2004 के चैंपियन वेस्टइंडीज़ का CT2017 में न खेल पाना कैरेबियाई क्रिकेट के लिए कितना ख़तरनाक ?

कुछ ही घंटों में शुरू होने जा रहा है वनडे क्रिकेट का दूसरा सबसे बड़ा टूर्नामेंट आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी, जिसे मिनी वर्ल्डकप के नाम से भी जाना जाता है। जहां कल से इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, भारत, दक्षिण अफ़्रीका, न्यूज़ीलैंड, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच शुरू होने जा रहा है क्रिकेट का महासंग्राम। लेकिन विडंबना देखिए, जो देश कभी क्रिकेट का सिरमौर कहा जाता था पहले दो विश्वकप में जो विजेता रहा हो और तीसरे विश्वकप में रनरअप रहा। वह आज क्रिकेट के इस बड़े टूर्नामेंट से बाहर है। जी हां, हम बात कर रहे हैं दो बार के वन-डे और दो बार के टी20 वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज़ की, वह कैरेबियाई टीम जिसने 2004 में इंग्लैंड में ही इस चैंपियंस ट्रॉफ़ी पर कब्ज़ा जमाया था। वक़्त के साथ साथ वेस्टइंडीज़ का क्रिकेट भी बदला और जब इस बार चैंपियंस ट्रॉफ़ी में टॉप-8 टीमों को ही क्वालीफ़ाई करने था तब कैरेबियाई टीम आईसीसी रैंकिंग में 8वें पायदान से नीचे थी, लिहाज़ा जब सारे देश चैंपियन बनने की होड़ में होंगे तो कैरेबियाई टीम अफ़ग़ानिस्तान के साथ क्रिकेट खेल रही होगी। इस उम्मीद में कि आने वाले वक़्त में वह एक बार फिर अपनी खोई चमक हासिल कर पाएं। चैंपियंस ट्रॉफ़ी से बाहर रहने के पीछे वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड और उनके खिलाड़िय़ों के बीच चला आ रहा सालों पुराना विवाद सबसे बड़ी वजह है। जिस टीम में क्रिस गेल, ड्वेन ब्रावो, किरोन पोलार्ड और सुनील नरेन जैसे धुरंधर मौजूद होते हुए भी उन्हें वन-डे टीम से बाहर रखा जाए तो ज़ाहिर है आईसीसी रैंकिंग में कभी दुनिया की सबसे ख़तरनाक टीम फिसड्डी बन कर रह जाएगी। अगर जल्द से जल्द WICB और खिलाड़ियों के बीच मतभेद नहीं सुलझे तो, वह दिन दूर नहीं जब चैंपियंस ट्रॉफ़ी की ही तरह वन-डे वर्ल्डकप से भी दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज़ को बाहर बैठना पड़े। 2019 विश्वकप में भी टॉप-8 टीमें ही सीधे क्वालीफ़ाई करेंगी और दूसरी टीमों को क्वालिफ़ायर खेलना होगा। मतलब साफ़ है चैंपियंस ट्रॉफ़ी से बाहर होने के बाद भी अगर WICB ने सबक़ नहीं लिया तो वेस्टइंडीज़ क्रिकेट का भविष्य ख़तरे में पड़ सकता है।