भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जाने वाला टेस्ट सीरीज कई मायने में खास है। यह 2019 विश्व कप की तैयारी के लिहाज से सबसे महत्त्वपूर्ण सीरीज है। इसी सीरीज के माध्यम से भारत अपने सबसे बेहतर ग्यारह खिलाड़ियों को चुन सकता है। बदलते हालात और पिच पर बल्लेबाजों की बढ़ती धाक के बीच गेंदबाजी संयोजन ठीक करना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। हम लोगों ने कलाई के दो धाकड़ गेंदबाज कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल की संभावनाओं पर खूब चर्चा कर ली। अब समय है कि विश्व की तैयारी के लिहाज से भारतीय टीम का संयोजन कुछ इस तरह का हो कि उसमें चार पूर्ण जबकि दो कामचलाऊं गेंदबाज हों। यह उसे काफी मजबूत बनाएगा और विश्व चैंपियन बनने के सभी रास्ते भी खोल देगा। दरअसल, आज के दौर में क्रिकेट बल्लेबाजों का खेल बन गया है। यही कारण है कि कभी चुनौतीपूर्ण माने जाने वाले 250-290 रन के स्कोर को आज टीम महज 30 से 40 ओवर में पार कर ले रही है। तीन सौ के आंकड़े तो आम हो गए हैं। इसका कारण है, गेंद में बदलाव, बल्ले का आधुनिकरण, नियमों में ढील, बाउंड्री लाइन का सिमटना और बल्लेबाजों का मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत होना। ऐसे समय में कोई भी टीम दो या तीन गेंदबाजों के सहारे मैच नहीं जीत सकती। उसके पास पार्ट टाइम गेंदबाज होने ही चाहिए। भारत भी कुलदीप और चहल के सहारे मैच नहीं जीत सकता। 50 ओवर के प्रारूप में ऐसी कल्पना करना बेईमानी ही है। हम इन दोनों पर ही निर्भर रहें तो काफी मुश्किल होगी। भारत को एक और हरफनमौला तलाशने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने की जरूरत है। विश्व कप के लिए भारतीय टीम के संभावित संयोजन को देखें तो बल्लेबाजों में रोहित शर्मा और शिखर धवन सबसे ऊपर नजर आते हैं। इसके बाद कप्तान विराट कोहली और लोकेश राहुल या कोई अन्य बल्लेबाज जो उस वक्त बल्लेबाजी में कमाल कर रहा हो। इसके बाद महेंद्र सिंह धोनी की बारी आती है। हार्दिक पांड्या तक आते-आते बल्लेबाजी लाइन अप समाप्त। इसके बाद गेंदबाजी में जसप्रीत बुमराह, उमेश यादव या मोहम्मद शमी, ईशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार को जगह दी जा सकती है। अब स्पिन जोड़ी कुलदीप और चहल की बारी आती है। मतलब बल्लेबाजी में हमारे पास कुल छह खिलाड़ी हैं और गेंदबाजी में भी छह। पांड्या को एक सफल आॅलराउंडर के तौर पर ही टीम में शामिल किया जाएगा जो छठे स्थान पर बल्लेबाजी भी कर लें और मध्यम तेज गेंदबाजी भी। परन्तु अगर ऐसा हुआ कि पंड्या किसी कारण से मैच नहीं खेल पाए तो भारत के लिए संकट हो जाएगा। इसी से निपटने के लिए टीम मैनेजमेंट को एक और सफल हरफनमौला पर विचार करना चाहिए। अगर वह बल्लेबाजी में अव्वल और गेंदबाजी में कामचलाऊं भी हो तो 50 ओवर के प्रारूप में बीच के ओवरों में उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे चार नियमित गेंदबाज और सात बल्लेबाजों के संयोजन से टीम किसी भी मौके पर चुनौती के लिए तैयारी होगी। भारतीय टीम में पहले भी इस संयोजन का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि तब हमारे पास इस तरह के खिलाड़ी नहीं थे। इरफान पठान का रोल तब हार्दिक की तरह ही था। ये अलग बात है कि वे कभी भी पांड्या की तरह बल्लेबाजी नहीं कर पाए। वहीं सौरव गांगुली और विरेंद्र सहवाग से लेकर सचिन तेंदुलकर तक टीम के लिए मध्य के ओवरों में प्रभावी गेंदबाजी करते थे। इससे नियमित गेंदबाजों को आराम भी मिलता और वे अपनी रणनीति भी तैयार कर पाते। अब फिर से कोहली और रवि शास्त्री को गेंदबाजी के लिए एक विकल्प तैयार करना होगा। इसके लिए रविंद्र जडेजा और आर अश्विन के नाम पर विचार किया जा सकता है। धोनी युग में जब भारतीय टीम बुलंदियों को छू रही थी, उस वक्त भी अश्विन और जडेजा निचले क्रम में बेहतरीन बल्लेबाजी से कई मैचों को जीताने में सफल रहे थे। एक नाम और भी है जिस पर विचार किया जा सकता है। वह नाम क्रुणाल पांड्या का है। वे इंडियन प्रीमियर लीग के दौरान सफल आॅलराउंडर रहे हैं। भारतीय टीम अगर इस संयोजन को तैयार करने में सफल होती है तो उसे कई समस्याओं से निजात मिल जाएगी। ध्वस्त होते जिस मध्य क्रम बल्लेबाजी लाइन-अप के कारण टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ एक दिवसीय शृंखला गंवाई, उस संकट से भी उबरा जा सकता है। आज जिनती भी टीमें रैंकिंग में आगे बढ़ रही हैं उनके पास बेहतरीन आॅलराउंडर हैं। इंग्लैंड भी बेन स्टोक्स के सहारे कई मैच जीत चुका है। हालांकि यह परम सत्य है कि टीम के पहले छह खिलाड़ी जब तक रन नहीं बनाएंगे, उसका जीतना मुश्किल है। विश्व के शुरू होने में अब लगभग 11 महीने का समय बचा है। इस हालत में रोहित और शिखर को अपने खेल में निरंतरता लानी होगी। वहीं कोहली के बाद लोकेश टीम के लिए उम्दा विकल्प हो सकते हैं। कई दिग्गज ये मान चुके हैं कि उनके भीतर टैलेंट है और उन्हें अपनी ऊर्जा संचालन की जरूरत है। आगामी टेस्ट सीरीज इस दिशा में काफी अहम है और यहां मिली जीत 2019 की रूपरेखा तय करेगी।