इसमें कोई शक नहीं कि टीम इंडिया दुनिया की सबसे बेहतरीन टीमों में से एक है। और अगर टीम इतनी बेहतरीन हो तो लाज़मी है कि उसका कोच भी बेहतरीन होना चाहिए। ऐसा कहना ग़लत नहीं होगा कि बेहतरीन कोच इतनी आसानी से तो नहीं मिलता है उसमें थोड़ा वक़्त लगता है। वो मुहावरा सबने सुना ही होगा ‘देर आए दुरुस्त आए’। जो आज हमारी भारतीय टीम पर बिल्कुल फिट बैठता है। महीनों से चल रही टीम इंडिया के कोच पद की तलाश आखिरकार 23 जून 2016 को तब जाकर ख़त्म हुई जब बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने इस पद के 57 दावेदारों में से एक का चयन कर उसकी घोषणा की। कई दिनों से चल रहे इस पद के दावेदार का नाम जब पूर्व भारतीय दिग्गज स्पिन गेंदबाज अनिल कुंबले के रूप में सामने आया तो सभी के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। आपको बता दें कि इस कोच पद के लिए कुल 57 आवेदन पत्र दिये गए थे जिनमें 21 नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। कुंबले के साथ साथ इस दौड़ में कई पूर्व भारतीय दिग्गज खिलाड़ी भी शामिल थे, जिनमें रवि शास्त्री, रॉबिन सिंह, वेंकटेश प्रसाद और संदीप पाटिल जैसे बड़े नाम भी थे। पर बीसीसीआई के फैसले के बाद अंत में अनिल कुंबले ने बाज़ी मार ली। कुंबले को इस पद के लिए बिल्कुल सही विकल्प माना गया है और देश भर में बीसीसीआई के इस फैसले की जम कर तारीफ हो रही है। ऐसे में भारत के दिग्गज कॉमेंटेटर हर्षा भोगले भला कैसे पीछे रहते। हर्षा भोगले ने बीसीसीआई के इस फैसले की तारीफ करते हुए कुंबले को टीम इंडिया में कोच की एंट्री के तौर पर शानदार बताया है। और साथ ही भोगले ने ये भी कहा “मैं बीसीसीआई के फैसले से काफी खुश हूँ और उन्होंने भारतीय कोच पद के लिए सबसे श्रेष्ठ व्यक्ति को चुना है”। अब देखना ये है कि भारतीय टीम का ये नया कोच टीम को किन बुलंदियों तक ले जाता है। इसके लिए हमें थोड़ा इंतेजार करना पड़ेगा।