क्रिकेट एक वैश्विक खेल है, जो दुनिया भर के कई देशों में खेला जाता है। इस खेल का विस्तार और प्रसार बड़े-बड़े मेट्रों शहरों से लेकर छोटे-छोटे गांवों तक फैला हुआ है। घरेलू प्रतियोगिताएं सबको एक बेहतर मंच प्रदान करती हैं ताकि अधिक से अधिक प्रतिभाएं उभर कर राष्ट्रीय टीम को अपनी सेवा दे सकें। क्रिकेट की इस बहुरूपी दुनिया में कई खिलाड़ियों के नाम ऐसे होते हैं जो सुनने में थोड़े से अजीब और मजेदार होते हैं। हम आज ऐसे ही दस क्रिकेटरों की बात करेंगे जिनके नाम किसी ना किसी व्यवसाय के नाम से मेल खाते हैं। यहां हम आपको एक बात स्पष्ट कर दें कि इस लेख का मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं बल्कि एक हल्का-फुल्का मनोरंजन करना है। विजय ‘मर्चेंट’ (भारत) विजय मर्चेंट अपने समय के भारत के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक थे। घरेलू क्रिकेट में उनका बल्लेबाजी औसत 71.64 था जो अब भी प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भारत के लिए एक रिकॉर्ड है। घरेलू क्रिकेट में इतने शानदार औसत के बावजूद भी मुंबई के सलामी बल्लेबाज मर्चेंट भारत के लिए सिर्फ 10 टेस्ट मैच खेल सके। इन 10 मैचों में उन्होंने लगभग 50 के औसत से 859 रन बनाए। उनका क्रिकेटिंग करियर 18 साल लंबा था और इस दौरान उन्होंने अपने घरेलू टीम मुंबई को कई मैच जिताए। बर्ट ‘आयरनमॉन्गर’ (ऑस्ट्रेलिया) सार्वकालिक बांए हाथ के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से एक बर्ट आयरनमॉन्गर बड़ी चतुराई से गेंदों की गति और लंबाई में बदलाव करते थे। इस विविधिता के कारण ही उन्हें अपने करियर के दौरान काफी सफलता हासिल हुई। आयरनमॉन्गर ने अपना पहला टेस्ट मैच 45 वर्ष और 237 दिन की आयु में खेला था। इस तरह वह दुनिया के चौथे सबसे ज्यादा उम्र में डेब्यू करने वाले क्रिकेटर हैं। 1931-32 के सीजन में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में 9.67 के शानदार औसत से 31 विकेट लिए थे। आयरनमॉन्गर ने अपने करियर के 14 टेस्ट में 17.97 की औसत से और सिर्फ 1.69 की इकोनॉमी के साथ कुल 74 विकेट लिए थे। मार्क ‘बूचर’ (इंग्लैंड) 71 टेस्ट और 13 अंतर्राष्ट्रीय टी20 मैच खेलने वाले मार्क बूचर अपने पूरे में कैरियर चोट और खराब फॉर्म से जूझते रहे। घरेलू सत्र में सफल होने के बाद 1997 में उन्हें इंग्लैंड के टीम में जगह मिली और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो शतक लगाकर अपने अंतर्राष्ट्रीय कैरियर की बेहतरीन शुरूआत की। हालांकि वो अपने फॉर्म को बरकरार नहीं रख पाए और उन्हें टीम में अपनी जगह गंवानी पड़ी। 2001 में उन्होंने वापसी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक शानदार शतक जमाया। इसके बाद उन्होंने अपना फॉर्म बरकरार रखा और टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। 2002 के सत्र में बूचर ने लगातार रन बनाए और अपने खोए हुए आत्मविश्वास को हासिल कर लिया। 