बांग्लादेश क्रिकेट में हबीबुल बशर का प्रमुख योगदान यह है कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक निचले दर्जे की टीम को बिना असफलताओं से प्रभावित हुए ढोते रहे और मध्य क्रम में रन बनाते रहे। वो भी तब जब उनके आसपास के बल्लेबाजों में जल्द आउट होकर लौटने की होड़ सी लगी रहती थी। बशर एक ऐसी टीम में एक असली बल्लेबाज थे जहां तकनीक दुर्लभ थी और कोचिंग मैनुअल से सभी स्ट्रोक खेल सकते थे। महत्वपूर्ण रूप से उन्होंने अपनी क्षमता को प्रदर्शन में परिवर्तित कर दिया और नियमित तौर पर अर्धशतक लगा पाने की उनकी क्षमता की वजह से उन्हे 'मिस्टर फिफ्टी' के रूप में जाना जाने लगा था। 2003 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची टेस्ट में उनका शतक उनके कैरियर का मुख्य आकर्षण था और यह पारी साबित करती है कि वह बांग्लादेश के लिए कितने महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे। उस शतक के साथ बशर ने सुनिश्चित किया कि उनकी टीम प्रतियोगिता में रहे। इसके अलावा उनका पहला अंतरराष्ट्रीय शतक जो 2001 में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ आया था वह भी काफी प्रभावी था। उन्होंने वनडे में तीन हजार से अधिक रन बनाए और टेस्ट में 2000 से ज्यादा रन बनाए और अपने युग के दौरान बांग्लादेश के प्रीमियर बल्लेबाजों में से एक थे। हालांकि एकदिवसीय मैचों में उनका औसत 20 से थोड़ा ऊपर रहा , जो कि उनकी प्रतिभा के साथ मेल नहीं खाता।