बारिश से प्रभावित मैच
1992 विश्व कप से पहले बारिश होने पर नियम के अनुसार दूसरी पारी में प्रत्येक ओवर खत्म होने के लिए पहली पारी के रन प्रति ओवर के हिसाब से कटौती करना था। 1992 में नये हुए नये बदलाव के अनुसार अगर दूसरी पारी में बारिश के कारण खेल में रूकावट आती है तो लक्ष्य में कमी को पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम के सबसे कम स्कोरिंग ओवर के अनुपात में निर्धारित किया जायेगा। इसके सबसे बड़ी कमी तब उजागर हुई जब दक्षिण अफ्रीका को सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत के लिए 13 गेंदों में 22 रन बनाने थे। तभी बारिश ने खेल बाधित कर दिया और उसके बाद उन्हें 7 गेंदों पर 22 रन बनाने और फिर केवल 1 गेंद पर 22 रन बनाने का लक्ष्य मिला जिसने दक्षिण अफ्रीका की जीत की सारी संभावना को खत्म कर दिया। 1999 में डकवर्थ-लुईस नियम को पेश किया गया जो बारिश के कारण खेल बाधित होने पर सांख्यिकीय गणनाओं के आधार पर लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम के लिए एक संशोधित टारगेट निर्धारित करता है। फ्रैंक डकवर्थ और टोनी लुईस के रिटायरमेंट के बाद प्रोफेसर स्टीवन स्टर्न इस नियम के संरक्षक बन गए हैं। इसके बाद इस नियम का नाम 2014 में डीएलएस नियम के रूप में बदल दिया गया।