विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक ने निदहास ट्रॉफी के फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ चौके-छक्कों की बारिश करते हुए भारतीय टीम को शानदार जीत दिला दी। कार्तिक ने 8 गेंदों पर 29 रन बनाए और जब जीत के लिए एक गेंद पर 5 रन चाहिए थे तो उन्होंने छक्का जड़कर टीम को रोमांचक जीत दिला दी। इस जीत के बाद भारतीय फैंस और खिलाड़ियों के साथ-साथ दिनेश कार्तिक भी काफी खुश नजर आए। हालांकि इस तरह के मौके पर ऐसी पारी खेलना कतई आसान नहीं होता है और अब दिनेश कार्तिक ने बताया है कि उस वक्त उनके दिमाग में क्या चल रहा था। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्स्प्रेस से बातचीत में कार्तिक ने कहा कि उस हालात में वो हर गेंद को सीमा रेखा के पार भेजना चाहते थे क्योंकि टीम की जरुरत यही थी। बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर आने से पहले मैं डग आउट में फील्डिंग कोच आर श्रीधर के साथ बैठा था और वो कह रहे थे कि हमें एक या दो बड़े ओवर की जरुरत है। जिस समय मैं बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर उतरा उस समय दो ही ओवर बचे थे और 34 रन चाहिए थे। इसलिए उस वक्त के हिसाब से हर गेंद को सीमा रेखा के पार भेजना जरुरी था। कार्तिक ने कहा कि मैंने विजय शंकर से भी बाउंड्री लगाने को कहा। मैंने उससे छक्का लगाने की बजाय चौका मारने की कोशिश करने को कहा। उस समय मेरा मानना ये था कि अगर वो हिट करने की कोशिश करता है तो उसे रन मिलेंगे और 20वें ओवर में उसने एक अहम चौका लगाया। कार्तिक से जब पूछा गया कि आखिरी गेंद से पहले उनके दिमाग में क्या चल रहा था तो उन्होंने कहा कि वो बस छक्का लगाने की सोच रहे थे क्योंकि इसके सिवा और कोई चारा नहीं था। कार्तिक ने कहा कि मैं बस यही उम्मीद कर रहा था कि सौम्य सरकार आखिरी गेंद यॉर्कर फेंकने की कोशिश करें और वो मिस हो जाए। इस तरह के हालात में एक गेंदबाज ज्यादातर यॉर्कर गेंदों पर ही भरोसा करता है। आखिरी गेंद की सबसे अच्छी बात ये थी कि गेंदबाज ने वो गेंद थोड़ा वाइड फेंक दी जिससे मुझे हाथ चलाने का पूरा मौका मिल गया और मैंने अपनी पूरी ताकत उस पर झोंक दी। ये काफी खास पल था। जीत के बाद टीम का मैदान पर आना और सेलिब्रेशन करना काफी खास था।