भारतीय बल्लेबाज गौतम गंभीर के ऊपर खराब व्यवहार के कारण 4 प्रथम श्रेणी मैचों का प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। दिल्ली टीम के कोच केपी भास्कर से गंभीर की काफी जबरदस्त बहस हुई थी और इसी का उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा है। डीडीसीए द्वारा गठित मदन लाल, राजेन्द्र राठौर, जस्टिस विक्रमजीत सिंह और वकील सोनी सेन की 4 सदस्यीय जांच समिति ने गंभीर के व्यवहार को गलत बताते हुए उन्हें दोषी ठहराया। जस्टिस विक्रमजीत सिंह ने इस मामले पर कहा," ओडिशा में हुई गौतम गंभीर और केपी भास्कर के बीच हुई इस घटना के बाद भास्कर ने शिकायत दर्ज की थी। मैंने 10 मार्च, 2017 को दोनों से मुलाकात की थी, लेकिन मामले को अच्छे और सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया नहीं जा सका। समिति के सभी सदस्य इस बात से सहमत हैं की कोच के प्रति गंभीर का ये रवैया काफी गलत था। इसी वजह से हमने ऐसा फैसला लिया है, ताकि ऐसी घटनाएं फिर से न हों और टीम के सभी सदस्य इसे गंभीरता से लें। अपने अनुचित व्यवहार के कारण गौतम गंभीर दिल्ली टीम के इस सीजन में होने वाले शुरुआती 4 प्रथम श्रेणी मैचों में नहीं खेल पाएंगे।" गौरतलब है कि विजय हज़ारे ट्रॉफी में दिल्ली की हार के बाद भुवनेश्वर में गंभीर और भास्कर के बीच बहस हुई थी, हालांकि गंभीर ने इस बात से इनकार किया था। गंभीर ने इससे पहले कोच के ऊपर ये आरोप लगाये थे कि वो कई खिलाड़ियों के करियर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और उन्हें टीम में असुरक्षित महसूस करवा रहे हैं। जाँच समिति का मानना है कि सभी खिलाड़ियों को कोच की इज्जत करनी चाहिए और गंभीर जैसे सीनियर खिलाड़ी से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं की जा सकती है। गंभीर के प्रतिबन्ध के कारण दिल्ली टीम को बड़ा झटका लगा है और अनुभवी खिलाड़ी के पहले चार मैचों से बहर होने के कारण उनके अभियान को झटका लग सकता है। अब देखना है कि क्या गंभीर इस फैसले के खिलाफ अपील करते हैं या नहीं?