पिछले 25 वर्षों की भारत-इंग्लैंड की संयुक्त टेस्ट एकादश

विदेशी दौरा प्रत्येक टीम के लिए एक कड़ी चुनौती होता है। आगामी वनडे और टेस्ट श्रृंखला निस्संदेह भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण होगी। भारतीय खिलाड़ी खुद को इंग्लैंड की परिस्थितियों के अनुरूप ढालने की कोशिश कर हैं, ऐसे में आइए हम इस लेख में पिछले 25 वर्षों की भारत-इंग्लैंड संयुक्त टेस्ट एकादश पर एक नज़र डालें। जबकि भारत बल्लेबाजी में श्रेष्ठ है, इंग्लैंड गेंदबाजी विभाग में भारत से आगे है। इस एकादश में पात्रता के लिए मानदंड हैं - पिछले 25 वर्षों में किसी खिलाड़ी का अधिकांश क्रिकेट खेलना। उनकी कम से कम 50 टेस्ट मैचों में भागेदारी। तो आइये जानते हैं इस एकादश के बारे में:

सलामी बल्लेबाज़:

# 1 वीरेंदर सहवाग

अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने वाले भारत के विस्फोटक बल्लेबाज़, वीरेंद्र सहवाग की बल्लेबाजी शैली से उभरते हुए बल्लेबाजों को काफी कुछ सीखने को मिल सकता है। उनके द्वारा निडरता से की गई बल्लेबाज़ी किसी भी विरोधी टीम के हौसले पस्त करने के लिए काफी है। टेस्ट क्रिकेट में भी, वीरू ने तेज़ गति से रन बनाए हैं। उन्होंने टेस्ट में दो तिहरे शतक लगाए हैं और एक बार तीसरा तिहरा शतक लगाने के बेहद करीब पहुंच कर आउट हुए हैं। श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने शानदार 293 रन बनाए थे, अगर वह अपने स्कोर में 7 रन और जोड़ लेते तो क्रिकेट इतिहास में तीन तिहरे शतक लगाने वाले पहले और एकमात्र बल्लेबाज़ बन जाते। सहवाग एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो किसी भी गेंदबाज़ को मैदान के चारों और मनचाहे शॉट्स लगा सकते हैं। बल्लेबाजी की उनकी निडर शैली ने उन्हें बाकी बल्लेबाजों से अलग बनाया है। सहवाग के अलावा, केवल ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट ने टेस्ट मैचों में इतनी तेज़ गति से रन बनाए हैं। मैच: 104, रन: 8586, औसत: 49.34 # 2 एलेस्टेयर कुक इंग्लैंड के एलेस्टेयर कुक के नाम पर कई टेस्ट रिकॉर्ड दर्ज हैं - वह इंग्लैंड की तरफ से सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले और सबसे ज़्यादा रन स्कोरर हैं। कुक के लिए कोई भी रिकार्ड तोडना मुश्किल नहीं है। उन्हें पहले से ही इंग्लैंड के महान बल्लेबाज़ों की फेहरिस्त में शामिल किया जा चुका है। जैसे जैसे वह शतक लगते जा रहे हैं क्रिकेट जगत में उनका कद और बड़ा होता जा रहा है। अपने करियर में, कुक ने कई शानदार पारियां खेली हैं लेकिन उनके करियर की प्रमुख हाइलाइट्स में से एक है भारत की धीमी पिचों पर उनका ज़बरदस्त प्रदर्शन। भारतीय पिचों पर जहां बाकी इंग्लिश खिलाड़ी स्पिन के खिलाफ जूझते दिखते हैं, कुक एकमात्र ऐसे बल्लेबाज़ हैं जिन्होंने स्पिनर्स के खिलाफ भी रन बनाए हैं। ऐसे में कुक के पास अभी काफी समय है कि वह सचिन तेंदुलकर के 15921 टेस्ट रनों का रिकार्ड तोड़ सकें। मैच: 156, रन: 12145, औसत: 45.65

मध्यक्रम:

