भारत दुनिया की नंबर 1 टेस्ट टीम है। उन्होंने नये और ताजातरीन तरीके से क्रिकेट खेलकर हाल ही में शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने लगातार अच्छी परफॉर्मेंस दी है और ऐसी पिचों पर जीत की आदत बना ली है जिन पिचों पर गेंदबाजों को मदद नहीं मिलती है और शायद शीर्ष पर पहुंचने के पीछे का सबसे बड़ा यह भी कारण है। पहले उन पिचों पर भारतीय गेंदबाजों की कुछ सीमाएं थी जो पिचें तेज गेंदबाजों को मदद नहीं करती थीं। लेकिन अब ऐसा नहीं हैं। आइए जानते हैं वो 6 कारण क्यों भारत अब सपाट पिचों पर भी जीत हासिल करने लगा है। अहम समय पर उमेश यादव का भारतीय टीम में आना
उमेश यादव को एक ऐसे गेंदबाज के तौर पर जाना जाता है कि जब कप्तान विराट कोहली को किसी महत्वपूर्ण विकेट की तलाश होती है तो वो उमेश की तरफ जाते हैं। वो लगातार तेज और आक्रामक गेंदबाजी करते हैं और उन्होंने अपनी गेंदबाजी में एक अविश्वसनीय नया आयाम जोड़ा है।
उनकी गेंदबाजी करने की क्षमता के बारे में किसी को कोई शक नहीं था। पर एकमात्र चिंता उनकी सटीकता और हर दूसरी गेंद को लेग साइड की तरफ नीचे झुकाने की प्रवृत्ति थी। हालांकि ये कमी दूर करने के बाद अब वो बल्लेबाजों के लिए एक कठिन चुनौती साबित हो रहे हैं। साथ ही उमेश ने पुरानी गेंद के साथ रिवर्स स्विंग पैदा करने की अपनी क्षमता को विकसित किया है। वह अंततः बड़े स्तर पर पहुंचने में कामयाब रहे हैं। केएल राहुल का आगमन
केएल राहुल ने 2014 में एमसीजी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉक्सिंग डे टेस्ट से भारत के लिए अपने टेस्ट कैरियर की शुरुआत की थी। तब से वह लगातार आगे बढ़ रहे हैं, उनके नाम 46.27 के औसत से 4 शतक और नौ अर्धशतक दर्ज हैं। राहुल में हमेशा से ही रनों के लिए भूख रही है और वह क्रिकेट की हर शॉट खेल सकते हैं। वो अच्छी गेंदों का सम्मान करता है और बुरी गेंद पर कड़ा प्रहार करने से नहीं चूकते हैं। के एल राहुल के लगातार रन बनाने की आदत ने शीर्ष क्रम में उनका स्थान पक्का कर दिया है। उन्होंने टॉस हारने के बावजूद कई बार भारतीय टीम को बेहतरीन शुरुआत दी है। जब उन्हें एक अच्छी शुरुआत मिल जाती है तो वह आम तौर पर उसे बड़े स्कोर में बदलने की कोशिश करते हैं। जिससे टीम को बड़ा स्कोर बनाने में मदद मिलती है। निचले क्रम का बेहतरीन योगदान
पहले एक गेंदबाज का काम गेंदबाजी करना और बल्लेबाज का काम बल्लेबाजी तक ही सीमित होता था लेकिन अब खिलाड़ी एक ऑलराउंडर के तौर पर खुद को विकसित करता है ताकि जरुरत पड़ने पर वह बल्लेबाजी या गेंदबाजी कर सके। यही कारण है कि निचले क्रम के शानदार योगदान के कारण भारत ने पिछले कुछ समय में काफी बड़े बड़े स्कोर खड़े किये हैं। रविचन्द्रन अश्विन, रिद्धिमान साहा और रविन्द्र जडेजा की तिकड़ी ने निचले क्रम पर अच्छी बल्लेबाजी कर टीम को विविधता प्रदान की