18 जून को चैंपियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में पाकिस्तान से मिली हार की टीस अभी टीम इंडिया के फ़ैन्स के दिल से कम भी नहीं हुई थी, कि बस दो दिन बाद 20 जून को कोच के पद से अनिल कुंबले के इस्तीफ़े ने एक और झटका दे दिया। हालांकि ये तय था क्योंकि 20 जून को अनिल कुंबले का बतौर कोच कार्यकाल ख़त्म हो रहा था। लेकिन बीसीसीआई की ओर से वेस्टइंडीज़ दौरे तक उन्हें कोच पद पर बने रहने की गुज़ारिश ने उम्मीद भी बांध रखी थी। भारत के लिए टेस्ट इतिहास में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ अनिल कुंबले ने इस गुज़ारिश को स्वीकार नहीं किया और इस्तीफ़ा दे दिया। इससे पहले ही कप्तान विराट कोहली और कुंबले के बीच विवादों की ख़बरें छाई हुईं थी। हालांकि चैंपियंस ट्रॉफ़ी में टीम इंडिया के शानदार प्रदर्शन और कोहली के बयान के बाद लगा कि ये बस अफ़वाह ही थी। पर इस विवाद ने कुंबले के इस्तीफ़े के बाद सोशल मीडिया पर शोले की शक़्ल अख़्तियार कर ली थी, हर तरफ़ से इसे कोहली से जोड़कर देखा जाने लगा। एक बार फिर हमें लगा कि ये सिर्फ़ अफ़वाह ही होगी और कुंबले ख़ुद मीडिया के सामने आकर इसे ख़त्म कर देंगे और बेबुनियाद करार देंगे। लेकिन कुंबले तो नहीं पर उनका मैसेज सभी के सामने आया और वह किसी बॉम्ब से कम नहीं है, जिसने टीम इंडिया और क्रिकेट फ़ैन्स को झकझोड़ कर रख दिया। कुंबले ने कोच पद छोड़ने के बाद बीसीसीआई और टीम इंडिया का शुक्रिया तो अदा किया लेकिन साथ ही साथ कोहली और उनके बीच विवाद को सिर्फ़ हवा नहीं दे दी बल्कि साफ़ अलफ़ाज़ों में कह दिया कि मेरा कोच रहना कोहली को पसंद नहीं था। कुंबले के लिखे पत्र की मुख्य पंक्ति जो कोहली के लिए है वह ये है, ‘’मुझे बीसीसीआई से पता चला कि कोहली मेरे काम करने के तरीक़े से ख़ुश नहीं हैं, लिहाज़ा इस माहौल में काम करना मेरे लिए मुमकिन नहीं।‘’ मतलब साफ़ है कि कुंबले का काम करने का तरीक़ा कोहली को पसंद नहीं था, लेकिन आख़िर ऐसा क्या कर दिया कुंबले ने कि कोहली को इतना नागवार गुज़रा। हमें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार ये कुछ ऐसे प्वाइंट्स हैं जो कोहली को पसंद नहीं आए और उन्हें लगा कि उनका इगो क्लैश हो रहा है। #1 धर्मशाला टेस्ट में कोहली चाहते थे अमित मिश्रा को खिलाना, लेकिन कुंबले ने कुलदीप यादव को दिया मौक़ा। #2 कुंबले खिलाड़ियों को अनुशासन में रहने की हमेशा देते थे नसीहत। #3 कुंबले ने फ़िट्नेस साबित करने के लिए खिलाड़ियों को बिना घरेलू क्रिकेट खेले हुए टीम में वापसी करने से मना कर दिया था। #4 कोहली बीसीसीआई के वार्षिक कॉन्ट्रैक्ट में महेंद्र सिंह धोनी को ग्रेड ए में नहीं रखना चाहते थे, लेकिन कुंबले ने उन्हें बरक़रार रखा। #5 कोहली शुरू से ही कुंबले को बतौर कोच नहीं चाहते थे, उनकी पहली पसंद थे रवि शास्त्री। पहले चार प्वाइंट्स ये दर्शाते हैं कि किस तरह कोहली को कुंबले का रवैया पसंद नहीं था और आख़िरी यानी पांचवें प्वाइंट से ये पता चलता है कि कोहली ने कुंबले के लिए पहले से ही अपनी सोच बना रखी थी क्योंकि वह उनकी स्कीम ऑफ़ थिंग्स में शास्त्री की तरह शायद फ़िट नहीं थे। टीम इंडिया के लिए कप्तान और कोच के बीच विवाद कोई नया नहीं है, ग्रेग चैपल और सौरव गांगुली का क़िस्सा तो ऐसा है कि अगर बॉलीवुड में उस पर फ़िल्म बने तो बाहुबली और दंगल की तरह 1000 करोड़ क्लब में शामिल हो जाए। दाग़ तो जॉन राइट और वीरेंदर सहवाग के बीच भी नज़र आया था लेकिन वह इतना नहीं दिखा कि गंदा लग सके। पर इस बार तस्वीर इसलिए अलग है क्योंकि कोच विदेशी नहीं बल्कि भारतीय ही हैं, वह भी ऐसे जो क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल और