भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) ने कहा कि उन्होंने महसूस किया कि वह वीरेंदर सहवाग (Virender Sehwag) या सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) की तरह कभी भी तेजी से रन नहीं बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपने गेम के बारे में सोचते हुए मैं चिंतित भी हुआ हूँ। इसके बाद मैंने रिफ्रेश होकर खेलना शुरू किया।
ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा के पॉडकास्ट पर द्रविड़ ने कहा कि जैसे-जैसे मेरा करियर आगे बढ़ा, मुझे एहसास हुआ कि मैं कभी भी ऐसा नहीं बनने वाला था जो (वीरेंदर) सहवाग की तरह या शायद सचिन (तेंदुलकर) की तरह तेजी से स्कोर कर रहा हो। मुझे हमेशा धैर्य की जरूरत थी।
उन्होंने कहा कि अगर मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो करियर में ऊर्जा को चैनलाइज करना गेम चेंजर था। अपनी मानसिक ऊर्जा को चैनलाइज करने में मैं सक्षम था। मैं जब नहीं भी खेल रहा होता था तब भी सोचता था और चिंता तथा चिंतन करता था। समय के साथ मैंने सीखा कि जरूरी नहीं कि यह मेरी बल्लेबाजी में मदद कर रहा हो। मुझे तरोताजा होने की जरूरत थी और लगभग क्रिकेट के बाहर एक जीवन खोजने की जरूरत थी।
गौरतलब है कि अपने कमाने में द्रविड़ जब खेलते थे तो उनके खेलने की एक अलग शैली हुआ करती थी। टेस्ट क्रिकेट में वह दीवार की तरह पिच पर टिककर खेलते थे और आउट नहीं होते थे। उनकी तरह खेलने वाला अन्य टेस्ट खिलाड़ी भारतीय टीम में अब तक नहीं आया है। द्रविड़ बड़े से बड़े और तेज गेंदबाजों का सामना बखूबी करते थे और उनको थकाते भी थे।
रवि शास्त्री के बाद टीम इंडिया के हेड कोच की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली है। टीम इंडिया इस समय वेस्टइंडीज दौरे पर है। द्रविड़ और टीम इंडिया की असली परीक्षा इस साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप में होने वाली है।