भारतीय टीम में पिछले कुछ समय से बल्लेबाजों का प्रदर्शन काफी खराब रहा है और इसी के मद्देनजर पूर्व खिलाड़ी आकाश चोपड़ा (Aakash Chopra) ने मौजूदा बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर (Vikram Rathour) पर निशाना साधा है। चोपड़ा के मुताबिक टीम के खराब बल्लेबाजी प्रदर्शन को देखते हुए बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर के योगदान पर दोबारा से विचार किए जाने की जरूरत है।
चोपड़ा ने टिप्पणी की कि जिस तरह गेंदबाजी विभाग में सुधार के लिए लोगों ने श्रेय लिया है, ठीक उसी तरह विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा के खराब प्रदर्शन के लिए किसी को तो जिम्मेदारी लेनी होगी।
उन्होंने कहा कि भारत को यह देखने की जरूरत है कि क्या राठौर के काम में कोई कमी है और उन्होंने उसे कैसे दूर किया है।
अपने यूट्यूब चैनल पर चोपड़ा ने कहा,
भारत की गेंदबाजी में सुधार का श्रेय सभी ने लिया है। कुछ लोगों ने विराट कोहली को श्रेय दिया, किसी ने भरत अरुण को, किसी ने रवि शास्त्री को। सभी ने कहा, 'भारतीय गेंदबाजी में काफी सुधार हुआ है।' लेकिन बल्लेबाजी में गिरावट के लिए कौन जिम्मेदार है? अगर आप श्रेय ले रहे हैं तो जिम्मेदारी भी लेनी होगी। गिरावट स्पष्ट है। चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे और विराट कोहली के आंकड़ों में पिछले 2-2.5 वर्षों में गिरावट आई है, तो बल्लेबाजी कोच कहां है?
उन्होंने आगे कहा,
बल्लेबाजी कोच की जिम्मेदारी है और किसी न किसी को यह करना होगा। विक्रम राठौर, जो काफी समय से टीम के साथ हैं, आपको उन्हें फिर से देखने की जरूरत है कि क्या वह अपना काम अच्छी तरह से कर रहे हैं और यदि नहीं तो क्या कमियां हैं और वह उन्हें कैसे ठीक कर रहे हैं।
विक्रम राठौर ने 2019 में बल्लेबाजी कोच की भूमिका संभाली थी। उनके साथी रवि शास्त्री और भरत अरुण का कार्यकाल पिछले साल समाप्त हो गया, जबकि इनके कार्यकाल को एक साल और बढ़ाया गया।
कोच की भूमिका अचानक से फुटबॉल मैनेजर की तरह हो गई है - आकाश चोपड़ा
भारतीय क्रिकेट के साथ दूसरे प्रमुख मुद्दे पर बोलते हुए चोपड़ा ने कहा कि कोहली का टेस्ट कप्तानी से अचानक इस्तीफा देने से राहुल द्रविड़ का काम कठिन हो गया है।
उन्हें लगता है कि इस दौर में भारत के भविष्य की राह तैयार करने में द्रविड़ की भूमिका नए कप्तान से ज्यादा अहम होगी, जैसे एक फुटबॉल क्लब के मैनेजर की होती है। उन्होंने अपनी बात को समझाते हुए कहा,
कोच के लिए यह मुश्किल है क्योंकि वह एक नया कोच है। अगर वह लंबे समय तक वहां रहा होता तो उसके पास नए कप्तान के लिए एक खाका तैयार होता। अब एक नया कप्तान है, एक नया कोच है और उन्हें एक नया रास्ता तय करना है। क्रिकेट में कप्तान सबसे महत्वपूर्ण होता है और कोच उसके ठीक नीचे होता है। लेकिन ऐसे हालात में कोच ऊपर जाता है और कप्तान थोड़ा पीछे आ जाता है क्योंकि कोच की निरंतरता की गारंटी होती है। कोच अचानक से अधिक जिम्मेदारी की वजह से फुटबॉल मैनेजर की तरह महसूस करता है।
चोपड़ा ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा कि टीम मैनेजमेंट ने अजिंक्य रहाणे पर अधिक भरोसा दिखाने की वजह से किसी और को विराट कोहली के उत्तराधिकारी के रूप में तैयार नहीं किया। इसी वजह से भारत के पास कोई विकल्प नहीं है।