भारतीय टीम को इन कमजोरियों पर काम करने की जरुरत है ताकि आगे दिक्कत ना हो
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भारतीय टीम पिछले 12 महीनों में कमाल के फार्म में रही है और लगभग हर मुकाबला जीतती आयी है। विराट कोहली ने इस टीम को घरेलू श्रृंखलाओं में टेस्ट श्रृंखलाओं के बाद लगातार नौ एकदिवसीय मैच जीतते हुए एक अलग ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
हालांकि, इस सफल उड़ान में भी टीम की कुछ कमजोरियां छिपी हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे एकदिवसीय मुकाबले में ये कमजोरी उजागर हुई।। इस हार के साथ ही बीसीसीआई को कुछ प्रयोग करने का अवसर मिला है और कुछ चीजें गलत हो गई हैं।
टीम चयन में अनियमितता
पिछले 12 महीनों में टीम चयन बेहद असंगत रहा है। चयन पैनल ने कई बार खिलाड़ियों को चुना और बाहर कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप कई बार अंतिम 11 में बदलाव देखे गये और एक नियमित अंतिम ग्यारह तय नहीं हो सकी है।
दिनेश कार्तिक को पिछले साल या कहें तो उससे भी लंबे समय से लगातार शानदार प्रदर्शन करने के बाद भारत की 2017 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी टीम में शामिल किया गया था। उन्होंने 2016-17 सीज़न में 55 की औसत के साथ 10 रणजी मैचों में 704 रन बनाये और विजय हजारे ट्राफी के 9 मैचों में 87 की जबरदस्त औसत से 607 रन बनाए। आखिरकार कार्तिक को चैंपियंस ट्रॉफी टीम में चुना गया और एक मौका दिया गया। हालांकि इसके बाद अभ्यास मैच में 94 रन बनाने के बावजूद जल्द ही बाहर कर दिया गया।
ऋषभ पंत को चैंपियंस ट्रॉफी टीम में भारत के लिए एक भी वनडे खेले बिना बैकअप के रूप में रखा गया था। हालांकि,इस तथ्य के बावजूद कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चल रही श्रृंखला भारत में खेली जा रही है,उन्हें एक भी मौका नहीं दिया जा रहा है।
टीम चयन के बारे में भी असंगतता रही है प्रारंभ में, केएल राहुल को सलामी बल्लेबाज के रूप में लाया गया था, फिर मध्य क्रम में खेलने के लिए मौका दिया गया था।