तरफ थ्रो करता है, तो दूसरे फील्डर को बैकअप के तौर पर वहां मौजूदा रहना चाहिए ताकि गेंद ओवर थ्रो ना हो जाए। आजकल खिलाड़ी अपनी फील्डिंग स्किल्स को बेहतर करने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं। जिसका नतीजा हमें मैदान पर देखने को भी मिलता है। मगर इसके साथ -साथ ये भी ध्यान रखना बहुत जरुरी है कि अभ्यास के वक्त खिलाड़ी बैकअप की भी अच्छे तैयारी करें ताकि अतिरिक्त रन बचाए जा सकें। #3 रन पूरा करते वक्त बल्ले को मैदान पर नहीं रखना
क्रिकेट के नियम के मुताबिक अगर फील्डिंग करने वाली टीम ने गिल्लियां गिरा दी हैं, तो बल्लेबाज को रनआउट करार दिया जा सकता है। अगर बल्लेबाज का शरीर या बल्ला क्रीज के पीछे हो या फिर क्रीज के अंदर हवा में हो। आजकल बल्लेबाज सिंगल रन चुराने के चक्कर में क्रीज पर डाइव लगा देते हैं, ताकि वो रनआउट से बच सकें। जाहिर है हाल के समय में रनिंग बिटवीन द विकेट्स में बहुत सुधार आया है। बल्लेबाज क्रीज तक पहुंचने के बाद भी बल्ला हवा रखने की वजह से आउट होता है, या फिर कभी- कभी अपनी सुस्ती या ध्यान ना देने की वजह से रन आउट होता है। #4 कैच पकड़ते समय कॉल ना करना
‘कैचिज विन्स मैचेज’ क्रिकेट में ये कहावत 100 फीसदी सटीक बैठती है। क्रिकेट में हम अकसर देखते हैं कि फील्डिंग साइड कई बार अहम कैच छोड़ देती है। कभी- कभी तो दुनिया के बेस्ट फील्डर्स में शुमार क्रिकेटर्स भी कॉल नहीं करने की वजह से आपस में टकरा कर कैच छोड़ देते हैं। जब गेंद हवा में बहुत ज्यादा ऊपर जाती है तो हमेशा कैच के लिए कॉल करके ही कैच पकड़ना चाहिए क्योंकि गेंद के ज्यादा समय तक हवा में रहने पर कई फील्डर्स गेंद की रीच में पहुंत सकते हैं और कैच करते समय आपस में टकरा कर कैच छोड़ सकेत हैं। जब गेंद के पीछे कैच पकड़ने के लिए एक से ज्यादा खिलाड़ी जाते हैं, तो कैच छूटने के मौके ज्यादा रहते हैं क्योंकि कॉल ना करने पर खिलाड़ी एक-दूसरे से टकरा कैच छोड़ देते हैं और जिसका नतीजा ये होता है बल्लेबाज को दूसरी लाइफलाइन मिल जाती है। #5 थर्ड अंपायर द्वारा DRS का सही इस्तेमाल नहीं करना
क्रिकेट खिलाड़ियों की तरह ही अंपायर की भी ये जिम्मेदारी होती है कि वो गलतियां ना करें। हालांकि कई बार गलतियां करने के बाद भी फील्ड अंपायर को काफी सहयोग मिलता है क्योंकि मैदान में बहुत कम समय में फैसला लेना होता है। क्रिकेट में DRS के आने से अब थर्ड अंपायर का रोल और ज्यादा अहम हो गया है। नई तकनीक और बार- बार रिप्ले देखने के विकल्प और फील्ड अंपायर से बातचीत करने के बाद उम्मीद की जाती है कि थर्ड अंपायर कोई गलती ना करें क्योंकि इतना समय लेने के बाद भी अगर थर्ड अंपायर सही फैसला नहीं दे पाता है तो उसकी ये गलती माफी के लायक नहीं है। भारत और इंग्लैंड के बीच खेली गई वनडे सीरीज में थर्ड अंपायर कुमार धर्मसेना फील्ड अंपायर अनिल चौधरी के फैसले के साथ गए। जिन्होंने बल्लेबाज लियाम प्लंकेट को आउट दिया था, जबकि डीआरएस में साफ दिख रहा था कि प्लंकेट आउट नहीं हैं। लिहाजा अंपायर अनिल चौधरी के फैसले को बदलने की जरूरत थी।