भारतीय मध्यक्रम की समस्या को मैं सुलझा सकता हूँ: मनोज तिवारी

भारतीय टीम से काफी समय से बाहर चल रहे मनोज तिवारी ने अपनी वापसी को लेकर बयान दिया है। मनोज ने कहा कि वह भारतीय टीम की मध्यक्रम की समस्या का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि घरेलू क्रिकेट में उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है और उन्हें उम्मीद है कि भारतीय टीम में उनकी वापसी जरुर होगी। हिंदुस्तान टाइम्स को दिए गए इंटरव्यू में तिवारी से जब भारतीय मध्यक्रम के बारे में पूछा गया, तब उन्होंने कहा कि मुझे मौका मिलना चाहिए। तिवारी ने ये भी कहा कि उन्हें समझ नहीं आया कि टीम से आखिर बाहर क्यों किया गया? साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि चयनकर्ता क्या सोचते हैं, ये ज्यादा मायने रखता है। तिवारी के मुताबिक एक खिलाड़ी मैदान पर सिर्फ अच्छा प्रदर्शन करने के बारे में सोच सकता है। 2008 में भारत के लिए एकदिवसीय डेब्यू करने वाले मनोज तिवारी को भविष्य की बड़ी उम्मीद माना जाने लगा था, लेकिन वो अभी तक सिर्फ 12 एकदिवसीय ही खेल पाए हैं। इन मैचों में उन्होंने सिर्फ 26 की औसत से 287 रन बनाये, जिसमें एक शतक शामिल है। तिवारी ने तीन टी20 भी खेले, लेकिन उन्हें सिर्फ एक बार बल्लेबाजी मिली और इसमें उन्होंने 15 रन बनाये। तिवारी ने भारत के लिए अपना आखिरी मैच 2015 में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ खेला था और उसके बाद से टीम से बाहर हैं। हालांकि मनोज तिवारी का घरेलू रिकॉर्ड काफी शानदार रहा है। उन्होंने 95 प्रथम श्रेणी मैचों में 23 शतक और 52 की औसत से 7020 रन और 132 लिस्ट ए मैचों में 4 शतक और 40.23 की औसत से 4345 रन बनाये हैं। आईपीएल के पिछले सीजन में तिवारी राइजिंग पुणे सुपरजायंट की तरफ से खेले थे। 2016-17 सीजन में तिवारी का प्रदर्शन शानदार रहा और उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और विजय हज़ारे ट्रॉफी में बंगाल और ईस्ट ज़ोन की तरफ से बेहतरीन बल्लेबाजी की थी। पिछले हफ्ते ही उन्हें क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बंगाल ने सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर चुना है। अब देखना है कि क्या भारतीय चयनकर्ता मनोज तिवारी को फिर से भारत की तरफ से खेलने का मौका देते हैं या नहीं? वैसे कोई दो राय नहीं है कि मनोज तिवारी मौजूदा समय में घरेलू क्रिकेट के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक हैं, लेकिन उनकी 34 साल की उम्र भारतीय टीम में उनके वापस आने की उम्मीदों को झटका दे सकती है।

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