2005 में वह सरे काउंटी के कप्तान बने। लगातार शीर्ष स्तर पर चोटों से जूझते रहे इस खिलाड़ी ने 2009 में पेशेवर क्रिकेट से संन्यास ले लिया। रॉबर्ट विलियम बॉब ‘बार्बर’ (इंग्लैंड) बाएं हाथ के खब्बू बल्लेबाज और कलाई के स्पिनर बॉब लंकाशायर की तरफ से खेलते थे। लगातार किए गए अच्छे प्रदर्शन ने उन्हें 1959 -60 के सीजन में अपने कॉउंटी टीम का कप्तान बना दिया और जल्द ही वह इंग्लैंड के राष्ट्रीय टीम में भी शामिल हो गए। हालांकि वे अपने प्रथम श्रेणी के प्रदर्शन को टेस्ट क्रिकेट में बरकरार नहीं रख सके। उन्होंने 28 टेस्ट मैचों में 1495 रन बनाए और 42 विकेट लिए। कुछ विवादों की वजह से बार्बर को लंकाशायर से वारविकशायर जाना पड़ा, जहां उन्होंने अपने बल्लेबाजी से सबको प्रभावित किया। 1971 में इस क्रिकेटर ने पेशेवर क्रिकेट से संन्यास ले लिया। लियोनेल साइमन ‘बेकर’ (वेस्टइंडीज) हालांकि बेकर का क्रिकेटिंग करियर कुछ खास लम्बा नहीं रहा लेकिन क्रिकेट के रिकॉर्ड बुक में उनका नाम दर्ज हो गया। दरअसल बेकर कैरेबियन द्वीप समूह के एक छोटे से द्वीप ‘मोंटेसेराट’ के पहले क्रिकेटर हैं। वेस्टइंडीज के लिए क्रिकेट खेलने से पहले बेकर ने घरेलू सर्किट में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। उन्हें इस प्रदर्शन का ईनाम भी मिला और वे दो साल के लिए लीसेस्टरशायर की तरफ से काउंटी क्रिकेट खेलने इंग्लैंड पहुंच गए। लेकिन वेस्टइंडीज की टीम से बुलावा आने पर उन्हें कॉन्ट्रैक्ट रद्द करना पड़ा। नवंबर 2008 में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू करते हुए बेकर ने 9-0-47-3 के आंकड़े दर्ज किए और सबको प्रभावित किया। हालांकि इस अच्छी शुरूआत को वह बरकरार नहीं रख सकें और केवल 10 वनडे ही खेल सके। बेकर ने 2008 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला। वह वेस्टइंडीज के लिए चार टेस्ट मैच और 15 टी 20 मैच खेले और क्रमश: 5 और 12 विकेट लिए। इयान ‘बिशप’ (वेस्टइंडीज) विश्व क्रिकेट पर जब वेस्टइंडीज राज कर रहा था, तब कैरेबियन धरती पर एक और प्रतिभाशाली तेज गेंदबाज उभर रहा था। हालांकि यह गेंदबाज उतना भाग्यशाली नहीं रहा क्योंकि उसे अपने कैरियर में कई बार पीठ के चोट का सामना करना पड़ा। लंबे कद-काठी वाला यह गेंदबाज अपने आउट स्विंग गेंदबाजी के लिए मशहूर था और अपनी लंबाई की वजह से वह पिच से अतिरिक्त उछाल हासिल कर सकता था। बिशप ने सिर्फ 21 टेस्ट मैचों में 100 विकेट का आंकड़ा छू लिया, लेकिन इसके बाद वह लगातार चोटों से प्रभावित रहें। त्रिनिदाद के इस गेंदबाज ने 43 टेस्ट मैचों में 161 विकेट और 84 वनडे में 118 विकेट लिए। रिटायर होने के बाद बिशप ने कमेंट्री की दुनिया में कदम रखा और आज वह आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ कमेंटेटरों में जाने जाते हैं। एश्ले ‘नर्स’ (वेस्टइंडीज) मुख्य रूप से सीमित ओवर के क्रिकेटर एश्ले नर्स एक ऑफ स्पिनर हैं जिन्होंने अपने छोटे से कैरियर में ठीक ठाक सफलता हासिल की है। पाकिस्तान के खिलाफ 2011 में अपना टी-20 डेब्यू करने वाले इस क्रिकेटर ने अब तक केवल पांच टी 20 मैच खेला है। 