आईसीसी विश्व कप शुरू होने में अब ज़्यादा समय नहीं बचा है। सभी टीमें इसकी तैयारी में लगी हुई हैं। वहीं भारतीय टीम विश्व कप से पहले कोई अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं खेलेगी। इसलिए और खिलाड़ियों को आजमाने की संभावना नहीं होगी।
जबकि, मध्य क्रम की कमज़ोरी अभी भी टीम प्रबंधन के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। खासकर नंबर 4 पर किसी अदद बल्लेबाज़ की तलाश अभी भी जारी है। केएल राहुल और अंबाती रायुडू खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं और दोनों की बल्लेबाजी क्षमता पर भी सवाल उठते रहे हैं।
तो ऐसे में भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान अजिंक्य रहाणे को विश्व कप टीम का हिस्सा बनाना लाज़मी हो जाता है।
यहां हम 3 ऐसे कारणों पर एक नज़र डालेंगे जो रहाणे के भारत की विश्व कप टीम में जगह बनाने की पैरवी करते हैं:
#3. इंग्लिश परिस्थितियों का खासा अनुभव
टेस्ट टीम के उपकप्तान ने आखिरी बार फरवरी 2018 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत के लिए अपना आखिरी एकदिवसीय मैच खेला था। हालाँकि, वह लगभग एक साल से भारतीय टीम से बाहर चल रहे हैं।
तब से उन्होंने टेस्ट क्रिकेट ही खेला है लेकिन मध्य-क्रम के लचर प्रदर्शन की वजह से उनके सीमित ओवर प्रारूप में वापसी ज़रूरी हो सकती है।
विश्व कप का आयोजन इंग्लैंड में होगा और वहां की परिस्थितियां भारत से पूरी तरह से अलग होंगी। इंग्लैंड की तेज पिचों पर गेंद स्विंग करेगी जिससे बल्लेबाजों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केएल राहुल को इंग्लैंड दौरे पर अपना हुनर दिखाने का भरपूर मौका मिला था लेकिन उनका प्रदर्शन दोयम दर्जे का रहा।
पूरे दौरे में केवल पहले टी-20 और आखिरी टेस्ट में ही उनका बल्ला चल सका। जबकि बाकी के मैचों में वह रन बनाने के लिए जूझते नज़र आये। इसलिए, विश्व कप के लिए भारतीय टीम में उनके चुनाव पर संशय बरकरार है। वहीं रायुडू को अभी तक इंग्लैंड में खेलने का मौका नहीं मिला है।
दूसरी ओर, रहाणे इंग्लैंड में दो वनडे सीरीज़ (2011 और 2014) खेल चुके हैं। इंग्लैंड के खिलाफ अपनी 9 पारियों में उन्होंने 38.88 की औसत और 87.5 की स्ट्राइक रेट से 350 रन बनाए हैं।
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#2. विदेशी परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन
रहाणे पिछले कुछ वर्षों में विदेशी परिस्थितियों में भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ रहे हैं। उन्होंने भारत के बाहर कुछ शानदार पारियां खेली हैं।
2015 विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लॉर्ड्स में शानदार शतक और 60 गेंद में 79 रन की पारी और लॉर्ड्स में बनाया टेस्ट शतक इसमें शामिल है।
सबसे खास बात यह है कि पुणे के इस बल्लेबाज़ ने 2015 के बाद से वनडे प्रारूप में SENA देशों में लगभग 40 की औसत और 87.81 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं।
राजस्थान रॉयल्स की बल्लेबाजी में समय के साथ निखार आता जा रहा है और भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर वह टीम के सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है। वह स्विंग गेंदबाजी को अच्छे से खेल सकते हैं।
वैसे भी जून में इंग्लैंड में ओवरकास्ट कंडीशन होगी जो तेज़ गेंदबाजों के लिए बहुत मददग़ार साबित होगी, ऐसे में, रहाणे की टीम में मौजूदगी और भी ज़्यादा ज़रूरी हो जाती है।
#1. विश्वसनीयता
अजिंक्य रहाणे की मौजूदगी टीम में मजबूती लाने के साथ-साथ एक संतुलन भी प्रदान करती है। भारत के इंग्लैंड दौरे में हमने देखा कैसे कप्तान विराट कोहली को छोड़कर और कोई भी बल्लेबाज़ रन नहीं बना सका। सही मायनों में उस दौरे में भारतीय टीम को किसी भरोसेमंद बल्लेबाज़ की कमी काफी खली थी।
ऐसी स्थिति में रहाणे को टीम में शामिल करना एक अच्छा फैसला होगा। वह दवाब में भी अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं और दुनिया के किसी गेंदबाज़ी आक्रमण को तहस-नहस कर सकते हैं।
जिन लोगों को उनकी स्ट्राइक रेट से दिक्कत है, उन्हें पिछले 2015 विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उनकी शानदार पारी को देखना चाहिए।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने 58 गेंद 87 और 2016 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 80 गेंदों में 89 रनों की पारी खेली थी। इसके अलावा, वह किसी भी बल्लेबाज़ी क्रम पर बल्लेबाजी कर सकते हैं। शीर्ष क्रम से लेकर निचले मध्य-क्रम तक, वह हर किरदार में फिट बैठते हैं।