बड़े गेंदबाज़ के साथ साथ शानदार कप्तान भी रह चुके हैं। तस्वीर का एक पहलू तो देखकर ऐसा ही प्रतीत होता है कि कप्तान कोहली क़सूरवार हैं। लेकिन क्या हम और आप ये बातें तब कर सकते थे जब कुंबले ने पत्र नहीं लिखा होता, जवाब न में ही आएगा। यानी अगर कोहली क़सूरवार हैं और उनका इगो इतना ज़्यादा है कि कोच की दख़लअंदाज़ी उन्हें पसंद नहीं, तो ग़लती कोच साहब से भी हो गई। अगर अनिल कुंबले ने चिट्ठी के ज़रिए कप्तान और अपने बीच की तनातनी की बात न बताई होती तो शायद ही आज हर किसी को इस बात का इल्म होता और टीम इंडिया इस संकट के दौर से न गुज़र रही होती। ऐसी कोई बात नहीं और ऐसा कोई मतभेद नहीं होता जो बैठ कर सुलझाया न जा सके, तो फिर कुंबले अपने जज़्बात पर क़ाबू क्यों नहीं रख पाए ? राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और महेंद्र सिंह धोनी के अचानक टेस्ट से संन्यास लेने के पीछे भी कुछ कारण हो सकते हैं लेकिन इन दिग्गजों ने कभी भी इस बात का ज़िक्र नहीं किया। हालांकि, हर कोई न कुंबले हो सकते हैं और न ही धोनी या द्रविड़। लेग स्पिन के बीच में तेज़ी से सीधी फ़्लिपर डालते हुए सैंकड़ो विकेट लेने वाले कुंबले का स्वभाव भी फ़्लिपर की ही तरह है यानी वह हमेशा साफ़ और सीधी बात के लिए जाने जाते हैं। और यही वजह है कि इस बार भी जैसे ही उन्हें कोहली के रवैये की भनक लगी उनके साथ और कोच पद पर रहना मुनासिब नहीं समझा और सीधी बात करने वाले कुंबले ने फोड़ डाला लेटर बॉम्ब। इसमें कोई शक नहीं है कि कुंबले की ये बात उनकी गेंदो की ही तरह सटीक और सीधे निशाने पर है। लेकिन इसका परिणाम भारतीय क्रिकेट के लिए कम से कम मौजूदा वक़्त में तो मुश्किलों से भरा दिख रहा है। कुंबले के इस ख़ुलासे के बाद टीम इंडिया और कप्तान कोहली के लिए आने वाला समय बेहद कठिन है। पाकिस्तान से फ़ाइनल में मिली हार से अभी कोहली एंड कंपनी के ऊपर दोबारा जीत की पटरी पर लौटने का दबाव भी है। और इस बीच इस घटना ने उनपर एक सवालिया निशान भी लगा दिए हैं। #1 क्या कोहली को किसी कोच की दख़लअंदाज़ी पसंद नहीं ? #2 नए कोच के साथ भी कोहली का रवैया ऐसा ही रहेगा ? #3 टीम इंडिया के अगले कोच पर पहले से ही कोहली के साथ मिलकर काम करने का दबाव रहेगा ? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो विराट कोहली के साथ साथ टीम इंडिया के नए कोच के ज़ेहन में भी चल रहे होंगे। जो न तो भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा है और न ही किसी भी कोच या कप्तान के लिए। शायद यही वजह है कि महेंद्र सिंह धोनी को कैप्टेन कूल और अब तक का सबसे सफल कप्तान माना जाता है, क्योंकि 10 साल की कप्तानी के दौरान धोनी की किसी भी कोच के साथ कोई मतभेद की ख़बर नहीं आई थी। धोनी और गैरी कर्स्टन की दोस्ती की तो आज भी मिसाल दी जाती है, साथ ही आईपीएल में धोनी और चेन्नई सुपर किंग्स के कोच स्टीफ़ेन फ़्लेमिंग की भी जोड़ी किसी से छिपी नहीं है। बहरहाल, कोहली को जिस तरह एक योद्धा के तौर पर जाना जाता है और जिस तरह उन्होंने ख़ुद को बदलते हुए और मेहनत करते हुए अपनी क्रिकेट और बल्लेबाज़ी को बुलंदियों पर ले गए हैं। ठीक उसी तरह वह इन मुश्किलों से भी सबक़ लेते हुए एक अच्छे कप्तान के साथ साथ अपने इगो को भी ख़त्म कर एक अच्छे इंसान बनते हुए भारतीय क्रिकेट को भी सुनहरे भविष्य की ओर ले जाएंगे। लेकिन इन सब के बीच हमने जो खोया वह है अनिल कुंबले जैसा हार न मानने वाला खिलाड़ी, जिसने एक साल के छोटे से वक़्त में भारत को टेस्ट से लेकर वनडे तक में कई यादगार जीत दिलाई। कुंबले और कोहली का ये सफ़र अगर लंबा चलता रहता तो ज़रा सोचिए टीम इंडिया की रफ़्तार आज कितनी तेज़ होती और मंज़िल कितने पास।