2016 में उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ अपने एकदिवसीय करियर की शुरुआत की और 10 ओवरों में 46 रन देकर 3 विकेट चटकाए। तब से वह वेस्टइंडीज की एकदिवसीय टीम के नियमित सदस्य हैं। उन्होंने अब तक खेले 18 वन डे मैच में 27.34 के औसत और 4.66 की इकोनॉमी से 26 विकेट लिए हैं। जुलाई 2017 में वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड ने बारबाडोस में जन्में इस क्रिकेटर को घरेलू क्रिकेट में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए सीमित ओवरों के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर का अवॉर्ड दिया। इयान ‘बटलर’ (न्यूजीलैंड) न्यूजीलैंड के इस तेज गेंदबाज की सबसे अच्छी खासियत थी कि वह धीमी पिचों पर भी गेंद को जबरदस्त उछाल कराने की क्षमता रखता था। बटलर ने 2002 में तेज गेंदबाज शेन बॉन्ड को चोट लगने पर एकदिवसीय क्रिकेट में शुरुआत की थी। अपने पहले टेस्ट मैच में बटलर ने पांच विकेट लिए और अपने खतरनाक गेंदबाजी के लिए सभी से से प्रशंसा प्राप्त की। शेन बॉण्ड की टीम में वापसी से बटलर का करियर छोटा हो गया और डेब्यू के बाद बटलर ने सिर्फ 7 और टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने 19 विकेट लिए थे। हालांकि बटलर का टी 20 कैरियर काफी लंबा रहा और उन्होंने 87 टी 20 मैचों में 104 विकेट लिए। वह 2009 और 2010 विश्व कप टी 20 में न्यूजीलैंड के मुख्य तेज गेंदबाज थे। डेविड ‘मिलर’ (दक्षिण अफ्रीका) एक विस्फोटक बल्लेबाज और लाजवाब फील्डर डेविड मिलर पहली बार चयनकर्ताओं की नजर में तब आए, जब उन्होंने 2010 में दक्षिण अफ्रीका ए के लिए कई शानदार पारियां खेली। एक फिनिशर के रूप में 2013 में वह दक्षिण अफ्रीकी टीम के नियमित सदस्य बने और सीमित ओवरों के क्रिकेट में अपनी जगह पक्की कर ली। मिलर ने अब तक 99 एकदिवसीय मैचों में 39.27 के औसत और 102.26 की स्ट्राइक रेट से 2396 रन बनाए हैं जबकि 55 टी 20 मैचों में उनके नाम 134.02 की शानदार स्ट्राइक रेट से 906 रन दर्ज हैं। एलिस्टर ‘कुक’ (इंग्लैंड) इंग्लैंड के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट बल्लेबाजों में से एक एलिस्टर कुक इंग्लैंड की तरफ से टेस्ट फॉर्मेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। साल 2012 में कुक को विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर के पुरस्कार से भी नवाजा गया था। भारत के खिलाफ शतक बनाकर अपना टेस्ट कैरियर शुरू करने वाले कुक के नाम टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 500, 2000, 3000, 5000 और 10,000 रन बनाने का रिकॉर्ड है। 2012 में कुक ने भारतीय जमीन पर 28 साल बाद इंग्लैंड की पहली जीत का नेतृत्व किया था और उसी साल ही उन्हें सर्वकालिक टेस्ट टीम का कप्तान भी घोषित किया गया। 2015 में ग्राहम गूच को पछाड़ाते हुए कुक टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड की तरफ से सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बने। उसी साल कुक 9000 रन बनाने वाले भी इंग्लैंड के पहले बल्लेबाज बने। 147 टेस्ट मैचों में इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ने 46.33 के औसत से 11629 रन बनाये हैं वहीं एकदिवसीय क्रिकेट में कुक ने 92 मैचों में 3204 रन बनाए हैं। मूल लेखक - प्रसेन मुद्गल अनुवादक - सागर