बाउंसर हमेशा से ही क्रिकेट में विवादास्पद रहे हैं क्योंकि उन्हें बल्लेबाजों को चोट पहुंचाने या डराने के लिए जानबूझकर डाला हुआ माना जाता है। 70 के दशक में वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज ऐसा काफी करते थे। हालांकि हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिलिप ह्यूज की जब बाउंसर लगने से मौत हुई तो ये सवाल उठने लगे कि क्या बाउंसर की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। फिर भी एकदिवसीय क्रिकेट में बाउंसर प्रचलित रहे हैं। 1992 विश्व कप के दौरान एक ओवर में एक बाउंसर डालने की अनुमति थी। 1994 में आईसीसी ने एक ओवर में दो बाउंसर की अनुमति के साथ 2 से ज्यादा बाउंसर डालने पर 2 रन का जुर्माना लगा दिया। 2001 में,आईसीसी ने फिर से एक ओवर में एक बाउंसर का नियम बनाया और सीमा से बाहर होने पर जुर्माने का प्रावधान रखा। 2012 में एक बार फिर से नियमों में बदलाव हुआ। नए नियम के मुताबिक एक ओवर में दो बाउंसर कर सकते हैं इससे ज्यादा करने पर गेंद नो बॉल मानी जाएगी।