बड़े बल्लों पर प्रतिबंध लगाना क्रिकेट के लिए अच्छा होगा: रिकी पोंटिंग

क्रिकेट का खेल दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल कर चुका है। आम तौर पर लोग इसे मनोरंजन का एक बेहतरीन जरिया मानते हैं तो वहीं कुछ लोग इसे अपना जुनून। क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो न सिर्फ गेंदबाज़ों के लिए मददगार साबित होता है बल्कि बल्लेबाजों को भी उतना ही मददगार होता है। एक तरफ जहां गेंदबाजों को मैच के शुरुआती ओवरों में नई गेंद से काफी मदद मिलती है और वो मैच पर पकड़ बना पाते हैं तो वहीं दूसरी तरफ बल्लेबाजों के जरिये इस्तेमाल किए जाने वाले बल्ले आजकल पहले के मुक़ाबले और भी बेहतरीन हो गए हैं। मौजूदा दौर में बल्लेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बल्ले का आकार पहले के बल्लों जैसा नहीं रहा जिसपर ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज रिकी पोंटिंग ने आपत्ति जताई है। पोंटिंग के अनुसार मौजूदा दौर में इस्तेमाल किए जाने वाले बल्ले काफी बड़े और चौड़े बनने लगे हैं जिससे गेंदबाजों के मुक़ाबले बल्लेबाजों को ज़्यादा फायदा मिलने लगा है। पोंटिंग का मानना है कि इन बल्लों की वजह से गेंदबाजों और बल्लेबाजों के बीच की प्रतियोगिता बल्लेबाजों की तरफ झुकती हुई नज़र आरही है। क्रिकेट के नियम में बल्लों के आकार को लेकर एक कानून है जिसे Appendix E कहते हैं। इस नियम के अनुसार बल्लों की लंबाई 38(965mm) और चौड़ाई 4.25(108mm) और वज़न 1.2kg-1.4kg तक होना चाहिए। ग्रे निकोलस काबूम के बल्ले ज़्यादा दमदार होते हैं जो डेविड वॉर्नर इस्तेमाल किया करते हैं।

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पोंटिंग के अनुसार अगर आप शारीरिक तौर पर मजबूत हैं जैसे कि क्रिस गेल या एमएस धोनी तो आपके लिए ठीक है, पर धोनी और गेल के बल्ले आकार में बड़े होते हैं पर साथ ही हल्के भी होते हैं। “वर्ल्ड क्रिकेट समिति की मीटिंग में मैं इस बात पर चर्चा ज़रूर करूंगा। मुझे छोटे फॉर्मेट में इन बल्लों से कोई आपत्ति नहीं है पर टेस्ट मैच में इन बल्लों के इस्तेमाल से मैं काफी नाखुश हूँ”: रिकी पोंटिंग