# 3 राहुल द्रविड़

द्रविड़ क्रिकेट इतिहास के सबसे भरोसेमंद और धैर्यवान क्रिकेटर रहे हैं। उनकी बेजोड़ तकनीक और प्रदर्शन में निरंतरता उन्हें विश्व के महान बल्लेबाज़ों की फेहरिस्त में शामिल करती है। एकाग्रता और धैर्य जैसे गुणों की वजह से दुनिया के हर गेंदबाज़ी आक्रमण के सामने वह एक दीवार की तरह खड़े रहे हैं। उन्होंने अपने क्रिकेट जीवन में इन्हीं गुणों की वजह से कई मैराथन पारियां खेली है। तेंदुलकर के बाद द्रविड़ भारतीय टीम के सबसे अहम खिलाड़ी थे। विदेशी दौरों में तेज़ पिचों की वजह से कई खिलाड़ी बल्लेबाज़ी में संघर्ष करते दिखे हैं लेकिन द्रविड़ उन खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने विदेशों में भी अपनी धाक जमाई है। द्रविड़ एक आदर्श खिलाड़ी थे। नियमित सलामी बल्लेबाज की ग़ैरमौजूदगी में उन्हें पारी की शुरुआत करने में भी हिचकिचाहट नहीं थी और ज़रूरत पड़ने पर उन्होंने विकेट कीपर की भूमिका भी बखूबी निभाई है। मैच: 164, रन: 13288, औसत: 52.31 #4 सचिन तेंदुलकर सचिन तेंदुलकर से पहले भी, भारतीय क्रिकेट इतिहास में कई स्टार खिलाड़ी रहे हैं। सुनील गावस्कर उनमें से एक थे जिन्होंने अपने समय के खतरनाक वेस्ट इंडियन गेंदबाज़ी आक्रमण को भी धोया है। उसके बाद, कपिल देव थे, जिन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से ही शानदार प्रदर्शन किया है लेकिन, तेंदुलकर क्रिकेट इतिहास के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जो ना केवल भारत के बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर हैं। 'क्रिकेट के भगवन' के उपनाम ने जाने जाते तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कई बल्लेबाजी रिकॉर्ड तोड़े हैं। वह खेल के दोनों प्रारूपों में सबसे ज्यादा रन-गेटर है और 200 टेस्ट मैच खेलने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। उन्होंने हमेशा विश्व स्तरीय गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। अपने करियर के मध्य में ही मास्टर ब्लास्टर दुनिया के महानतम बल्लेबाज़ों की फेहरिस्त में शामिल हो चुके थे। मैच: 200, रन: 15 9 21, औसत: 53.78 #5 केविन पीटरसन वर्तमान समय में इंग्लैंड को अपनी टीम में विश्वस्तरीय बल्लेबाजों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले केविन पीटरसन इंग्लैंड के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों में से एक थे। एलिस्टेयर कुक के टीम में आने से पहले टेस्ट मैचों में टीम को अच्छी शुरुआत दिलाने की ज़िम्मेवारी पीटरसन की थी। इंग्लैंड के यह बेहतरीन कलात्मक बल्लेबाज़ विवादों में घिरे होने की वजह से टेस्ट क्रिकेट में अपने 10,000 रन पूरे नहीं कर सके। हालांकि, विवादों में घिरे होने के बावजूद उन्होंने टीम में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। मैच: 104, रन: 8181, औसत: 47.28 #6 एंड्रयू फ्लिंटॉफ अगर यह सर्वकालिक टेस्ट एकादश होती, तो छठे नंबर पर इयान बोथम और कपिल देव के बीच कांटे की टक्कर होती। लेकिन, इस फेहरिस्त में सिर्फ पिछले 25 वर्षों में खेलने वाले खिलाडियों को ही शामिल किया गया है, इसलिए इस नंबर पर इंग्लैंड के हरफनमौला खिलाड़ी एंड्रयू फ्लिंटॉफ का नाम आता है। फ्लिंटॉफ का करियर भी विवादों से घिरा रहा लेकिन अपने लगभग एक दशक लंबे टेस्ट करियर में उन्होंने टीम के लिए बल्ले और गेंद दोनों के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। सही मायनों में उन्होंने इंग्लिश टीम में इयान बोथम जैसे महान आलराउंडर की कमी को पूरा किया है। 2005 की ऐतिहासिक एशेज श्रृंखला में यादगार प्रदर्शन करने के बाद फ्लिंटॉफ की तुलना बोथम से की जाने लगी थी। सही मायनों में फ्लिंटॉफ के अलावा कोई भी इंग्लिश ऑलराउंडर इस उपलब्धि को हासिल नहीं सकता था। मैच: 79, रन: 3845, बल्लेबाजी औसत: 31.77, विकेट: 226, बॉलिंग औसत: 32.78 #7 एलेक स्टीवर्ट 1990 के दशक और 2000 की शुरुआत में इंग्लैंड टीम में एलेक स्टीवर्ट बेहद अहम विकेट-कीपर बल्लेबाज़ थे। वह इंग्लैंड के सर्वश्रेष्ठ विकेट-कीपर बल्लेबाज़ रहे हैं और अपने समकालीन विकेट-कीपर बल्लेबाज़ जैक रसेल जैसे प्रतिद्वंद्वी की तुलना में उनकी बल्लेबाजी काफी बेहतर थी। उस समय क्रिकेट के दोनों प्रारूपों में वह इंग्लैंड टीम की पहली पसंद थे। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 39 की औसत से रन बनाए हैं और यह प्रदर्शन उनके टीम में बने रहने के लिए काफी था। स्टीवर्ट इंग्लिश क्रिकेट के सबसे महान खिलाडियों में से एक थे। जब उन्होंने क्रिकेट से संन्यास लिया, वह अपनी टीम के लिए सबसे ज़्यादा टेस्ट खेलने का गौरव प्राप्त कर चुके थे। हालाँकि, इस स्लॉट के लिए एकमात्र अन्य दावेदार भारत के महेंद्र सिंह धोनी भी हैं। धोनी स्टीवर्ट से थोड़ी कम बल्लेबाजी औसत (धोनी: 38.0 9) के कारण इस फेहरिस्त में शामिल नहीं हो सके। मैच: 133, रन: 8463, औसत: 39.54, कैच: 263, स्टंपिंग्स: 14 गेंदबाज़ # 8 अनिल कुंबले ऐसा माना जाता था कि अनिल कुंबले के पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्पिनर्स ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉर्न और श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन की तरह गेंद को दोनों दिशाओं में टर्न कराने की क़ाबलियत नहीं थी लेकिन इसके बावजूद ना केवल वह अपनी गेंदबाज़ी में निरंतर विविधता लाये बल्कि अपनी गुगली से उन्होंने विरोधी टीम के बल्लेबाज़ों को भी खूब परेशान किया। इसके अलावा शेन वॉर्न और मुथैया मुरलीधरन के बाद वह टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों की सूची में तीसरे स्थान पर रहे। आपको बता दें कुंबले ने अपने टेस्ट करियर में 619 विकेट लिए हैं। उनका यह प्रदर्शन ऐसे समय में आया जब गेंद को स्पिन ना करवा पाने के कारण उनकी आलोचना होती थी। अनिल कुंबले टेस्ट प्रारूप में 600 से ज़्यादा विकेट लेने वाले भारत के पहले और एकमात्र गेंदबाज़ हैं। इसके अलावा वनडे प्रारूप में भी कुंबले भारत की और से दुनिया के दस सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों की फेहरिस्त में 9 वें नंबर पर हैं। यह आंकड़े उन्हें भारत का सबसे सफल और महान गेंदबाज़ बनाते हैं। यहां तक कि उनके सबसे बड़े आलोचकों को भी यह बात माननी पड़ेगी कि बेंगलुरु के यह गेंदबाज़ लगभग दो दशकों तक टीम इंडिया के गेंदबाज़ी आक्रमण की कमान संभालते रहे हैं और उन्होंने अकेले दम पर टीम को कई मैच जिताये हैं। इस स्लॉट के लिए अन्य दावेदार हरभजन सिंह, रविचंद्रन अश्विन और ग्रीम स्वान हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट के तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ को इन तीनो प्रतिभाशाली गेंदबाजों पर तरजीह देना ठीक होगा। मैच: 132, विकेट: 619, औसत: 2 9 .66 # 9 जेम्स एंडरसन 540 विकेट के साथ, जेम्स एंडरसन टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं। गेंदबाजी को स्विंग कराने में माहिर इस तेज़ गेंदबाज़ ने घरेलू और विदेशी दोनों जगहों पर अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा है। उन्होंने केवल 138 मैचों में 2.9 की इकोनॉमी रेट से 500 से ज़्यादा विकेट लिए हैं। इसके अलावा एक मैच में तीन बार 10 विकेट लेने का कारनामा भी उन्होंने किया है। वह किसी भी पिच पर अपनी स्विंग से गेंदबाज़ों के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं और किसी भी मैच का पासा पलटने की उनमें अदभुत क़ाबलियत है। एंडरसन हालाँकि काफी समय से क्रिकेट से दूर रहे हैं लेकिन भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ से वह इंग्लिश टीम में वापसी कर सकते हैं। