INDvSL: सिर्फ़ 3 टेस्ट मैच खेलने वाले हार्दिक पांड्या की कमी ने भारतीय क्रिकेट में खड़ा कर दिया बड़ा सवाल!

Hardik Pandya

क्या कभी इससे पहले भारतीय क्रिकेट इतिहास में आपने देखा या सुना है कि एक खिलाड़ी जिसने अपने करियर मे सिर्फ़ 3 टेस्ट खेले हैं। और किसी वजह से वह टीम से बाहर रहता है, लेकिन उसकी अनुपस्थिति क्रिकेट पंडितों से लेकर क्रिकेट फ़ैन्स तक को परेशान कर देती है कि आख़िर उसकी जगह कौन ?

हार्दिक पांड्या, भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते हुए हरफ़नमौला स्टार जिन्होंने बेहद कम समय में अपनी उपयोगिता साबित कर दी है। 3 टेस्ट, 29 वनडे, 24 टी20 अंतर्राष्ट्रीय और 20 प्रथम श्रेणी मुक़ाबले, बस यही है दाएं हाथ के 24 वर्षीय ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या का क्रिकेट जीवन। लेकिन इतने छोटे से करियर में ही हार्दिक पांड्या ने कुछ ऐसा मुक़ाम हासिल कर लिया है, जो बड़े बड़े सितारों को भी कम ही नसीब है।

श्रीलंका के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ से हार्दिक पांड्या ने अपना नाम वापस लिया था ताकि वह प्रोटियाज़ दौरे के लिए पूरी तरह से स्वस्थ्य रहें। लेकिन शायद पांड्या ने भी नहीं सोचा होगा कि उनके इस आराम के बाद हर तरफ़ से ऐसी प्रतिक्रियाएं आएंगी। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने तो यहां तक कह डाला कि हार्दिक पांड्या को श्रीलंका के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ से आराम देना बेवक़ूफ़ी है, क्योंकि उनकी ख़ाली जगह को भर पाना दूसरे के लिए बेहद मुश्किल है।

मीडिया से लेकर फ़ैन्स और तमाम क्रिकेट पंडित यही सवाल कर रहे हैं कि आख़िर पांड्या की जगह इस सीरीज़ में कौन लेगा। यहां तक कि कोलकाता टेस्ट से पहले विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री भी सोचने को मजबूर हैं कि पांड्या जो बैलेंस दे रहे थे इस टीम को, अब उनकी जगह किसे खिलाया जाए। लेकिन ज़रा सोचिए जिस खिलाड़ी ने सिर्फ़ 3 टेस्ट मैच खेले हों, उसके लिए दिग्गज खिलाड़ियों से लेकर क्रिकेट फ़ैंस तक के ज़ेहन में ये सवाल एक बड़ी तस्वीर बयां करने के लिए काफ़ी है।

इसकी सबसे बड़ी वजह है कि भारतीय क्रिकेट टीम में दशकों से चला आ रहा एक तेज़ गेंदबाज़ ऑलराउंडर का सूखा, जिसे पांड्या ने कुछ हद तक भरने की कोशिश की है। हार्दिक पांड्या ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत इसी साल श्रीलंका में गाले टेस्ट के दौरान की थी जहां डेब्यू टेस्ट में उन्होंने अर्धशतकीय पारी खेली और विकेट भी झटके। लेकिन असली तूफ़ान तो पल्लेकेले में आया जहां हार्दिक पांड्या ने 96 गेंदो पर 108 रनों की आतिशी पारी खेलते हुए सभी को अपना दिवाना बना लिया था, इस पारी में उन्होंने 7 छक्के भी लगाए थे।

आईपीएल में मुंबई इंडियंस की ओर से पहली बार बड़े प्लेटफ़ॉर्म पर खेलते हुए उन्होंने सभी को प्रभावित किया था, मुंबई इंडियंस के टीम मेंटर सचिन तेंदुलकर ने भी उन्हें भविष्य का सितारा कहा था और जल्द ही टीम इंडिया में चयन की भविष्यवाणी भी की थी। सचिन की ये भविष्यवाणी 2016 जनवरी में सच भी साबित हुई जब पांड्या को ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उन्हीं के घर में पहली बार टी20 अंतर्राष्ट्रीय खेलने का मौक़ा मिला, उसी सीरीज़ में ही इस हरफ़नमौला खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया और फिर तो हार्दिक पांड्या टीम का नियमित हिस्सा बन गए। टी20, वनडे और अब टेस्ट में कप्तान के सबसे चहेते बन चुके पांड्या गेंद और बल्ले के साथ साथ एक बेहतरीन फ़िल्डर भी हैं।

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जैसा कि भारत में आमूमन होता है कि तेज़ गेंदबाज़ ऑलराउंडर की तुलना तुरंत ही महान ऑलराउंडर कपिल देव से कर दी जाती है। फिर चाहे वह मनोज प्रभाकर हों, अजीत अगरकर या फिर इरफ़ान पठान, सभी को कपिल के साथ तुलना के दौर से गुज़रना पड़ा है। लेकिन नतीजा क्या हुआ, वह सभी के सामने है लिहाज़ा जैक्स कैलिस को अपना रोल मॉडल मानने वाले हार्दिक पांड्या को इन तुलनाओं की आदत भी डालनी होगी और इसका असर उनके प्रदर्शन पर न पड़े इसका भी ध्यान रखना होगा।

हार्दिक पांड्या का गेंद और बल्ले दोनों से बेहतरीन प्रदर्शन और मैदान में एक चुस्त फील्डर की छवि ही कारण है जो दिग्गजों को भी ये कहने पर मजबूर कर रहा है कि कौन लेगा हार्दिक पांड्या की जगह ? अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ़ 3 टेस्ट मैच खेलने वाले किसी खिलाड़ी को लेकर इतनी बड़ी उम्मीदें आज से पहले शायद ही देखी गईं होंगी। पांड्या के लिए ये किसी उपलब्धि से तो कम नहीं है लेकिन साथ ही साथ उन्हें इन उम्मीदों पर खरा उतरने और लंबी रेस का घोड़ा बनने के लिए काफ़ी लंबा सफ़र भी तय करना है, क्योंकि मंज़िंल से भटकते ही खिलाड़ियों को कब भारतीय फ़ैंस और क्रिकेट पंडित नज़रों से ओझल कर देते हैं इसके एक नहीं अनेक उदाहरण हैं।