1992 विश्व कप से अब तक एकदिवसीय क्रिकेट के नियमों में हुए बदलाव

नई तकनीक का ईजाद

advent of technology टेक्नॉलजी के आगमन ने दुनियाभर में क्रिकेट को देखने और खेलने के तरीके को बदल कर रख दिया। विशाल स्क्रीन से लेकर स्पाइडर कैमरा तक, इसने पूरी तरह से क्रिकेट के प्रसारण को बदल कर रख दिया है और दर्शकों की संख्या को बढ़ाया । उदाहरण के लिए, 90 के दशक और 2000 के दशक के शुरुआती दिनों के विपरीत अब तीसरे अंपायर के निर्णय को लाल या हरे रंग की लाइट से नहीं बताया जाता है बल्कि इसके लिए आउट और नॉट आउट शब्दों को बड़ी स्क्रीन पर दिखाया जाता है। तकनीक ने अंपायरों के लिए काम और आसान कर दिया। सबसे अच्छा उदाहरण डीआरएस है जिसे 2011 में पहली बार एकदिवसीय क्रिकेट में पेश किया गया था। इसे पहले अनिवार्य और फिर वैकल्पिक बनाया गया था जिसका मतलब है कि इसका उपयोग केवल उस द्विपक्षीय सीरीज में किया जा सकता है जिसमें दोनों ही टीमें इसका उपयोग करने के लिए सहमत हों। डीआरएस के विभिन्न अंग में गेंद टेकिंग शामिल है जिसका उपयोग एलबीडब्ल्यू फैसलों के लिए किया जाता है, स्निकोमीटर है जो बाद में हॉक-आइ के साथ किया गया। शुरूआत से ही डीआरएस विवादों में फंसा रहा है क्योंकि बीसीसीआई ने बार-बार शिकायत की थी कि हॉक-आइ और बॉल-ट्रैकिंग जैसे टेक्नॉलजी सही नहीं हैं। वर्तमान में एकदिवसीय क्रिकेट में हर टीम को लिए ह पारी में एक डीआरएस दी जाती है जो उन्हें प्रत्येक सफल चुनौती के साथ वापस मिल जाती है।