एम एस धोनी के कप्तान बनने में क्या था राहुल द्रविड़ का रोल ?

राहुल द्रविड़ और एम एस धोनी
राहुल द्रविड़ और एम एस धोनी

2 वर्ल्ड कप ट्रॉफी, 1 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी और 200 वनडे मैचों में से 110 में जीत, ये आंकड़े हैं, भारत के सबसे सफल कप्तान, एम एस धोनी के। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धोनी के कप्तान बनने के पीछे की कहानी क्या है, और किन खिलाड़ियों की इसमें अहम भूमिका थी, तो चलिए हम आपको विस्तार से बताते हैं।

साल था 2007, वर्ल्ड कप में पहले ही राउंड से बाहर होने के बाद भारतीय टीम बेहद निराशाजनक दौर से गुजर रही थी। 5 बड़े क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीरेंदर सहवाग, जहीर खान और इरफान पठान को बांग्लादेश सीरीज के लिए जानबूझकर आराम दिया गया था। रही सही कसर उस वक्त के कोच ग्रेग चैपल और कुछ बड़े भारतीय खिलाड़ियों के बीच हुए विवाद ने पूरी कर दी। ग्रेग चैपल ने सचिन तेंदुलकर की प्रतिबद्धता पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। बाद में ग्रेग चैपल को कोच पद से हटा दिया गया और सचिन तेंदुलकर संन्यास लेने तक के बारे में भी सोचने लगे थे।

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निराशा के इस माहौल में भारतीय क्रिकेट टीम को एक ऐसे नए सुपरस्टार की जरुरत थी जो टीम में नई ऊर्जा का संचार कर सके और खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा सके। इन सबके बीच युवा खिलाड़ी एम एस धोनी को टी20 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान बनाया जाता है और उसके बाद से भारतीय क्रिकेट का भविष्य ही बदल गया।

अपनी जबरदस्त अगुवाई में भारत को 2007 टी20 विश्व कप जिताने के बाद एम एस धोनी भारतीय वनडे टीम के कप्तान भी बने। लेकिन क्या आपको पता है कि धोनी के वनडे कप्तान बनने के पीछे एक दिग्गज क्रिकेटर का बहुत बड़ा हाथ था, जिसके बारे में शायद बहुत कम लोग जानते हैं। सबको यही लगता है कि सिर्फ सचिन तेंदुलकर के कहने पर ही धोनी को कप्तान बनाया गया था लेकिन राहुल द्रविड़ भी एक ऐसे खास शख्स थे, जिन्होंने कप्तान के तौर पर धोनी का समर्थन किया था।

दरअसल सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली 2007 टी20 विश्व कप में खेलना चाहते थे लेकिन उस वक्त के वनडे और टेस्ट टीम के कप्तान, राहुल द्रविड़ ही वो शख्स थे जिन्होंने सीनियर खिलाड़ियों से बात की और कहा कि रोहित शर्मा और गौतम गंभीर जैसे युवा खिलाड़ियों को मौका दिया जाए।

उस वक्त के चयन समिति के चेयरमैन दिलीप वेंगसरकर के साथ मतभेद के कारण द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ दी। द हिंदू में छपी खबर के मुताबिक तब तत्कालीन बीसीसीआई प्रेसिडेंट शरद पवार ने सचिन तेंदुलकर से पूछा कि क्या वो कप्तानी करने के इच्छुक हैं, तो इस पर सचिन ने धोनी के नाम का सुझाव दिया। वहीं राहुल द्रविड़ से जब पूछा गया तो उन्होंने भी एम एस धोनी का ही नाम लिया।

ये कहना गलत नहीं होगा कि एम एस धोनी का कप्तान बनाना भारतीय क्रिकेट इतिहास का एक बहुत महत्वपूर्ण पल था, जिसमें राहुल द्रविड़ के अहम योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।

एम एस धोनी की कप्तानी में भारत ने सफलता के नए आयाम स्थापित किए

एम एस धोनी शुरुआत से ही एक अलग खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने टीम में आते ही सबसे पहले अपने आकर्षक लंबे बालों से लोगों को दीवाना बनाया, फिर अपनी ताबड़तोड़ आतिशी बल्लेबाजी से दुनिया भर में फैंस को लुभाया और फिर कप्तान बनने के बाद अपनी शातिर रणनीति और ‘कैप्टन कूल’ नेतृत्व से भारतीय टीम को नई ऊंचाइयों तक ले गए।

एम एस धोनी भारतीय क्रिकेट इतिहास के वो पात्र हैं, जिनके बिना कहानी अधूरी रहेगी, क्योंकि धोनी हैं मिस्टर भरोसेमंद, एक बेहतरीन बल्लेबाज, शातिर रणनीतिकार, एक करिश्माई लीडर।

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