पहले ही मैच में भारतीय टीम से बुरी तरह से हारने के बाद पाकिस्तानी टीम को एक आक्रामक सलामी बल्लेबाज की जरुरत थी। अहमद शहजाद पारी की उतनी तेजी से शुरुआत नहीं दे पा रहे थे। दूसरे छोर पर अजहर अली जमने के लिए थोड़ा टाइम लेते थे। यही वजह थी कि रन गति बनाए रखने के लिए एक अटैकिंग बैट्समैन की जरुरत थी। फखर जमान ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया। उन्होंने ना केवल रन बनाए बल्कि उनकी स्ट्राइक रेट भी अच्छी रही। जो इंसान 10 साल पहले नेवी में था उसने पूरे टूर्नामेंट में एक मिशन की तरह बल्लेबाजी की। उन्होंने 4 मैचो में 63 की शानदार औसत से 252 रन बनाए। फाइनल मुकाबले में चिर प्रतिद्वंदी भारत के खिलाफ उनकी बेखौफ शतकीय पारी हमेशा याद रखी जाएगी। शायद यही वजह रही पाकिस्तानी टीम ने भारतीय टीम के खिलाफ वो प्रदर्शन किया जो आईसीसी टूर्नामेंट वो कर नहीं पा रही थी।