क्या है रणजी ट्रॉफ़ी का महत्व और कैसा है इसका इतिहास ?

देश की सबसे प्रतिष्ठित घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिता रणजी ट्रॉफी का ये सत्र (2017-18) अपने फाइनल मुकाबले के साथ ही अब सम्पन्न हो चुका है। इस सत्र के आखिरी मैच की समाप्ति द्वारा हमें इस वर्ष का नया रणजी ट्रॉफी चैम्पियन भी मिल गया है। इंदौर के होल्कर स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में विदर्भ ने पूर्व चैम्पियन दिल्ली को हराकर पहली बार रणजी विजेता बनने का गौरव प्राप्त किया। विदर्भ की टीम को अपना पहला फाइनल मैच खेलने के लिए 266 मैच और लगभग 6 दशक का इंतजार करना पड़ा। उसने अपने पहले फाइनल में ही खिताब अपने नाम कर लिया। इससे पूर्व विदर्भ की टीम 2014-15 और 2015-16 के सीजन में क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने में सफल रही थी। नॉक आउट में जगह बनाने से पूर्व राउंड रॉबिन लीग में इस बार दोनों ही टीमों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए एक भी मैच नहीं हारा। दिल्ली ने जहां इस सीजन में अपने 6 मैचों में से 3 मैच जीते थे, वहीं 3 मैचों में उसे ड्रा से सन्तोष करना पड़ा। दूसरी ओर विदर्भ को अपने 6 मैचों में से 4 मैच जीतने में कामयाबी मिली, जबकि उसके दो मैच बेनतीजा रहे। पूर्व चैम्पियन दिल्ली ने इस बार एक दशक बाद फाइनल मुकाबले में जगह बनाई थी। इससे पहले वो 2007-08 के सीजन में फाइनल में पहुंची थी, तब उसने यूपी को हराकर खिताब अपने नाम किया था। पिछली बार की चैम्पियन गुजरात और रनर अप मुम्बई की टीमें इस बार लीग मैचों में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद नॉक आउट मुकाबले में हार जाने के कारण सेमी फाइनल में पहुंचने में नाकाम रहीं। रणजी ट्रॉफी के इतिहास पर नज़र डालें तो इसकी शुरुआत सन 1934 में हुई थी। इसका नाम भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी रणजीत सिंह जी के नाम पर पड़ा, जिन्हें प्यार से रणजी कहा जाता था। रणजीत सिंह जी इंग्लैंड और ससेक्स की टीमों की ओर से क्रिकेट खेला करते थे। शुरुआत से अब तक इसमें फॉर्मेट और टीमों को लेकर कई बदलाव हुए हैं। कई टीमें बदली हैं तो कई टीमों के नाम बदले हैं। रणजी ट्रॉफी का पहला मैच तत्कालीन मद्रास (वर्तमान में तमिलनाडु) और मैसूर (वर्तमान में कर्नाटक) के बीच खेला गया था। पहले फ़ाइनल में तत्कालीन बॉम्बे (वर्तमान में मुम्बई) ने नॉर्दन इंडिया को हराकर खिताब अपने नाम किया था। मुम्बई की टीम का इस प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा दबदबा रहा है। उसने सर्वाधिक 41 बार ये खिताब अपने नाम किया है। जिसमें सन 1958-59 से लेकर सन 1972-73 तक लगातार 15 बार चैम्पियन बनने का कारनामा भी शामिल है। इस ट्रॉफी में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड इस समय विदर्भ की ओर से खेल रहे पूर्व भारतीय ओपनर वसीम जाफर के नाम है, जिन्होंने अब तक 10,200 से भी अधिक रन बनाए हैं, जबकि अभी भी उनमें काफी क्रिकेट बाकी है। वहीं सर्वाधिक विकेट लेने का कारनामा राजिंदर गोयल ने किया है, जिनके नाम 640 विकेट हैं। रणजी ट्रॉफी में सबसे बड़े स्कोर का रिकॉर्ड हैदराबाद के नाम है, जिसे उन्होंने आंध्र प्रदेश के खिलाफ खेलते हुए 1993-94 के सीजन में बनाया था। उस पारी में हैदराबाद की टीम ने 6 विकेट के नुकसान पर 944 रनों का पहाड़ सा स्कोर बनाया था। वहीं रणजी ट्रॉफी में न्यूनतम स्कोर का रिकॉर्ड भी हैदराबाद के ही नाम है, जो उन्होंने 2010 में राजस्थान के खिलाफ खेलते हुए बनाया था, तब हैदराबाद की पूरी टीम मात्र 21 रनों पर सिमट गई थी। इस समय रणजी ट्रॉफी में 28 टीमें भाग लेती हैं। ये टीमें हैं बड़ोदरा, बंगाल, असम, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गोवा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, हैदराबाद, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक (पूर्व में मैसूर), मध्य प्रदेश (पूर्व में मध्य भारत, होल्कर, सेंट्रल इंडिया), केरल (पूर्व में त्रैवनकोर, कोचीन), महाराष्ट्र, मुम्बई (पूर्व में बॉम्बे), रेलवे, पंजाब, ओडिशा, राजस्थान (पूर्व में राजपूताना), सौराष्ट्र (पूर्व में नवानगर), सर्विसेज (पूर्व में आर्मी), उत्तर प्रदेश (पूर्व में यूनाइटेड प्रोविन्स), तमिलनाडु (पूर्व में मद्रास), त्रिपुरा और विदर्भ की टीमें शामिल हैं। अतीत में रणजी ट्रॉफी का हिस्सा रही कई टीमें अब इतिहास का पन्ना बन चुकी हैं। इनमें नॉर्दन इंडिया, सेंट्रल प्रोविन्स, सिंध, साउदर्न पंजाब, वेस्टर्न इंडिया, नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर, काठियावाड़, ग्वालियर, बिहार, पटियाला, ईस्टर्न पंजाब और नॉर्दन पंजाब की टीमें शामिल हैं। भारतीय क्रिकेट में रणजी ट्रॉफी के महत्व की बात करें तो इसका भारतीय खिलाड़ियों के लिए उतना ही महत्व है जितना किसी कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट के लिए स्कूल का होता है अर्थात जैसे कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए स्कूल पास करना जरूरी होता है वैसे ही राष्ट्रीय टीम विशेषकर टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करना होता है। आज भारत को क्रिकेट में नई बुलन्दियों पर पहुंचाने में रणजी ट्रॉफी का सबसे अधिक योगदान है। रणजी ट्रॉफी ही वो भट्टी है जिसमें तप कर ही देश के सभी महान क्रिकेटर सोना बने। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने वाले सभी खिलाड़ियों की प्रतिभा के दर्शन सबसे पहले हमें रणजी ट्रॉफी में ही हुए हैं। उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए शानदार प्रदर्शन में उनका रणजी मैचों में अर्जित किया गया अनुभव बहुत काम आया है, जो रणजी ट्रॉफी के महत्व को दर्शाता है। रणजी ट्रॉफी का भारतीय क्रिकेट में अतुलनीय योगदान है।

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