चैंपियंस ट्रॉफी का आठवां संस्करण समाप्त हो चुका है, भारत को फाइनल में हराकर पाकिस्तान ने ख़िताब पर कब्जा किया है। कुल मिलाकर पूरा टूर्नामेंट क्रिकेट के दीवानों के लिए यादगार बन गया है। जिसमें तमीम इक़बाल के शतक और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेन स्टोक्स का काउंटर अटैक कौन भूल सकता है। युवराज सिंह ने पहले मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ अर्धशतक बनाकर टीम शानदार जीत दिलाई, तो वहीं शाकिब और महम्मुदुल्लाह मैच जिताऊ साझेदारी और शतकीय पारी खेलकर इस टूर्नामेंट को रोचक बना दिया। दुनिया भर में क्रिकेट के दीवानों ने इन चैंपियनों के प्रदर्शन की तारीफ़ की। लेकिन अगर हम टूर्नामेंट पर एक सरसरी निगाह डालें, तो हमें कई चैंपियन खिलाड़ियों की कमी महसूस हुई है। राशिद खान क्रिकेट के डाईहार्ट फैन्स ने चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े प्लेटफार्म में 17 वर्षीय युवा राशिद खान की कम इस टूर्नामेंट में जरूर खली होगी। राशिद अगर होते तो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्पिनर और बल्लेबाज़ के बीच होने वाली टक्कर का मजा ही कुछ और होता। चैंपियंस ट्रॉफी में गेंदबाजों का जलवा उतना नहीं रहा है, जिसकी उम्मीद थी। ऐसे में रहस्यमयी स्पिनर राशिद खान बल्लेबाजों के सामने कठिन चुनौती पेश करते। उनके अंदर विकेट लेने की जबरदस्त क्षमता है। जो उन्हें चैंपियन गेंदबाज़ बनाती है। क्रिस गेल चैंपियंस ट्रॉफी में क्रिकेटप्रेमियों को इस बार सबसे ज्यादा कमी वेस्टइंडीज टीम की खली। विंडीज टीम का प्रदर्शन इस टूर्नामेंट में हमेशा अच्छा रहा है। कैरेबियाई टीम ने साल 2004 में खिताबी जीत की थी, तो 1998 और 2006 टीम उपविजेता रही थी। विंडीज टीम दुनिया भर की टीमों से हमेशा अलग रही है, कैरेबियाई टीम के खिलाड़ियों का खेलने का ढंग सबसे अलग है। ये दर्शकों का बहुत मनोरंजन करते हैं, खासकर क्रिस गेल। क्रिस गेल न सिर्फ विस्फोटक बल्लेबाज़ हैं, बल्कि वह इस टूर्नामेंट में पहले सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ भी रह चुके हैं। गेल बल्लेबाज़ी के अनुरूप वाली परिस्थितियों में कमाल की बल्लेबाज़ी करते हैं। हालाँकि गेल मौजूदा वेस्टइंडीज में बोर्ड से तनातनी की वजह से नहीं खेल रहे हैं। जिसकी वजह से विश्व क्रिकेट में गेल हर अंतर्राष्ट्रीय मैच के बाद उनका उपयोग नहीं कर पा रहा है। सुनील नरेन वेस्टइंडीज के एक और खिलाड़ी इस लिस्ट में शामिल हैं, सुनील नरेन निसंदेह दुनिया के बेहतरीन स्पिनरों में से एक हैं। जिनकी कमी चैंपियंस ट्रॉफी खली क्योंकि उनके और विश्वस्तरीय बल्लेबाजों के बीच उम्दा संघर्ष देखने को मिलता। खासतौर पर क्रिकेट फैन्स हमेशा एक विश्वस्तरीय बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ के बीच संघर्ष देखना पसंद करते रहे हैं। ऐसे में नरेन का इस चैंपियंस ट्रॉफी में लोगों को कमी महसूस हुई है। इसके अलावा नरेन अभी मात्र 65 वनडे मुकाबले ही खेले हैं, इसके पीछे की वजह अच्छी नहीं रही है। डेल स्टेन दक्षिण अफ्रीका और न्यूज़ीलैंड के बीच साल 2015 के विश्वकप फाइनल में डेल स्टेन खेले थे, उसके बाद वह वनडे क्रिकेट में उतने सक्रिय नहीं रहे हैं। हालाँकि ये तेज गेंदबाज़ मिले मौकों पर अपने नाम के मुताबिक प्रदर्शन भी नहीं किया है। जिसकी वजह से वह टीम से बाहर हो गये हैं। इसके बावजूद इस टूर्नामेंट में तेज गेंदबाजों के सामने अनुरूप विकेटों पर स्विंग न करा पाने की वजह से क्रिकेटप्रेमियों को बरबस स्टेन की याद आती रही है। डेल स्टेन ने बड़े टूर्नामेंट में हमेशा अपनी छाप छोड़ी है। यहाँ तक कि विपक्षी टीम को मैदान में उतरते वक्त स्टेन के लिए खास प्लान बनाना पड़ता रहा है। लम्बे के कद के डेल का रनअप भी काफी लम्बा रहा है। जिससे उनकी डरावनी गेंदें औसतन बल्लेबाजों पर भारी पड़ती रही हैं। मोहम्मद नबी अफगानिस्तान क्रिकेट में नबी का नाम मौजूदा समय में सबसे ऊपर रहा है। ऑफ़ स्पिन ऑलराउंडर नबी भी अगर चैंपियंस ट्रॉफी में होते तो उनके प्रदर्शन से खेल में अंतर जरूर पैदा होता। मोहम्मद नबी ने बहुत कम समय में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से विश्व क्रिकेट पर अपनी छाप छोड़ी है। नबी उन चुनिन्दा खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्होंने अफगान क्रिकेट को कम समय में विश्व क्रिकेट में एक ख़ास पहचान दिलाई है। ऐसे में बड़े टूर्नामेंट में इस चैंपियन खिलाड़ी को खेलता हुआ आज का दर्शक वर्ग चाहता है।