गुलाबी गेंद को मिल रही है कड़ी सुरक्षा, सीसीटीवी कैमरे से की जा रही है निगरानी

क्रिकेट के सबसे नए उपकरण को सभी विभागों से समर्थन नहीं मिल रहा है, लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की कोशिश है कि इस विचित्र गुलाबी गेंद का खास ख्याल रखा जाए, जैसा उसके समकक्षी सफेद और लाल गेंद का कभी नहीं रखा गया। दिलीप ट्रॉफी के माध्यम से भारत में पदार्पण करने वाली कुकाबुरा गुलाबी गेंद का प्रशासनिक अधिकारी ख़ास ख्याल रख रहे हैं। बल्लेबाज और गेंदबाज की प्रतिक्रिया जानने के कारण गुलाबी गेंद अभी काफी चर्चाओं में है और इस गेंद के चोरी होने का डर भी बना हुआ है। अधिकारियों ने गुलाबी गेंद की ज्यादा सुरक्षा करने की ठानी है। गुलाबी गेंद से भारत में अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच आयोजित कराने की जोरदार कोशिश चल रही है। हालांकि बीसीसीआई ने इस पर अंतिम फैसला नहीं दिया है। पहले यह मुद्दा उठा था कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच 30 सितंबर से शुरू हो रहे तीन मैचों की टेस्ट सीरीज का दूसरा टेस्ट गुलाबी गेंद से खेला जाएगा, लेकिन बाद में इस फैसले को टाल दिया है। गुलाबी गेंद को विशेष रूम में रखा जा रहा है और इस पर निगरानी रखने के लिए एक सुरक्षाकर्मी को भी नियुक्त कर रखा है। बीसीसीआई को गुलाबी गेंद की इतनी फ़िक्र है कि उसने कड़ी निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी कैमरा भी लगा रखा है। दरअसल, गुलाबी गेंद की ज्यादा चिंता का प्रमुख कारण है कि यह बहुत महंगी है। एक गुलाबी गेंद का मूल्य करीब 8 हजार रुपए है, जबकि एसजी क्रिकेट गेंद करीब 1200 रुपए की है। दिलीप ट्रॉफी में तीन टीमों के बीच कुल चार मैच खेले जाने हैं और बीसीसीआई ने इन मैचों के लिए 240 गेंदें खरीदी है। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा था, 'गुलाबी गेंद बहुत महंगी है। इसलिए हमने ऐसे इंतजाम किए हैं। इसके अलावा, मैच रेफरी दिन की समाप्ति के बाद गेंद का पूरा ब्योरा लेते हैं। हमने प्रत्येक टीम को अभ्यास सत्र के लिए करीब 12 गुलाबी गेंदे दी हैं।' एक खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करता है तो याद के लिए आमतौर पर मैच के बाद लाल गेंद अपने पास रख लेता है, लेकिन उसे गुलाबी गेंद से ऐसा करना हो तो बीसीसीआई से विशेष निवेदन करना होगा। एसजी कंपनी जो घरेलू और भारत में होने वाले टेस्ट में गेंद मुहैया कराता है, वो नेशनल क्रिकेट एकेडमी (एनसीए) को भी गुलाबी गेंद के सैंपल भेजता है। कुकाबुरा की तुलना में एसजी की गुलाबी गेंद काफी कम दाम की है।