है। उन्होंने शीर्ष क्रम और मध्य क्रम द्वारा रखी गई नींव को आगे ले जाने का काम किया और टीम को एक नया एक्स- फैक्टर प्रदान किया जो पहले देखने को नहीं मिलता था। ये योगदान आसानी से लगभग 100-150 रन का अंतर बनाते हैं । जो विपक्षी टीम के ऊपर दबाव डालने में महत्वपूर्ण साबित होता है। हाल ही में संपन्न हुए श्रीलंका दौरे के दौरान हार्दिक पंड्या ने अपनी बल्लेबाजी कौशल की झलक दिखा दी है। हालांकि उन्हें अभी भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर एक बड़ा इम्तिहान देना बाकी है। टीम में तेज गेंदबाजों की भरमार
यदि पिच मदद नहीं करती है तो एक कप्तान अपने तेज गेंदबाज की तरफ देखता है जो उसे अलग-अलग रणनीति से विकेट दिलाये। इससे पहले भारतीय कप्तानों के पास ये आजादी नहीं थी। भारत में आमतौर पर ऐसे स्विंग गेंदबाजों होते थे, जो कि तब खतरनाक साबित होते थे जब पिच से उन्हें मदद मिलती थी, लेकिन एक सपाट पिच पर उनकी गेंदबाजी बेदम नजर आती थी। हालांकि मौजूदा भारतीय तेज गेंदबाज किसी भी पिच पर विकेट निकालने में सक्षम हैं। य़े गेंदबाज सपाट पिच पर विकेट निकालने की क्षमता रखते हैं। मोहम्मद शमी, उमेश यादव, और ईशांत शर्मा में तेज गेंदबाजी करने की क्षमता है और गेंद को स्विंग भी करा सकते हैं। लॉर्ड्स में ईशांत शर्मा के जादू को कौन भूल सकता है, जब उन्होंने छोटी गेंद की रणनीति का सहारा लिया था, क्योंकि आखिरी दिन पिच पर बहुत कुछ नहीं था, जिससे भारत को एक बड़ी जीत मिली। रिद्धिमान सुपरमैन साहा
एमएस धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भारतीय टीम को तगड़ा झटका लगा । हालांकि ऋद्धिमान साहा टेस्ट मैचों में भारत के नियमित विकेटकीपर बल्लेबाज बने और उन्होंने स्टंप के पीछे अभी तक अच्छा काम किया है। जब तेज गेंदबाज गेंदबाजी कर रहे होते हैं तो साहा की कीपिंग देखने लायक होती है। स्पिनरों के सामने भी वो काफी अच्छी विकेटकीपिंग करते हैं। अभी तक उनके नाम 56 कैच और 10 स्टंपिंग दर्ज है। साथ ही साहा ने अब तक तीन शतक और पांच अर्धशतक की बदौलत 1112 रन बनाये हैं। पांच गेंदबाज वाली थ्योरी
भारत के पास विरोधियों को एक मैच में दो बार आउट करने की क्षमता है। जब से भारत ने मैच में पांच गेंदबाजी वाली थ्योरी अपनायी है तब से गेंदबाज अधिक ऊर्जावान और ताजा महसूस करते हैं क्योंकि उनमें से प्रत्येक पर वर्कलोड प्रभावी रूप से कम हो गया है। तेज गेंदबाज़ों छोटे स्पेल डालते हैं और अधिक प्रभावी साबित होते हैं। साथ ही यह कप्तान को कई विकल्प भी प्रदान करता है जब साझेदारियां विकसित हो रही होती हैं। आर अश्विन का एक बल्लेबाज के तौर पर विकसित होना भी टीम को आगे ले जाने में मदद करता है। साथ ही यह किसी से छुपा नही है कि कप्तान विराट कोहली टीम में पांच गेंदबाजों को खिलाना ज्यादा पसंद करते हैं। लेखक- संयम यादव अनुवादक- सौम्या तिवारी