भारत क्रिकेट के अपने स्वर्णिम दौर से गुजर रहा है। उसके पास बेहतर बल्लेबाज और उम्दा गेंदबाजों की टोली है। वर्ल्ड कप 2019 के लिहाज से भारतीय टीम को प्रबल दावेदारों में गिना जा रहा है। हालांकि व्यस्त कार्यक्रम और चोटिल होते खिलाड़ियों ने टीम संयोजन को लेकर चिंता बढ़ा दी है। हाल के दिनों में सबसे सफल दो गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार चोटिल होने के कारण इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में नहीं खेल रहे। उमेश यादव भी अभी-अभी चोट से उबरे हैं। बचे ईशांत शर्मा। उनका साथ देने के लिए कोई तो एक गेंदबाज होना चाहिए जो उसी तरह का धार लिए टीम में प्रवेश करे जिसकी उसे जरूरत है। दरअसल, कप्तान विराट कोहली ने इस समस्या से निपटने के लिए कई नए चेहरों को मौका दिया लेकिन कोई भी उनकी कसौटी पर खड़ा नहीं उतर सका। शारदुल ठाकुर से लेकर सिद्धार्थ कौल तक, किसी ने प्रभावित करने वाली गेंदबाजी नहीं की। इस बीच एक नाम याद आता है जो बहुत युवा तो नहीं है लेकिन पिछले यानी 2015 के विश्व कप में अपनी गेंदबाजी से बल्लेबाजों की बखिया उधेड़ दी थी। हालांकि अभी कुछ दिनों से घरेलू विवाद के कारण वे मैदान से बाहर रहे लेकिन उनसे यह उम्मीद की जा सकती है कि वे जब भी लौटेंगे उनकी गेंदबाजी में वही पैनापन मिलेगा। जी हां, उनका नाम है मोहम्मद शमी। भारत के जहीर खान। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि वे वर्तमान में शायद एकमात्र ऐसे गेंदबाज हैं जो नई गेंद से स्विंग के साथ पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग भी करा सकते हैं। भारत के लिए भुवनेश्वर कुमार या बुमराह की जगह वे एक विकल्प बन सकते हैं। उनकी गेंदबाजी में रफ्तार भी है और समझदारी के साथ लाइनलेंथ भी बना कर रखते हैं। यही काबिलियत उन्हें अगले विश्व कप के लिए भारतीय टीम के संभावित खिलाड़ियों की टोली में शामिल कराती है। यह तो कहने की बात है। जब तक आंकड़े नहीं गवाही दें, तब तक कौन मानता है कि कोई खिलाड़ी कितना काबिल है। 50 एक दिवसीय मैचों के 49 पारियों में 91 विकेट चटकाने वाले शमी का औसत 25.37 है जो उन्हें भुवनेश्वर से बेहतर गेंदबाज की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देता है। भवनेश्वर ने 87 एक दिवसीय मैचों के 86 पारियों में 90 विकेट चटकाए हैं। वहीं 30 टेस्ट मैचों में शमी ने 110 विकेट अपनी झोली में डाले हैं और भुवनेश्वर के नाम 21 मैचों में 63 विकेट दर्ज हैं। मैं इन आंकड़ों से यह नहीं कहना चाहता कि भुवनेश्वर की जगह शमी को फिट किया जा सकता है लेकिन उनकी अनुपस्थिति में तो ऐसा किया ही जा सकता है। या यूं कहें कि जिस नॉन स्ट्राइकर गेंदबाज की तलाश में इंडियन टीम लगी है उस कमी को पूरा करने में तो शमी सक्षम है हीं। साथ ही मैंने जिस खास तकनीक (रिवर्स स्विंग) की बात की थी, उसमें भी जहीर खान के बाद वे इकलौते खिलाड़ी हैं। कप्तान इसका फायदा बीच के ओवरों में उन्हें गेंद थमाकर उठा सकते हैं। जैसा की हम सभी जानते हैं कि पुरानी गेंद से स्विंग वही करा सकता है जिसके पास रिवर्स स्विंग कराने की क्षमता हो और शमी तो इसके माहिर हैं। इस लिहाज से यह उम्मीद जताई जा सकती है कि वह अगले विश्व कप के लिए टीम में जगह बनाने में कामयाब रहेंगे।