ICC चैंपियंस ट्रॉफी 2017: इन 5 वजहों से एशियन टीमें चैंपियंस ट्रॉफी में सफल रहीं

चैंपयिंस ट्रॉफी 2017 खत्म हो चुका है। सबको चौंकाते हुए पाकिस्तान की टीम ने फाइनल में भारत को हराकर खिताब पर कब्जा जमाया। टूर्नामेंट में दुनिया की 8 वनडे टीमों ने हिस्सा लिया। पाकिस्तान रैंकिंग में 8वें पायदान पर थी लेकिन टूर्नामेंट में रैंकिंग मायने नहीं रखती। आपकी जीत इस बात पर निर्भर करती है कि उस दिन आपने कैसा खेला। इस बार के चैंपियंस ट्रॉफी की सबसे खास बात ये रही कि सेमीफाइनल में एशिया की 3 टीमें जगह बनाने में कामयाब रहीं। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश, चौथी टीम मेजबान इंग्लैंड रही। हालांकि सेमीफाइनल में पाकिस्तान के हाथों हारकर इंग्लैंड टूर्नामेंट से बाहर हो गई। तीनों ही एशियन टीमों ने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। टूर्नामेंट शुरु होने से पहले एशियन टीमो में सिर्फ इंडियन टीम को ही टॉप 4 के लिए फेवरिट माना जा रहा था। लेकिन श्रीलंका को छोड़कर बाकी एशियन टीमो ने शानदार खेल दिखाया और पाकिस्तान ने खिताब भी जीत लिया। आइए जानते हैं क्यों एशियन टीमें चैंपियंस ट्रॉफी में सफल रहीं ? 5. सीमित ओवरों के खेल का अच्छा-खासा अनुभव एशिया में ज्यादातर वनडे या टी-20 मैचों को तरजीह दिया जाता है और इससे रेवेन्यू भी अच्छा-खासा आता है। यही वजह है कि सीमित ओवरों के खेल एशियन टीमें ज्यादा खेलती हैं। बांग्लादेश और श्रीलंका की टीमें वनडे मैच ज्यादातर इसलिए कराती हैं ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा मैच देखने स्टेडियम आएं। पाकिस्तान की टीम सुरक्षा कारणों से अपने घरेलू मैदान पर नहीं खेलती है और उसका न्यूट्रल वेन्यू अभी दुबई है। वहां पर भी टेस्ट मैचो में स्टैंड खाली रहते हैं लेकिन वनडे मैचो में दर्शक स्टेडियम आते हैं। ज्यादा वनडे खेलने की वजह से एशियन टीमो को दबाव में अच्छी तरह से खेलना आता है। यही वजह रही कि वो टूर्नामेंट में इतने सफल रहे। 4. युवा टैलेंट की भरमार kusal-1497268023-800 एक जमाना था जब क्रिकेटिंग शॉट लगाने पर ही बल्लेबाज सफल होता था और जो प्लेयर क्लासिकल शॉट खेलते थे उनकी काफी तारीफ होती थी। लेकिन अब खेल बदल गया है। टी-20 की वजह से नए युवा प्लेयरों ने क्रिकेटिंग बुक से हटकर कुछ नए शॉट भी इजाद किए। युवा प्लेयर किसी भी बात की परवाह नहीं करते और बिना किसी डर के क्रिकेट खेलते हैं। यही वजह है कि उन्हे रोकना आसान नहीं होता। एशिया में इन युवा प्लेयरों को खुलकर खेलने की छूट मिलती है जिसका वे पूरा फायदा उठाते हैं। इंग्लैंड की टीम ने भी 2015 वर्ल्ड कप के बाद अपनी टीम में काफी बदलाव किया और युवा खिलाड़ियों को मौका दिया। इसकी वजह से उनकी टीम पिछले कुछ समय से काफी अच्छा क्रिकेट खेलने लगी और एशियन टीमों के साथ वे भी सेमीफाइनल तक पहुंचे। 3. बेहतरीन गेंदबाजी अटैक fizz-1497268197-800 एक जमाना था जब बल्ले काफी चौड़े होते थे और बाउंड्रीज काफी छोटी होती थी। तब आर्थोडॉक्स बॉलिंग अटैक असरदार नहीं रहती थी। बल्लेबाजों को आउट करना मुश्किल होता था। हालांकि अब गेंदबाज कई तरह की गेंदबाजी करते हैं। खासकर अगर एशियन टीमों के गेंदबाजों को देखें तो उनके अंदर काफी विविधता है। शुरुआत में किस तरह से गेंदबाजी की जाए और डेथ ओवरो में रनों पर लगाम कैसे लगाया जाए ये उनको अच्छी तरह पता है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की टीमें उस तरह से गेंदबाजी नहीं कर पाई जिसके लिए वो जानी जाती थी। नतीजा वो टूर्नामेंट के लीग राउंड से ही बाहर हो गए। 2. इंग्लिश कंडीशन उस तरह नहीं रहे vksd-1497268400-800 जी हां इस बार इंग्लैंड में नई सफेद गेंद ने स्विंग नहीं किया। इस बार गेंद टप्पा पड़ने के बाद सीधा निकली। इसका मतलब इंग्लैंड में पिचें अब उस तरह से नहीं रहीं। एशियन और अन्य टीमों की सफलता में ये भी एक मुख्य वजह रही। इतिहास उठाकर अगर देखें तो पता चलता है कि नई गेंद के स्विंग से एशियन बल्लेबाजों को काफी ज्यादा दिक्कत होती रही है। लेकिन इस टूर्नामेंट में गेंद स्विंग नहीं होने की वजह से एशिया के बल्लेबाजों को खेलने में ज्यादा आसानी हुई। अगर टॉप टीमों को देखें तो उनके ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों ने नई गेंद को काफी अच्छे से खेला। जिसकी वजह से उनको रन बनाने में आसानी हुई। 1.खुद को ढालने की क्षमता और आत्मविश्वास bangla-1497268508-800 जैसा कि पहले हम बता चुके हैं कि टूर्नामेंट से पहले केवल भारतीय टीम को ही एशियन टीमो में फेवरिट माना जा रहा था। बांग्लादेश और श्रीलंका को किसी ने फेवरिट नहीं माना। पाकिस्तान को बेनिफिट ऑफ डाउट का फायदा मिल देना होगा क्योंकि सभी को पता है कि पाकिस्तान अपना दिन होने पर दुनिया की किसी भी टीम को अपसेट कर सकती है। पाकिस्तानी टीम हमेशा से ही अनप्रेडिक्टेबेल रही है। बांग्लादेश की अगर बात करें तो उन्होंने अपने खेल को काफी सुधारा है और इस टूर्नामेंट में उनके खेल में इस बात की झलक भी दिखी। न्यूजीलैंड के खिलाफ लीग मैच में बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए 33 रनों पर 4 विकेट गंवाने के बावजूद उन्होंने लक्ष्य हासिल कर लिया। मतलब बांग्लादेश की टीम में आत्मविश्वास की कोई कमी नही थी। उनके अनुभवी खिलाड़ियों ने शानदार खेल दिखाया। परिस्थितियों के हिसाब से उन्होंने काफी अच्छा खेल दिखाया। बांग्लादेश के खिलाड़ियो में अब वो आत्मविश्वास आने लगा है कि वो किसी भी मैच को मुश्किल परिस्थिति में भी जीत सकते हैं। यही वजह रही कि उनकी टीम न्यूजीलैंड को हराकर अंतिम 4 में पहुंची। लेखक- मनीष पाठक अनुवादक- सावन गुप्ता

Edited by Staff Editor
App download animated image Get the free App now