भारतीय टीम के तेज गेंदबाज इशांत शर्मा भले ही कम हंसते हुए नजर आते हों लेकिन वो मैदान में चुपके से और बाहर ढेर सारी मस्ती करते रहते हैं। आईपीएल में अच्छी गेंदबाजी कर रहे इस लंबे-चौड़े गेंदबाज की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शुरुआत बहुत कम उम्र में हुई थी। 18 साल की उम्र में 2006-07 में उन्हें पहली बार दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टीम में चुना गया था। उनके जब टीम में सिलेक्ट होने की खबर टीवी पर चल रही थी, तब वह कमरे में आराम से सो रहे थे और दोस्त चीकू (विराट कोहली) उनको लात मारकर उठा रहे थे। यही नहीं, उनका डेब्यू भी जबरदस्त ट्रैजिडी के साथ हुआ है। आइए जानते हैं...।
विराट ने मुझे बहुत लातें मारीं
इशांत शर्मा ने बताया कि रणजी में चीकू और मैं एक ही रूम में रहते थे। सौराष्ट्र के खिलाफ मैच था और मैं थककर कमरे में सो रहा था। तभी विराट कोहली टीवी पर कुछ न्यूज देखने के बाद मुझे पैर मारने लगा और जोर-जोर से चिल्लाकर कहने लगा कि तेरा टीम इंडिया में सिलेक्शन हो गया है। मैं इतना थका था कि मैंने कहा कि सोने दे भाई पर वो उठाकर ही माना। इस तरह मेरे टीम में सिलेक्शन की सबसे पहली खबर उसने ही दी।
जहीर खान के जूते पहनकर खेला था पहला अंतरराष्ट्रीय मैच
जब दक्षिण अफ्रीका दौरे पर गया तो मेरी किट चोरी हो गई। मैंने जैक (जहीर खान) के जूते पहनकर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। जैक और मेरा पांव बराबर है तो उन्होंने मुझे खेलने के लिए अपने जूते दे दिए थे। सही बताऊं तो मैंने असली गेंदबाजी का हुनर जैक से ही सीखा है। मैं आज अच्छी गेंदबाजी सिर्फ उन्हीं की बदौलत कर पा रहा हूं। मैं देखता था कि वो कैसे गेंदबाजी के दौरान फील्डिंग सेट करवाते थे और बल्लेबाज को भांपकर किस तरह गेंदबाजी करते थे।
विराट को पता नहीं गैरी कर्स्टन ने क्या घुट्टी पिला दी
विराट कोहली मुझे अलग-अलग नाम से बुलाता है। वो मुझे लंबे बालों वाले टाइम में सुखबीर कहता था। मुझे तो पहले ही लगता था कि वो कुछ करेगा पर अब उसने खुद को ऐसा ढाल लिया है कि वो अलग ही लेवल पर पहुंच गया है। उसके लिए तो अब क्रिकेट ही सबकुछ है। मैं उससे पूछता भी हूं कि भाई 2011 विश्वकप के बाद तुझे गैरी कर्स्टन ने कौन सी घुट्टी पिला दी है कि तू इतना बदल गया है। तू भाई मुझे भी बता दे।
बुमराह बोलता है कि इंजन गरम हुआ
हम सारे तेज गेंदबाज साथ में खाना खाते हैं। मैं, शमी, भुवी, उमेश सब साथ बैठते हैं पर बूम (बुमराह) थोड़ा अलग रहता है। वो तो किसी को अपने कमरे में भी नहीं आने देता है। मैं मैच में कई बार धीरे गेंद फेंकता हूं तो वो मुझे यह कहकर चिढ़ाता है कि चलो इंजन गरम कर लो। ऑस्ट्रेलिया में दूसरे टेस्ट मैच में बुमराह हर बॉल के बाद मुझे कहता कि तेरी स्पीड बहुत धीमी है। मैं पूरी जान लगाकर गेंद फेंकूं पर वो 130-131 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से ही जाए। गेंद फेंकते वक्त मेरी आवाज निकल आए पर स्पीड न बढ़े। बुमराह मुझसे बार-बार कहे कि क्या इंजन गरम नहीं हुआ। बुमराह जब गेंद फेंकने आया तो मैंने भी कहा तेरी भी स्पीड 140 किमी. प्रति घंटा ही आ रही है। इसके बाद बुमराह को गुस्सा आया और उसने अपना स्कूटर स्टार्ट कर दिया। फिर वो हौंक-हौंक के गेंद फेंकने लगा, तब भी 141 किमी. प्रति घंटा ही स्पीड गई। मैंने भी कह दिया कि रहन दे मैं तेरी उम्र में था तो 150 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद फेंकता था। हालांकि, फिर उसने 150 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद डाल ही दी।
सूरमा भोपाली है अपना शमी
मोहम्मद शमी का बोलने का अंदाज बिल्कुल सूरमा भोपाली जैसा है। कां जा रिये हो, क्या कर रिये हो... ऐसे धीरे-धीरे बोलता है और बहुत आलसी है। शमी को बस पबजी खिलाओ, खाना खिलाओ, गेंदबाजी करवाओ और सुलवाओ। बस उसके पास यही काम है। रिकवरी की बात पर शमी बोलता है कि ब्रेड और रेड मीट खाओ और रिकवरी पाओ। मैं कहता था कि भाई मैं वेजिटेरियन हूं, तो शमी कहता कि इसीलिए तो धीरे पड़ गए हो। मुझे आखिरकार उससे बोलना पड़ता कि भाई तू जा। मुझे अकेला छोड़ दे।
बचपन में तकियों में पैर डालकर उन्हें पैड्स बना लेता था
मुझे नहीं पता था कि मैन ऑफ द मैच बड़ा होता है कि मैन ऑफ द सीरीज। मुझे एक बार मैन ऑफ द सीरीज मिल रही थी मैं बड़ा कंफ्यूज था। मैंने इसके बारे में गैरी कर्स्टन से पूछा भी था कि मैन ऑफ द सीरीज क्या होती है। इसके अलावा, मैं बचपन में क्रिकेट का इतना बड़ा शौकीन था कि तकिए में पैर डालकर उन्हें अपने क्रिकेट पैड्स बना लेता था। मम्मी जब मुझे देखती थीं तो वो जोर से थप्पड़ रख देती थीं। मैं बचपन में तकियों पर अंडरटेकर और हिटमैन लिखकर उन्हें पीटता था। मुझे बचपन में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ का बहुत शौक था।
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