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट इस साल की शुरुआत में खेला था। निश्चित रूप से वह टेस्ट में वापसी कर ऑस्ट्रेलिया के महान गेंदबाज़ ग्लेन मैकग्रा के 563 विकेटों के आंकड़े को पार करने के लिए उत्सुक होंगे। इसके अलावा अगर वह अपनी फिटनेस बरकरार रखते हैं और निरंतर खेलते रहते हैं तो इस स्टाइलिश तेज गेंदबाज के लिए 600 विकेट लेना भी मुश्किल नहीं होगा। ऐसे आंकड़ों के बाद जेम्स एंडरसन को इस फेहरिस्त में शामिल ना करना असंभव है। अपनी गेंदबाज़ी में स्विंग और विवधता की वजह से वह भारत और इंग्लैंड की संयुक्त टेस्ट एकादश में टीम के गेंदबाज़ी आक्रमण का नेतृत्व कर सकते हैं। मैच: 118, विकेट: 417, औसत: 28.89 #10 स्टुअर्ट ब्रॉड टी-20 विश्व कप में एक ओवर में युवराज सिंह द्वारा ब्रॉड को 6 छक्के पड़ने के बाद यह माना जा रहा था कि इस युवा गेंदबाज़ का क्रिकेट करियर खत्म होने के कगार पर है। लेकिन अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखने के बावजूद यह इंग्लिश तेज़ गेंदबाज़ ना केवल टीम में बने रहे बल्कि इंग्लैंड के लिए कई मैचों में उन्होंने निर्णायक गेंदबाज़ी भी की। क्रिकेट इतिहास में ऐसे बहुत कम गेंदबाज़ हैं जिन्होंने अपने क्रिकेट जीवन के शुरुआती दौर में बेहद लचर प्रदर्शन के बाद शानदार वापसी की हो। 2007 के टी-20 विश्व कप के बाद उनका करियर खत्म होता नज़र आ रहा था लेकिन इंग्लैंड के टीम प्रबंधन ने उन पर भरोसा दिखाया। लेकिन 2018 में इसी गेंदबाज़ के नाम पर टेस्ट क्रिकेट में 400 से ज़्यादा विकेट हैं और वह इंग्लैंड की तरफ से सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों की सूची में दूसरे स्थान पर हैं। ब्रॉड अपनी गेंदबाज़ी में उछाल और सटीकता से विरोधी बल्लेबाज़ों को परेशानी में डाल सकते हैं। एंडरसन के साथ, उन्होंने इंग्लैंड के लिए टेस्ट मैचों में एक तेज गेंदबाजी आक्रमण का नेतृत्व किया है। भारत और इंग्लैंड के खिलाड़ियों की इस संयुक्त एकादश में यह दोनों गेंदबाज़ दुनिया के किसी भी बल्लेबाज़ी लाइन-अप को तहस नहस करने में सक्षम है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जिस में उन्होंने 15 रनों पर 8 विकेट लिए थे, इस बात का सबूत है कि यह 32 वर्षीय गेंदबाज़ आने वाले सालों में भी निरंतर अच्छा प्रदर्शन करते रहेंगे। इस के अलावा ब्रॉड निचले क्रम में बल्ले से भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। मैच: 118, विकेट: 417, औसत: 28.89 #11 ज़हीर ख़ान भारतीय उपमहद्वीप की धीमी पिचें तेज़ गेंदबाज़ों के अनुकूल नहीं हैं और ऐसे कई गेंदबाज़ जिनका करियर धीमी पिचों की वजह से आगे नहीं बढ़ सका। हालांकि कोई भी तेज़ गेंदबाज़ महान क्रिकेटर कपिल देव के प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाया लेकिन दो गेंदबाज़ ऐसे हैं जो उनके गेंदबाज़ी आंकड़े के नज़दीक पहुंचे। यह दो गेंदबाज़ हैं- जवागल श्रीनाथ और ज़हीर खान। अपने सर्वश्रेष्ठ दिन में, ज़हीर ने हमेशा बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उनकी गेंद को सराहनीय रूप से स्विंग कराने और सटीक यॉर्कर्स करने की क्षमता उन्हें भारत और इंग्लैंड की संयुक्त एकादश में शामिल करने के लिए काफी है। अपने करियर के मध्य तक वह भारतीय टीम के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ बन गए थे और करियर के आखिरी दौर में वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ों की फेहरिस्त में शामिल हो चुके थे। अपने टेस्ट करियर में खेले 91 मैचों में ज़हीर ने 311 विकेट लिए हैं, जो उन्हें 300 से ज़्यादा विकेट लेने वाले दुनिया के चुनिंदा गेंदबाज़ों में शामिल करता है। लगभग डेढ़ दशक तक फैले अपने टेस्ट करियर में वह भारतीय गेंदबाज़ी आक्रमण की मुख्य धुरी रहे हैं। तीसरे तेज़ गेंदबाज़ के स्लॉट के लिए जहीर और डैरेन गॉफ़ में कांटे की टक्कर थी लेकिन बाएं हाथ के गेंदबाज़ ने गॉफ़ के मुकाबले ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है। गॉफ़ ने अपने टेस्ट करियर में 229 विकेट हासिल किये हैं। मैच: 92, विकेट: 311, औसत: 32.94 लेखक: प्रवीण एनवीएस अनुवादक: आशीष कुमार