एक वक्त टीम इंडिया की दीवार के रूप में पहचाने जाने वाले राहुल द्रविड़ ने करियर में कई कीर्तिमान बनाए । वह अपनी शानदार क्रिकेट के अलावा अपनी बेहतरीन छवि के लिए भी पहचाने जाते हैं। उन्होंने एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों और टेस्ट क्रिकेट में दस हजार से ज्यादा रन बनाए हैं। वह पहले सिर्फ भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा थे लेकिन बाद में धीरे-धीरे वनडे टीम में भी अपनी जगह पक्की कर ली थी। हाल ही में उन्होंने ब्रेकफास्ट विद् चैंपियन में इंटरव्यू के दौरान अपने क्रिकेट करियर से जुड़े कई खुलासे किए। आइए जानते हैं वो क्या हैं।
दीवार में आई दरार के दौर से गुजर चुका हूं
राहुल द्रविड़ को अपना उपनाम द वॉल बिल्कुल भी रास नहीं आता है। वो कहते हैं कि मैं अपनी बल्लेबाजी से बहुत प्यार करता था इसलिए सबने 'द वॉल' का नाम दे दिया। यह नाम मुझे इसलिए दिया गया, ताकि मेरी जिंदगी में जब बुरा दौर आए तो मीडिया मेरे लिए एक से बढ़कर एक हेडलाइंस बना सके। हालांकि, इस बुरे दौर से मैं गुजर चुका हूं और ऐसे शीर्षक पढ़ चुका हूं। मैं जब रन नहीं बना रहा था, तब लोग द वॉल को लेकर कई तरह की बातें कर रहे थे।
अच्छे इंसान का ठप्पा लगा दिया गया था
शालीन स्वभाव के धनी कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ के करियर में भी एक मौका ऐसा आया, जब वह बेहद गुस्से में नजर आए थे। 2014 में मुंबई इंडियंस ने राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ स्कोर चेज कर प्ले ऑफ में प्रवेश कर लिया था। इस पर राजस्थान का कोच होने के नाते राहुल द्रविड़ को बहुत गुस्सा आ गया और उन्होंने अपनी टोपी गुस्से में फेंक दी थी। इसके बारे में उन्होंने कहा कि मेरी एक अच्छे इंसान के रूप में छवि बनाने की कोशिश की गई, जो मैं हूं नहीं। मैं रॉकस्टार जैसा बनना नहीं चाहता था। जब आप पर अच्छे इंसान का ठप्पा लगा दिया जाता है और अगर आप एक गलती कर देते हो, तब उसे खूब उजागर किया जाता है। सही मायनों में वीवीएस लक्ष्मण अच्छे इंसान हैं। उन्हें गुड ब्वॉय कहा जाना चाहिए।
कभी अपनी भावनाएं न जाहिर करो
मैं जब अपनी टोपी गुस्से में फेंक रहा था तो मुझे काफी बुरा लग रहा था। क्रिकेट के दौरान ऐसी चीजें होती रहती हैं। ऐसे में आपको अपनी भावनाएं नहीं जाहिर करनी चाहिए। कोच के रूप में मैं नए खिलाड़ियों से कहना चाहूंगा कि वे अपनी भावनाओं को संभालकर रखें क्योंकि गलतियां होना आम बात है। मैं जब गुस्सा था तो मैंने सिर्फ निराशा को बाहर आने दिया। अब मैं गलतियां करता हूं तो मुझे खराब नहीं लगता है।
बेटे को बताया कि मैंने वनडे क्रिकेट में भारत के लिए सबसे तेज अर्धशतक लगाया है
सधी हुई बल्लेबाजी के लिए पहचाने जाने वाले राहुल द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट में अपना सिक्का जमा लिया था लेकिन वह वनडे के लिए उचित नहीं माने जाते थे। हालांकि, एक वक्त बाद वह वनडे टीम का भी प्रमुख हिस्सा बन गए थे। राहुल द्रविड़ कहते हैं कि मैंने पांच चौके और तीन छक्के की मदद से 22 गेंदों पर सबसे तेज अर्धशतक बनाया था। मेरी इस पारी को देखकर बेटा बोलता है कि क्या यह सच है। मैं उसको भरोसा दिलाता हूं कि मैंने ऐसा किया था। मालूम हो कि 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ राहुल द्रविड़ ने अपना आक्रामक रुख दिखाया था। राहुल द्रविड़ ने कहा कि मैं क्रिकेट कहीं से सीखकर नहीं आया था। मैंने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए काफी मेहनत की है। दिन-रात क्रिकेट खेला है। फिर चाहे वो बड़ा मैदान हो या फिर गैराज।
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