चैंपियंस ट्रॉफ़ी में हार और अब कुंबले का इस्तीफ़ा, कोहली के लिए मुश्किल घड़ी !

#1 धर्मशाला टेस्ट में कोहली चाहते थे अमित मिश्रा को खिलाना, लेकिन कुंबले ने कुलदीप यादव को दिया मौक़ा।
#2 कुंबले खिलाड़ियों को अनुशासन में रहने की हमेशा देते थे नसीहत। #3 कुंबले ने फ़िट्नेस साबित करने के लिए खिलाड़ियों को बिना घरेलू क्रिकेट खेले हुए टीम में वापसी करने से मना कर दिया था। #4 कोहली बीसीसीआई के वार्षिक कॉन्ट्रैक्ट में महेंद्र सिंह धोनी को ग्रेड ए में नहीं रखना चाहते थे, लेकिन कुंबले ने उन्हें बरक़रार रखा। #5 कोहली शुरू से ही कुंबले को बतौर कोच नहीं चाहते थे, उनकी पहली पसंद थे रवि शास्त्री। team-india-s-practice-session_70832dd4-ca7f-11e6-9f83-7f3d2f12db63-1498026485-800

पहले चार प्वाइंट्स ये दर्शाते हैं कि किस तरह कोहली को कुंबले का रवैया पसंद नहीं था और आख़िरी यानी पांचवें प्वाइंट से ये पता चलता है कि कोहली ने कुंबले के लिए पहले से ही अपनी सोच बना रखी थी क्योंकि वह उनकी स्कीम ऑफ़ थिंग्स में शास्त्री की तरह शायद फ़िट नहीं थे। टीम इंडिया के लिए कप्तान और कोच के बीच विवाद कोई नया नहीं है, ग्रेग चैपल और सौरव गांगुली का क़िस्सा तो ऐसा है कि अगर बॉलीवुड में उस पर फ़िल्म बने तो बाहुबली और दंगल की तरह 1000 करोड़ क्लब में शामिल हो जाए। दाग़ तो जॉन राइट और वीरेंदर सहवाग के बीच भी नज़र आया था लेकिन वह इतना नहीं दिखा कि गंदा लग सके। पर इस बार तस्वीर इसलिए अलग है क्योंकि कोच विदेशी नहीं बल्कि भारतीय ही हैं, वह भी ऐसे जो क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल और बड़े गेंदबाज़ के साथ साथ शानदार कप्तान भी रह चुके हैं। तस्वीर का एक पहलू तो देखकर ऐसा ही प्रतीत होता है कि कप्तान कोहली क़सूरवार हैं। लेकिन क्या हम और आप ये बातें तब कर सकते थे जब कुंबले ने पत्र नहीं लिखा होता, जवाब न में ही आएगा। यानी अगर कोहली क़सूरवार हैं और उनका इगो इतना ज़्यादा है कि कोच की दख़लअंदाज़ी उन्हें पसंद नहीं, तो ग़लती कोच साहब से भी हो गई। अगर अनिल कुंबले ने चिट्ठी के ज़रिए कप्तान और अपने बीच की तनातनी की बात न बताई होती तो शायद ही आज हर किसी को इस बात का इल्म होता और टीम इंडिया इस संकट के दौर से न गुज़र रही होती। ऐसी कोई बात नहीं और ऐसा कोई मतभेद नहीं होता जो बैठ कर सुलझाया न जा सके, तो फिर कुंबले अपने जज़्बात पर क़ाबू क्यों नहीं रख पाए ? राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और महेंद्र सिंह धोनी के अचानक टेस्ट से संन्यास लेने के पीछे भी कुछ कारण हो सकते हैं लेकिन इन दिग्गजों ने कभी भी इस बात का ज़िक्र नहीं किया। हालांकि, हर कोई न कुंबले हो सकते हैं और न ही धोनी या द्रविड़। लेग स्पिन के बीच में तेज़ी से सीधी फ़्लिपर डालते हुए सैंकड़ो विकेट लेने वाले कुंबले का स्वभाव भी फ़्लिपर की ही तरह है यानी वह हमेशा साफ़ और सीधी बात के लिए जाने जाते हैं। और यही वजह है कि इस बार भी जैसे ही उन्हें कोहली के रवैये की भनक लगी उनके साथ और कोच पद पर रहना मुनासिब नहीं समझा और सीधी बात करने वाले कुंबले ने फोड़ डाला लेटर बॉम्ब। इसमें कोई शक नहीं है कि कुंबले की ये बात उनकी गेंदो की ही तरह सटीक और सीधे निशाने पर है। लेकिन इसका परिणाम भारतीय क्रिकेट के लिए कम से कम मौजूदा वक़्त में तो मुश्किलों से भरा दिख रहा है। कुंबले के इस ख़ुलासे के बाद टीम इंडिया और कप्तान कोहली के लिए आने वाला समय बेहद कठिन है। पाकिस्तान से फ़ाइनल में मिली हार से अभी कोहली एंड कंपनी के ऊपर दोबारा जीत की पटरी पर लौटने का दबाव भी है। और इस बीच इस घटना ने उनपर एक सवालिया निशान भी लगा दिए हैं।