श्रीलंका के गॉल अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम को ध्वस्त किया जा सकता है। अनाधिकृत पवेलियन निर्माण के कारण यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित 17 शताब्दी का डच किला नजरअंदाज हो सकता है और विश्व धरोहर का दर्जा भी जा सकता है। इसका मतलब यह भी है कि इंग्लैंड और श्रीलंका के बीच इस साल नवम्बर में खेला जाने वाला टेस्ट मुकाबला यहां अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच हो सकता है। यह स्टेडियम हिन्द महासागर के पास ही स्थिति है और कई पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। हालाँकि यूनेस्को को अंतरराष्ट्रीय मैचों से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन वे यहाँ हुए अनाधिकृत निर्माण पर आपत्ति कर रहे हैं। 2008 में यहां 500 लोगों के बैठने वाला पवेलियन बनाया गया था। इससे मुख्य सड़क से डच किले का सीधा दिखने वाला नजारा समाप्त हो गया है। श्रीलंका के संस्कृति मंत्री ने कहा है कि हम निर्णय करेंगे कि हमें पवेलियन रखना है या विश्व धरोहर की सूची में रहना है। क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के खेल मंत्री ने इस बारे में कहा है कि जल्दी स्टेडियम का निर्माण नहीं तोड़ा जाएगा। अभी गॉल में एक नया स्टेडियम बनाने पर विचार किया जा रहा है। पूर्व कप्तान और वर्तमान कैबिनेट सदस्य अर्जुन रणातुंगा ने मैचों के दौरान अस्थायी स्टैंड बनाने का सुझाव देते हुए स्टेडियम नहीं तोड़ने का निवेदन किया है। उन्होंने कहा कि हमें विश्व धरोहर का दर्जा रखने के साथ ही स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेलने हैं। पूर्व श्रीलंकाई कप्तान महेला जयवर्धने ने कहा है कि यह दुखद है। गॉल स्टेडियम विश्व टेस्ट क्रिकेट इतिहास में लोकेशन के आधार पर अलग स्टेडियम है। राष्ट्रीय टीम के लिए सबसे सफल मैदानों में से एक भी है। मैं श्रीलंकाई सरकार और प्राधिकरण से निर्णय के बारे में फिर से सोचने का निवेदन करता हूँ।