Hokato Hotozhe Sema wins bronze medal Paris Paralympics 2024: मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो और किसी काम को पूरी लगन से करने की ठान ली जाए तो फिर बड़ी से बड़ी बाधा भी आपका रास्ता नहीं रोक सकती। कुछ ऐसा ही कारनामा नागालैंड के होकातो होतोजी सेमा ने कर दिखाया है, जिन्होंने एक पैर ना होने के बावजूद खुद को कम नहीं समझा और अब पेरिस पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का नाम रौशन कर दिया। होकातो ने F57 वर्ग के शॉट पुट इवेंट फाइनल में चौथे प्रयास में 14.65 मीटर का थ्रो किया और अपना सवर्श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए भारत का 27वां पदक पक्का करने में कामयब रहे। वह पैरालंपिक में मेडल जीतने वाले नागालैंड के पहले एथलीट भी बने।
होकातो होतोजी सेमा ने चौथे प्रयास में किया अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
F57 वर्ग के शॉट पुट इवेंट में होकातो होतोजी सेमा ने अपने पहले प्रयास में 13.88 मीटर का थ्रो किया। वहीं, दूसरे प्रयास में 14 मीटर की दूरी तय की, जबकि तीसरे प्रयास में 14.40 मीटर का थ्रो करते ही तीसरा स्थान हासिल कर लिया था। वहीं, उन्होंने चौथे प्रयास में 14.65 मीटर का थ्रो करते हुए अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। होकातो ने अपने पांचवें प्रयास में 14.15 मीटर और छठे प्रयास में 13.80 मीटर का थ्रो किया।
इस तरह अपने चौथे प्रयास के दम पर उन्होंने तीसरे स्थान पर फिनिश किया और ब्रॉन्ज मेडल जीता। इस इवेंट में ईरान के याशिन खोसरावी ने 15.96 मीटर के थ्रो के साथ पहला स्थान और गोल्ड हासिल किया, जबकि ब्राजील के थियागो पॉलिनो डॉस सांतोस ने 15.06 मीटर थ्रो की मदद से सिल्वर मेडल अपने नाम किया। हालांकि, भारत के एक और एथलीट एक अन्य भारतीय सोमन राणा ने 14.07 मीटर का अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया और पांचवें स्थान पर रहे।
जंग के दौरान गंवाया था पैर
होकातो होतोजी सेमा भारतीय सेना में 9 असम रेजिमेंट के हवलदार के रूप में कार्यरत है। उनका एथलेटिक करियर 2002 में एक घटना के कारण शुरू हुआ, जब उन्होंने बारूदी सुरंग विस्फोट के कारण नियंत्रण रेखा (LOC) पर एक ऑपरेशन के दौरान अपना पैर खो दिया। इस झटके के बावजूद, सेमा ने हार नहीं मानी। उन्होंने हांग्जो, चीन में 2022 एशियाई पैरा खेलों में शॉट पुट F-56/57 वर्ग की स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता। वहीं, उसी साल होकाटो ने मोरक्को ग्रैंड प्रिक्स में सिल्वर मेडल पदक जीता। इस साल की शुरुआत में वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी चौथे स्थान पर रहे थे। वहीं, अब उन्होंने पेरिस में मेडल जीतने में कामयाबी पाई। बता दें कि एफ57 वर्ग उन फील्ड एथलीट्स के लिए है, जिनका एक पैर या फिर दोनों पैर कम हद तक काम करते हों।