दुनिया भर में भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए कुछ वाकई रोमांचक खबर यह है कि हमारे अपने "लिटिल मास्टर" सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर को अगले महीने होने वाले श्रीलंका के दौरे के लिए भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम में नामित किया गया है। 18 वर्षीय तेज गेंदबाज ऑलराउंडर को चार दिवसीय मैचों के लिए चुना गया है जो भारत उपमहाद्वीप राष्ट्र के खिलाफ खेलेंगे। इस छोटी सी खबर का मतलब है कि वह दिन भी दूर नहीं है जब अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए वह टीम इंडिया में अपनी जगह सुनिश्चित कर सकते हैं, जिसे पहले से ही एक आने वाले सुपरस्टार के रूप में प्रस्तुत किया जा चुका है। आइए आज हम कुछ ऐसे अन्य पिता-बेटे की जोड़ी की चर्चा करते हैं जिन्होंने भारत के लिए क्रिकेट खेला है।
#1 लाला अमरनाथ और बेटे सुरिंदर व मोहिंदर अमरनाथ
1933 में भारत ने बॉम्बे जिमखाना में घरेलू सरजमीं पर अपना पहला टेस्ट मैच खेला। यह मैच दोनों देश के साथ-साथ बल्लेबाज नानिक 'लाला' अमरनाथ के लिए भी ऐतिहासिक था, जिन्होंने पहले टेस्ट मैच में किसी भारतीय द्वारा पहला शतक बनाया था। उन्होंने प्रसिद्ध अंग्रेजी गेंदबाजों की खबर लेते हुए 117 मिनट में शतक जड़ डाला। वे भारत के पहले आलराउंडर थे जिन्होंने बल्ले के अलावा गेंद से भी अपने विरोधियों की नाक में दम किया। उनके प्रभावशाली करियर और इससे ज्यादा व्यापक रूप से भारतीय क्रिकेट के मार्गदर्शक के रूप में से एक माना जाता है। लाला के बड़े बेटे सुरेंन्द्र ने भी अपने पिता का अनुकरण करते हुए अपने पहले टेस्ट में शतक लगा डाला। सुरेन्द्र अमरनाथ का प्रथम श्रेणी का करियर बहुत ही शानदार रहा, उन्होंने 15 साल की उम्र में अपना पहला मैच खेला था। वहीं उनके एक अन्य बेटे मोहिंदर का राष्ट्रीय करियर बेहतरीन रहा।
मोहिंदर ने अपने 18 साल के करियर में 69 टेस्ट मैच खेले। उन्हें भारतीय क्रिकेट में कमबैक खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है, मोहिंदर पाकिस्तान और वेस्टइंडीज की मजबूत तेज गेंदबाजी के खिलाफ भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियो में से एक थे।
#2 विजय और संजय मांजरेकर
1950 और 60 के दशक में विजय मांजरेकर भारतीय टीम के मुख्यधारा में से एक थे। 55 टेस्ट मैचों में उन्होंने 39.12 के औसत से 3208 रन बनाए। उन्होंने 7 टेस्ट शतक भी बनाए।
उनके बेटे संजय ने 80 और 90 के दशक में 37 टेस्ट मैच खेले। अपने पिता की तरह वह भी मध्यक्रम के बल्लेबाज रहे थे। उन्होंने उन मैचों में 37.14 औसत के साथ सम्मानजनक 2043 रन बनाए जिसमें 4 शतक शामिल थे। एक खिलाड़ी के रूप में क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने के बाद संजय को अक्सर एक कमेंटेटर और एक विश्लेषक के रूप में देखा जाता है और वह अभी भी खेल का हिस्सा बने हुए है।
#3 सुनील गावस्कर और रोहन गावस्कर
सुनील गावस्कर बहुत ही सरल और सबसे महान क्रिकेटरों में से एक है जिन्हें दुनिया ने क्रिकेट खेलते हुए देखा है। वह 1971 में एक धाकड़ सलामी बल्लेबाज के रूप में भारतीय टीम में आये और अगले 16 सालों तक वह रनों के पहाड़ बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में हमेशा बने रहे। वह 10,000 टेस्ट रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज रहे थे और उन्होंने डॉन ब्रेडमैन के सबसे ज्यादा शतक लगाने का रिकॉर्ड तोड़ दिया। क्रिकेट के संन्यास के समय सुनील ने टेस्ट क्रिकेट में (10,122) और अधिकतम शतक (34) का रिकॉर्ड बनाया और इन दोनों ही रिकॉर्ड को सचिन तेंदुलकर ने तोड़ा।
सुनील के बेटे रोहन ने 2004 में भारत के लिए 11 एकदिवसीय मैच खेले है, जिसके बाद वह कभी भी टीम में वापस नहीं आए। अपने पिता के विपरीत वह एक मध्यम क्रम के बल्लेबाज रहे और उपयोगी बाएं हाथ के स्पिनर थे लेकिन उस समय तक भारतीय टीम में प्रतिभा की अच्छी खासी मौजूदगी के कारण उन्हें किनारे कर दिया गया। कहने की जरूरत नहीं है कि रोहन को अपने से ज्यादा अपने पिता की वजह से जाना जाता है।
#4 रोजर बिन्नी और स्टुअर्ट बिन्नी
इस पिता-पुत्र की जोड़ी से ज्यादातर भारतीय क्रिकेट प्रशंसक परिचित होगे। रोजर बिन्नी ने ज्यादातर 80 के दशक के दौरान भारत के लिए 27 टेस्ट मैच और 72 एक दिवसीय मैच खेले। वह 1983 विश्व कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे और 1985 के बेन्सन और हेडेज कप जीत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थे। एक बहुमुखी ऑलराउंडर बिन्नी निचले क्रम में बल्लेबाजी करते थे और मध्यम तेज गेंदबाजी करते थे। उनके बेटे स्टुअर्ट ने भी पिछले कुछ सत्रों में भारत के लिए कभी कभी खेले है। अपने पिता की तरह वह भी मध्य क्रम के बल्लेबाज और एक मध्यम तेज गेंदबाज हैं।
स्टुअर्ट को अभी भी अपने पिता की शानदार उपलब्धियों से मेल खाना बाकी है, हालांकि उसके पास अभी भी समय है। अब तक उन्हें 2014 में बांग्लादेश के खिलाफ एक यादगार मैच के लिए याद किया जाता है, जिसमें उन्होंने 4.4-2-4-6 के शानदार स्पेल गेंदबाजी की। जिसे वनडे में एक भारतीय गेंदबाज द्वारा सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी का रिकॉर्ड बना दिया। केवल 105 का पीछा करते हुए बांग्लादेश की टीम जूनियर बिन्नी के धारदार गेंदबाजी के आगे सिर्फ 58 रनों पर ऑलआउट हो गयी, जिसके बदौलत भारत को यादगार जीत मिल सकी। लेखक: हरिगोविंद थोयक्कट अनुवादक: सौम्या तिवारी