पूर्व भारतीय कप्तान और बंगाल क्रिकेट संघ के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली से बीसीसीआई ने एक 'व्हाइट पेपर' तैयार करने को कहा है जिसमें दादा को ये ज़िम्मेदारी दी गई है वह टेस्ट मैच और आईपीएल के बीच पैसों के बड़े फ़र्क को कम करें। मशहूर इंग्लिश खेल पत्रिका के मुताबिक़ टीम इंडिया के कई खिलाड़ी और बीसीसीआई के अधिकारियों ने पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर को भी इस बात को लेकर अवगत कराया था और टीम के खिलाड़ियों की सैलरी को एक बार फिर रिव्यू करने की भी बात कही थी। ऐसा इसलिए क्योंकि जो टेस्ट क्रिकेटर भारत के लिए खेलते हैं लेकिन आईपीएल में नहीं खेल रहे हैं उनसे ज़्यादा पैसा वह कमा लेते हैं जो भारत के लिए न खेलने के बावजूद इस आईपीएल का हिस्सा हैं। जिसका एक जीता जागता उदाहरण हैं दिल्ली डेयरडेविल्स के पवन नेगी, जिन्हें दिल्ली ने 8.5 करोड़ की भारी भरकम क़ीमत देकर अपनी टीम में शामिल किया। जबकि उन्होंने भारत के लिए न कोई टेस्ट खेला है और न ही वनडे, बस एक टी-20 में उन्होंने भारत का प्रतिनिधितिव्व किया है। ठीक इसी तरह भारत के टेस्ट बल्लेबाज़ चेतेश्वर पुजारा हैं, पुजारा आईपीएल के इस सीज़न में किसी भी टीम का हिस्सा नहीं हैं। सौराष्ट्र के इस बल्लेबाज़ पर टेस्ट टैग लग गया है लिहाज़ा उनमें आईपीएल की टीमें दिलचप्सी नहीं दिखाती हैं। पुजारा को प्रत्येक टेस्ट मैच में 7 लाख रुपये मैच फ़ीस मिलती है। इसके अलावा उन्हें सालाना 50 लाख रुपये भी मिलते हैं क्योंकि वह ग्रुप बी कैटगिरी में आते हैं। वर्किंग कमिटी की बैठक में इस बात पर चर्चा हुई और इस असमानता पर ज़ोर दिया गया, जिसके बाद बीसीसीआई के नए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने इसे गंभीरता से लिया और इस असमानता को दूर करने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है इसकी ज़िम्मेदारी सौरव गांगुली को दी है। इस बैठक के बाद मीडिया से मुख़ातिब होते हुए दादा ने टेस्ट खिलाड़ियों की सैलरी पर ज़ोर देते हुए कहा, "इंग्लिश खिलाड़ियों को टेस्ट खेलने के लिए मोटी सैलरी दी जाती है, ऐसा ही दूसरे देशों के खिलाड़ियों के साथ भी होता है, भारत में भी ऐसा होना चाहिए जिससे पुजारा जैसे खिलाड़ी प्रोत्साहित हों न कि हताश।" इस साल जुलाई से लेकर अगले साल मार्च तक भारत को 18 टेस्ट मैच खेलने हैं, और उम्मीद है कि सौरव गांगुली वेस्टइंडीज़ दौरे पर टीम इंडिया के रवाना होने से पहले बीसीसीआई के सामने अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे।