चैंपियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में भारत को 180 रनों से हराकर पाकिस्तान ने पहली बार ICC चैंपियंस ट्रॉफ़ी पर कब्ज़ा जमा लिया। पाकिस्तान की ये जीत उनके साथ साथ क्रिकेट के लिए भी शानदार है। तो वहीं टूर्नामेंट की सबसे बड़ी दावेदार और चैंपियंस ट्रॉफ़ी के ख़िताब को पहली बार रक्षा करने के बेहद क़रीब पहुंचने वाली टीम इंडिया की इस हार ने सभी को हैरान भी कर दिया। फ़ाइनल में नंबर-8 रैंकिंग की टीम पाकिस्तान के हाथों कोहली एंड कपंनी को मिली इस हार के बाद पूरा देश सन्न है। हालांकि, टीम इंडिया ने पूरे चैंपियंस ट्रॉफ़ी में कमाल का प्रदर्शन किया बस आख़िरी पड़ाव पार करने में चूक गई। आख़िर इस चूक की वजह क्या थी ? अचानक ऐसा क्या हो गया कि पाकिस्तान के सामने भारत पस्त पड़ गया ? टीम इंडिया की हार के पांच बड़े कारण आपके सामने रख रहे हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि पाकिस्तान से उनकी जीत का श्रेय छीना जाए। उन्होंने अच्छी क्रिकेट खेलते हुए न सिर्फ़ चैंपियंस ट्रॉफ़ी जीती है बल्कि दिल भी जीत गए सरफ़राज़ और उनके साथी। #1 टॉस हारकर पहले गेंदबाज़ी करना पड़ गया भारी विराट कोहली को रनों का पीछा करना पसंद है और इसमें वह सफल भी रहे हैं। लेकिन कल परिस्थितियां अलग थीं, एक तो क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट और दूसरा सामने पाकिस्तान जिनके गेंदबाज़ हैं उनकी ताक़त। कोहली का टॉस जीतकर पाकिस्तान को बल्लेबाज़ी का आमंत्रण देना, भारत पर भारी पड़ गया। बड़े मैच में रनों का पीछा करना बल्लेबाज़ी करने वाली टीम पर दबाव बनाता है। और वही हुआ भी 338 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर भारतीय बल्लेबाज़ों पर दबाव बनकर ऐसा टूटा कि टीम इंडिया 200 का आंकड़ा भी नहीं छू पाई। पाकिस्तान के लिए टॉस हारना वरदान साबित हुआ क्योंकि उन्हें चेज़ के मामले में फिसड्डी ही माना जाता है, अगर एक बार 280 से ऊपर का लक्ष्य उन्हें मिल जाए तो वह उसमें बिखर जाती हैं। अगर भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी की होती तो शायद तस्वीर कुछ और होती। #2 जसप्रीत बुमराह की ‘नो बॉल’ ने लगाई पाकिस्तान की नैया पार पहले गेंदबाज़ी करते हुए कोहली एंड कंपनी की नज़र थी एक शानदार शुरुआत पर, जो जसप्रीत बुमराह ने दिलाई भी थी लेकिन जिस गेंद पर फ़ख़र ज़मान का कैच विकेट के पीछे लपका गया वह नो बॉल निकल गई। ये पहला मौक़ा नहीं था जब बुमराह ने इस तरह की ग़लती की हो, वर्ल्ड टी20 2016 के सेमीफ़ाइनल में भी बुमराह ने यही किया था और तब लेंडल सिमंस ने मैच भारत के हाथ से छीन लिया था। इस मैच में फ़ख़र ज़मान सिर्फ़ 3 रन पर थे जब उन्हें इस तरह जीवनदान मिला और फिर उन्होंने इसका फ़ायदा उठाते हुए 114 रन बना डाला और पाकिस्तान की नैया पार लगा दी। #3 अश्विन को प्लेइंग-XI में रखना हुई ग़लती भारत ने लीग मैच में जब पाकिस्तान को शिकस्त दी थी तो उस मैच में तेज़ गेंदबाज़ उमेश यादव ने शानदार गेंदबाज़ी की थी। लेकिन अगले मैच में श्रीलंका से मिली हार के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और प्रोटियाज़ के ख़िलाफ़ ऑफ़ स्पिनर आर अश्विन को प्लेइंग-XI में शामिल किया गया जिसके बाद से उन्होंने लगातार मैच खेले। पर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ उन्हें टीम में रखना सही फ़ैसला इसलिए नहीं कहा जा सकता। क्योंकि एक तो पाकिस्तानी बल्लेबाज़ स्पिन को अच्छा खेलने के लिए जाने जाते हैं और दूसरा ये कि भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर ख़ास तौर से सीमित ओवर में अश्विन बिल्कुल साधारण गेंदबाज़ ही रह जाते हैं। इस मैच में भी अश्विन पाकिस्तानी बल्लेबाज़ों पर दबाव नहीं बना पाए, नतीजा ये हुआ कि उन्होंने अपने कोटे के 10 ओवर में बिना कोई विकेट लिए 70 रन लुटा डाले। अश्विन की जगह अगर उमेश यादव या मोहम्मद शमी को इस मैच में जगह मिली होती तो कुछ फ़र्क़ ज़रूर पड़ सकता था। #4 रोहित शर्मा और विराट कोहली का 16 गेंदो के अंदर पैवेलियन लौट जाना भारत के सामने जीत के लिए 339 रनों का विशाल लक्ष्य था, और इसके लिए ज़रूरत थी एक बेहतरीन और विस्फोटक आग़ाज़ की। रोहित शर्मा और शिखर धवन से कुछ उसी प्रदर्शन की उम्मीद थी जो उन्होंने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ पहले मैच में किया था। इसके बाद विराट कोहली जिन्हें चेज़ मास्टर के तौर पर जाना जाता है, उनपर चैंपियंस ट्रॉफ़ी पर फिर से कब्ज़ा जमाने का दारोमदार था। लेकिन मोहम्मद आमिर की क़ातिलाना गेंदबाज़ी ने इन सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया, आमिर ने पहले रोहित शर्मा को पहले ही ओवर में LBW आउट किया। फिर अगले ही ओवर में विराट कोहली को भी आमिर ने अपना शिकार बना लिया था। टीम इंडिया की जीत की उम्मीदों को इन दो झटकों ने झकझोर दिया था जिसके बाद फिर भारतीय बल्लेबाज़ उबर नहीं पाए। #5 रविंद्र जडेजा और हार्दिक पांड्या के बीच मिक्स अप भारत के 6 विकेट 72 रनों पर गिर चुके थे और यहां से जीत असंभव के क़रीब लग रही थी। लेकिन ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या ने हार नहीं मानी थी और 32 गेंदो पर अर्धशतक लगा डाला था, जो किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट के फ़ाइनल का सबसे तेज़ अर्धशतक था। 43 गेंदो पर 6 छक्कों के साथ 76 रन बनाकर खेल रहे हार्दिक पांड्या अचानक से भारत की जीत के आख़िरी उम्मीद बन गए थे। लेकिन तभी रविंद्र जडेजा ने कवर की तरफ़ शॉट खेला जिसपर रन लेने के लिए पांड्या भाग निकले और जडेजा की छोर के क़रीब पहुंच गए थे। पर जडेजा ने रन लेने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं दिखाई और इस मिक्स अप में पांड्या अपनी विकेट गंवा गए। भारत की आख़िरी उम्मीद भी पांड्या के आउट होते ही ख़त्म हो गई, इस मैच की हार का पांचवां और आख़िरी बड़ा कारण पांड्या का आउट होना बन गया।