SAvIND: चौथे एकदिवसीय मैच के हीरो रहे हेनरिक क्लासेन को भारत की डेथ ओवरों में गेंदबाज़ी देख हुआ अचंभा

रविवार को वांडेरर्स में खेले गए चौथे एकदिवसीय मैच में भारतीय टीम ने भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह को डेथ ओवरों में गेंद नहीं थमाई। उनकी जगह स्पिनरों ने कमान संभाली मगर वो इस प्रयास में विफल रहे। दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी हेनरिक क्लासेन भारतीय कप्तान विराट कोहली के इस निर्णय से अचंभित रह गए। स्पिनरों के भारी मात्रा में रन गंवाने के बावजूद भुवी और बुमराह से अंतिम ओवर नहीं डलवाए गए। हेनरिक्स विराट की भुवी और बुमराह को गेंदबाजी से दूर रखने की इस रणनीति से अचंभित दिखे। जबकि दक्षिण अफ्रीका का लक्ष्य इस दौरान बदला जा चुका था। हेनरिक क्लासेन ने बताया कि उन्होंने और डेविड मिलर ने सोचा था कि भारतीय खेमे ने पेसर गेंदबाजों को अंत के 2-2 ओवरों के लिए बचा के रखा होगा मगर मुझे लगता है कि उन्होंने इस सीरीज में चली आ रही रणनीति के अनुसार ही डेथ ओवर स्पिनर से फेंकवाये। कोहली का ये निर्णय विफल साबित हुआ , दोनों स्पिनरों ने 11.3 ओवर में ही 119 रन खर्च किये और मात्र तीन विकेट निकाल पाये। क्विन्टन डी कॉक के स्थान पर आए 26 वर्षीय विकेटकीपर बल्लेबाज क्लासेन ने कहा कि "यादव ही अपनी विविधता के कारण इस सीरीज में चिंता का विषय बने हुए थे।मैं ये नहीं कहूंगा कि हमने इस स्पिन की गुत्थी को सुलझा लिया है मगर बात ये है कि हमने पहले कुलदीप को खतरा नहीं माना था इसी वजह से उनके खिलाफ रन नहीं बना पाए । चहल इतना खतरनाक नहीं है मगर उसने सही समय पर विकेट निकाल लिए मगर चाइनामैन की विविधता ने हमे जूझने पर मजबूर किया जिसपर पर दो तीन काम करने के बाद नतीजा मिला है।'' क्लासेन इस मैच में दोनों टीमों के बीच अंतर पैदा करने में कामयाब रहे जिन्होंने स्पिनर पर अपने विविधता भरे नायाब शोटों से जमकर रन बटोरे। लगातार लक्ष्य की ओर अग्रसर इस खिलाड़ी ने वाइड गेंदों को भी खूब छेड़ा और गैर पारम्परिक अंदाज़ में जमकर हिट किया। इस बारे में क्लासेन कहते हैं कि ये सब उनकी हिसाब लगाई हुई रणनीति थी। फील्डरों के बीच से जगह बनाते हुए बॉउंड्री खोजना ही एकमात्र विकल्प था उन्होंने इसी जगह निशाना साधा। कुलदीप यादव काफी वाइड फेंक रहे थे और टर्न लेती गेंद बाउंस भी हो रही थी। उन्होंने इसी मौके पर साहसिक प्रहार किया और शानदार पुल शॉट खेले। क्लासेन आगे बताते हैं कि सोची समझी रणनीति इस तरह लग नहीं रही थी कि ये पहले से ही विचार की हुई है मगर हमने इसपर काम किया था और हम इसे अमल में लाने में भी कामयाब रहे। हेनरिक का मानना है कि पाँच विकेट की ये जीत उनके आत्मविश्वास में बढ़ावा लाएगी। पहले तीन मैच हारने से हमारा विश्वास डगमगाने लगा था मगर इस जीत ने हमे नई ऊर्जा दी है। इसके साथ ही डीविलियर्स का लौटना भी एक शुभ संकेत रहा , उनके वापस आने से ड्रेसिंग रूम में नई चमक आ जाती है। दो बार बारिश से बाधित मैच में लक्ष्य 28 ओवर में 202 रन किया गया। ऐसे में डीविलियर्स का केवल 26 रन बनाकर लौटने के बावजूद मुझे और मिलर को विश्वास था कि हम अपनी टीम को जीत दिला देंगे , साथ ही भरोसा था कि हम दोनों रन गति 12 - 13 रन प्रति ओवर तक ले जा सकते हैं। हेनरिक ने अपना पहला एकदिवसीय मैच केपटाउन में खेला था जिसमे वो भारत के खिलाफ मात्र 6 रन ही अपने खाते में जोड़ पाये जिससे उन्हें बहुत निराशा हुई मगर अपने दूसरे मैच में टीम को जिताने में सफल रहे हेनरिक क्लासेन मानते हैं इससे उनके लिए विश्वास के नए दरवाज़े खुलेंगे।

Edited by Staff Editor
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